Ganpati Atharvashirsha Lyrics : Pooja and Benefits

Ganpati Atharvashirsha Lyrics

Ganpati Atharvashirsha Lyrics : Pooja and Benefits

स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे Ganpati Atharvashirsha Lyricsके बारे में साथ ही इससे जुड़े पूजा के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें.

ॐ नमस्ते गणपतये।

त्वमेव प्रत्यक्षं तत्त्वमसि

त्वमेव केवलं कर्ताऽसि

त्वमेव केवलं धर्ताऽसि

त्वमेव केवलं हर्ताऽसि

त्वमेव सर्वं खल्विदं ब्रह्माऽसि

त्व साक्षादात्माऽसि नित्यम।।1।।

ऋतं वच्मि। सत्यं वच्मि 2

अव त्व मां। अव वक्तारं।

अव श्रोतारं। अव दातारं।

अव धातारं। अवानूचानमव शिष्यं।

अव पश्‍चातात्। अव पुरस्तात्।

अवोत्तरात्तात्। अव दक्षिणात्तातत्।

अवचोर्ध्वात्तात।। अवाधरात्तात्।।

सर्वतो मॉं पाहि-पाहि समंतात।।3।।

त्वं वाङ्‌मयस्त्वं चिन्मय:।

त्वमानंदमसयस्त्वं ब्रह्ममय:।

त्वं सच्चिदानंदाद्वितीयोऽसि।

त्वं प्रत्यक्षं ब्रह्माऽसि।

त्वं ज्ञानमयो विज्ञानमयोऽसि।।4।।

सर्वं जगदिदं त्वत्तो जायते।

सर्वं जगदिदं त्वत्तस्तिष्ठति।

सर्वं जगदिदं त्वयि लयमेष्यति।

सर्वं जगदिदं त्वयि प्रत्येति।

त्वं भूमिरापोऽनलोऽनिलो नभ:।

त्वं चत्वारि वाक्पदानि।5।।

त्वं गुणत्रयातीत: त्वमवस्थात्रयातीत:।

त्वं देहत्रयातीत:। त्वं कालत्रयातीत:।

त्वं मूलाधारस्थितोऽसि नित्यं।

त्वं शक्तित्रयात्मक:।

त्वां योगिनो ध्यायंति नित्यं।

त्वं ब्रह्मा त्वं विष्णुस्त्वं

त्वं रुद्रस्त्वं इंद्रस्त्वं अग्निस्त्वं

वायुस्त्वं सूर्यस्त्वं चंद्रमास्त्वं

ब्रह्मभूर्भुव:स्वरोम।।6।।

गणादि पूर्वमुच्चार्य वर्णादिं तदनंतरं।

अनुस्वार: परतर:। अर्धेन्दुलसितं।

तारेण ऋद्धं। एतत्तव मनुस्वरूपं।

गकार: पूर्वरूपं। अकारो मध्यमरूपं।

अनुस्वारश्‍चान्त्यरूपं। बिन्दुरुत्तररूपं।

नाद: संधानं। स हितासंधि:

सैषा गणेश विद्या। गणकऋषि:

निचृद्गायत्रीच्छंद:। गणपतिर्देवता।

ॐ गं गणपतये नम:।।7।।

एकदंताय विद्‌महे।

वक्रतुण्डाय धीमहि।

तन्नो दंती प्रचोदयात्।।8।।

एकदंतं चतुर्हस्तं पाशमंकुशधारिणम।

रदं च वरदं हस्तैर्विभ्राणं मूषकध्वजम।

रक्तं लंबोदरं शूर्पकर्णकं रक्तवाससम।

रक्तगंधाऽनुलिप्तांगं रक्तपुष्पै: सुपुजितम।।

भक्तानुकंपिनं देवं जगत्कारणमच्युतम।

आविर्भूतं च सृष्टयादौ प्रकृते पुरुषात्परम।

एवं ध्यायति यो नित्यं स योगी योगिनां वर:।।9।।

नमो व्रातपतये। नमो गणपतये।

नम: प्रमथपतये।

नमस्तेऽस्तु लंबोदरायैकदंताय।

विघ्ननाशिने शिवसुताय।

श्रीवरदमूर्तये नमो नम:।।10।।

गणेश पूजा –

सर्वप्रथम गणेश पूजा में भगवान गणपति को स्थापित करने के बाद उनका तिलक चन्दन या सिंदूर से करें और फिर उन्हें यज्ञोपवीत धारण कराकर विघ्नहर्ता प्रभु गजानन को माला पुष्प अर्पित करें भगवान विनायक को आक का पुष्प अति प्रिय है और माला पुष्प अर्पित करते समय यह विशेष ध्यान रखे की शास्त्रों में भगवान लम्बोदर के पूजन में तुलसी पत्र को निषिद्ध माना गया है अतः तुलसी पत्र न चढ़ाये |

फिर भगवान एकदन्त को सुगन्धित धूप दिखाए घी का दीपक प्रज्वलित करें, अब प्रभु महागणपति को लड्डू अर्पित करें अब प्रभु को जल अर्पण करें इसके बाद अपने मनोभावों को प्रभु के श्री चरणों में व्यक्त करते हुए उन्हें लौंग और छोटी ईलायची अर्पित करें |

Also Read-

गणपति अथर्वशीर्ष से लाभ –

आशा करते है कि Ganpati Atharvashirsha Lyrics के बारे में सम्बंधित यह लेख आपको पसंद आएगा एवं ऐसे ही लेख पढ़ने के लिए हमसे फेसबुक के माध्यम से जुड़े।

 

Exit mobile version