Freddy Movie Review: “सॉरी सर, केप्ट यू वेटिंग”, हमारे फिल्म उद्योग में अनेक प्रकार के अभिनेता हैं – डायरेक्टर्स एक्टर, Circumstantial एक्टर और एक्टर्स एक्टर। तीनों में स्पष्ट अंतर यही है कि जो निर्देशक का अभिनेता हो, वो केवल कुछ ही फिल्मों में चल सकता है, लंबे समय तक नहीं, चाहे कितना ही बड़ा स्टार क्यों न हो। परंतु जो विपरीत परिस्थितियों में भी चमके या जो ऐसा हो कि बेजान पटकथा में भी अपने अभिनय से जान फूंक दे, वही असल अभिनेता कहलाता है और कार्तिक आर्यन अब इसी क्षितिज पर खड़े हैं। इस लेख में हम कार्तिक आर्यन की हाल ही में प्रदर्शित हुई फिल्म फ्रेडी का रिव्यू करेंगे।
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कहते हैं, कभी किसी को इतना भी मत सताओ कि आपका विनाश उसके जीवन का उद्देश्य बन जाए। शशांक घोष द्वारा निर्देशित एवं डिज़्नी प्लस हॉटस्टार पर प्रसारित फिल्म ‘फ्रेडी’ में कार्तिक आर्यन एक डेन्टिस्ट फ्रेडी जिनवाला की भूमिका में हैं, जो अपने एकाकीपन से जूझ रहे हैं और एक साथी की खोज में हैं। उन्हें एक लड़की में आखिरकार वो मिलता है परंतु क्या वो वही है, जो वह ढूंढ रहे थे? सारी कथा इसी पर बुनी हुई है।
Freddy Movie Review in Hindi
अब कार्तिक आर्यन एक भरोसेमंद एक्टर हो गए हैं। यह वही हैं जिनकी भूल भुलैया 2 ने बॉक्स ऑफिर पर चार चांद लगाए थे। एक औसत स्क्रिप्ट को भी यदि आप अपने परिश्रम से लगभग 250 करोड़ का कलेक्शन दिलवा दें, जो बॉलीवुड में इस वर्ष क्लीन सक्सेस में लगभग नगण्य हो तो कुछ तो बात होगी इस अभिनेता में। ‘फ्रेडी’ को तो देखकर इस बात का आश्चर्य हो रहा है कि यह फिल्म सिनेमाघर में क्यों नहीं आई? कम से कम आयुष्यमान खुराना के टॉर्चर से तो बच जाते!
अब कथा कोई बिल्कुल आउट ऑफ द बॉक्स नहीं है! ये अमेरिकी फिल्म ‘द डेन्टिस्ट’ से तनिक प्रेरित है परंतु उसकी रीमेक नहीं है। किंतु अंतर आता है ट्रीटमेंट में – कथा कैसे चित्रित हुई, अभिनय कैसे हुआ, लोगों को अंत तक बांधे रखती है या नहीं और विश्वास मानिए, ‘फ्रेडी’ अधिकतम मोर्चों पर सफल रहती है। इसे थोड़ा और अच्छे से तराशा गया होता तो ये ‘अंधाधुन’ की भांति धमाका कर सकती थी पर उस बारे में फिर कभी।
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इसमें एक अच्छी बात यह भी है कि पारसी परिवारों को वैसे नहीं दिखाया गया है, जैसे बॉलीवुड में हमेशा से दिखाया जाता रहा है। परंतु इस फिल्म में असली जान तो कार्तिक आर्यन ने डाली है, जो ये सिद्ध करते हैं कि अब वो केवल चॉकलेटी बॉय तक सीमित नहीं रहना चाहते। वो अब Circumstantial एक्टर और विशुद्ध एक्टर के बीच वाले पोजीशन में हैं यानी अब खराब फिल्म में अपनी एक्टिंग से नाक नहीं कटवाएंगे, उल्टे उसे जितना हो सके बचाएंगे।
भूल भुलैया 2 अब इतनी भी बेकार नहीं थी परंतु जिसे लोगों ने पहले ही अपने मन में फ्लॉप मान लिया हो, उसे अपनी प्रतिभा से सफल करवाना और फ्लॉप्स के मौसम में एक ब्लॉकबस्टर वर्षा करवाना कोई मज़ाक नहीं है बंधु। अजय देवगन के अलावा केवल ये दूसरे अभिनेता हैं, जो इस वर्ष जनता के कोपभाजन का शिकार बनने के बजाए उनकी आंखों के तारे बने हैं, बस कोविड से पूर्व लव आज कल 2 जैसे पाप न करते तो और अच्छा रहता।
परंतु ‘फ्रेडी’ अगर देखने योग्य है तो केवल कार्तिक आर्यन के कारण। कल्पना कीजिए कि यदि कार्तिक आर्यन की जगह अर्जुन कपूर या फिर फरहान अख्तर या जॉन अब्राहम ही होते, तो? स्क्रीन तो छोड़िए, OTT पर भी कोई देखने को तैयार नहीं होता, ट्रोल होते सो अलग। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि कार्तिक आर्यन लंबी रेस के घोड़े हैं, न अब थमेंगे और रुकेंगे, झुकने का तो प्रश्न ही नहीं उठता। आशा करते है Freddy Movie का Review आपको पसंद आया होगा, ऐसे ही लेख पढ़ने के लिए हमें सब्सक्राइब करें।
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