जीवन में पहली बार अखिलेश यादव को अपना गढ़ खोने का डर सता रहा है

अखिलेश यादव को कहीं न कहीं यह आभास हो गया है कि आजमगढ़ की तरह ही कहीं मैनपुरी भी उनके हाथ से न चला जाए। ये भी हो सकता है कि भाजपा सपा के हर गढ़ को उससे छीनकर वहां अपना वर्चस्व स्थापित कर ले।

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UP Bypoll: परिवर्तन संसार का नियम है, इस जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं है। सब कुछ समय और परिस्थिति के अनुसार परिवर्तनशील है फिर चाहे वो घर हो, मित्र हो या फिर सत्ता ही क्यों न हो। लेकिन ऐसा लगता है जैसे इस तथ्य को कुछ राजनैतिक पार्टियां अनदेखा कर देती हैं। बस उनका यही आत्मविश्वास की अति उनको पतन की ओर ले जाती है और कुछ ऐसा ही समाजवादी पार्टी के साथ भी होता आया है।

UP Bypoll: सपा का एक-एक गढ़ टूट रहा है

अपने किए का ठीकरा और अपनी नीतियों के अनुरूप परिणाम न आने का भोझ कार्यकर्ताओं पर मढ़ने वाली समाजवादी पार्टी को भला कौन नहीं जनता है। साल 2014 के बाद से समाजवादी पार्टी का एक-एक गढ़ टूट रहा है। जिसे देख ऐसा लगता है जैसे पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव को ये बात समझ आ गयी है कि अब उनका एक और गढ़ उनके हाथ से जाने वाला है।

आज उत्तर प्रदेश में मैनपुरी, रामपुर और खतौली में उपचुनाव (UP Bypoll) के लिए वोटिंग हुई। रामपुर और मैनपुरी दोनों ही सपा का गढ़ माना जाता है। यहां पर आरम्भ से ही सपा ने अपना दबदबा बनाकर रखा है लेकिन पिछले कुछ समय में भाजपा ने सपा के गढ़ में सेंधमारी की है, जिसका नतीजा आजमगढ़ में भाजपा की जीत से साबित हो चुका है। मैनपुरी सदर में भाजपा ने पिछले चुनाव में जीत हासिल की थी और अब रामपुर में स्थिति कुछ भी हो सकती है। वहीं मैनपुरी में सपा को कड़ी टक्कर भाजपा की तरफ से मिलने वाली है। यही कारण है कि जीवन में पहली बार अखिलेश को अपने गढ़ खोने का खतरा मंडराता हुए दिख रहा है।

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दिख रहा है अच्छा अवसर

समाजवादी पार्टी को विधानसभा चुनावों में पछाड़ने के बाद भाजपा के सामने उसके दुर्ग मैनपुरी और आजम खां के गढ़ रामपुर को जीतने का अच्छा अवसर दिखाई दे रहा है। इस वर्ष जून में एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव और एसपी सांसद आजम खान के इस्तीफा देने के बाद आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव (UP Bypoll) हुए थे। बीजेपी ने दोनों सीटों पर अपनी जीत की मुहर लगायी थी। आजमगढ़ लोकसभा के उप चुनाव में बीजेपी के दिनेश लाल यादव निरहुआ ने बड़ी जीत अपने नाम की थी। समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार धर्मेंद्र यादव को निरहुआ ने 8679 वोटों से मात दी थी। चुनाव आयोग के अनुसार दिनेश लाल यादव निरहुआ को 3 लाख 12 हजार 768 वोट हासिल हुए थे जबकि धर्मेंद्र यादव को 3 लाख 4 हजार 89 वोट।

इन सीटों का इतिहास बहुत अधिक दिलचस्प रहा है, मैनपुरी लोकसभा सीट समाजवादी मुलायम परिवार का गढ़ कही जाती है। बीजेपी अब तक यहां पर जीत दर्ज नहीं कर पायी है लेकिन साल 2014 और 2019 में समाजवादी पार्टी से मुलायम सिंह यादव ने चुनाव में जीत जरूर हासिल की थी। लेकिन 2019 में बीएसपी से गठबंधन करने के बाद भी उनकी जीत का अंतर काफी कम था। 2014 में मुलायम सिंह यादव ने 3.5 लाख से अधिक वोट से जीत दर्ज की थी, वहीं 2019 के चुनाव में जीत का यह अंतर घटकर एक लाख से भी कम हो गया था। इसी वजह से ऐसा लगता है कि इस बार बीजेपी यहां कड़ी टक्कर में है।

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UP Bypoll प्रचार की कमान सीएम योगी के हाथों में

उपचुनाव (UP Bypoll) वाली इन सीटों की अहमियत का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इन तीनों सीटों के प्रचार के मोर्चे की कमान अपने हाथ में ली थी। वहीं अखिलेश यादव ने आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव में प्रचार से खुद को दूर रखा था लेकिन इस बार अखिलेश यादव ने रामपुर में आसिम रजा के लिए वोट की अपील के साथ-साथ मैनपुरी में पत्नी डिंपल यादव के लिए प्रचार किया।

ऐसे में यह कहना बिलकुल भी गलत नहीं होगा कि अखिलेश को भी कहीं न कहीं इस बात का डर सता रहा है कि आजमगढ़ की तरह ही कहीं मैनपुरी गढ़ भी उनके हाथ से न चला जाए। और तो और भविष्य में ऐसा भी हो सकता है कि भाजपा धीरे-धीरे सपा का हर गढ़ उससे छीनकर वहां पर अपना वर्चस्व कायम कर ले।

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