रिवर्सिंग डायबिटीज: आज की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में लोग प्रकृति से धीरे-धीरे दूर होते जा रहे हैं। न तो सोने का, न ही भोजन करने का कोई व्यवस्थित समय है और न ही अधिक से अधिक लोग व्यायाम करते हैं। इसलिए इस प्रकार की मानसिक और शारीरिक ऊहापोह के चलते आज कम उम्र में ही लोग बीमारी से घिरने लगते हैं। विशेषकर डायबिटीज तो एक ऐसी बीमारी है जो आज के समय में आम तौर पर युवाओं में भी देखने को मिल जाती है। यह एक ऐसी बीमारी है जो “स्लो पॉइजन” की तरह भी काम करती है यानी शरीर को धीरे-धीरे अंदर से खोखला बना देती है।
डायबिटीज से ग्रसित व्यक्ति की शारीरिक क्षमता एक समान्य व्यक्ति की तुलना में बहुत हद तक कम हो जाती है। इसके मुख्य रूप से दो प्रकार होते हैं टाइप 1 और टाइप 2. इन दोनों प्रकार की डायबिटीज में वंशानुगत रूप से बीमारी होने का खतरा बना रहता है। ऐसे में डायबिटीज को ठीक करने की एक प्रक्रिया “रिवर्सिंग डायबिटीज” के बारे में जानना होगा।
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रिवर्सिंग डायबिटीज क्या है?
रिवर्सिंग डायबिटीज का नाम सुनने के बाद आप सोच रहे होंगे कि डायबिटीज सुना है, शुगर का बढ़ना सुना है लेकिन ये रिवर्सिंग डायबिटीज क्या होती है। दरअसल, यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत शरीर में धीरे-धीरे ब्लड शुगर और इंसुलिन हार्मोन को ध्यान में रखते हुए डायबिटीज कम करने और ठीक करने का प्रयास किया जाता है। रिवर्सिंग डायबिटीज को अधिक आसान भाषा में समझें तो आपके शरीर में कोई छोटा सा घाव हो और उसे एक-एक चरण कर भरने का प्रयास किया जाए।
अब जानते हैं कि कैसे काम करती है रिवर्सिंग डायबिटीज? तो इस प्रक्रिया के तहत सात चरणों में डायबिटीज ठीक की जाती है। आपके शरीर के वजन से लेकर इंसुलिन हार्मोन तक सभी को ठीक किया जाता है।
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आइए उन 7 चरणों को जानते हैं।
- स्टेज1- इस चरण में शरीर में बढ़े हुए ब्लड शुगर को कम करने पर ध्यान दिया जाता है।
- स्टेज2- इस चरण में ब्लड शुगर के साथ-साथ जिन दवाईयों का आप सेवन करते हैं उन्हें और इंसुलिन हार्मोन को कम करने पर ध्यान दिया जाता है।
- स्टेज3- इस चरण में दवाई पूरी तरह से बंद हो जाती है और इंसुलिन हार्मोन भी कंट्रोल हो जाता है परन्तु ब्लड शुगर Hba1c अभी भी 6 से ऊपर रहता है।
- स्टेज4- इस चरण में आकर दवाईयों और इंसुलिन हार्मोन के साथ-साथ ब्लड शुगर भी कम होने लगता है। इस स्टेज पर आकर Hba1c 6 से घटकर 5.7 से लेकर 5.4 तक पहुंच जाता है। परन्तु खान-पान नियंत्रण न करने के कारण कभी-कभी चौथे चरण में आकर भी Hba1c 6 से ऊपर चला जाता है।
- स्टेज5- इस चरण में दवाई, इंसुलिन हार्मोन और ब्लड शुगर घटने के साथ-साथ जीटीटी भी पास होने लगता है।
- स्टेज6- इस चरण में आकर नेप्रोपैथी, रेटिनोपैथी और न्यूरोपैथी यानी किडनी की समस्या, आंख की समस्या और सिर दर्द कम होने लगता है। इंसुलिन हार्मोन और ब्लड शुगर के साथ-साथ थाइरॉइड और दूसरी बामीरियां ठीक होने लगती हैं।
- स्टेज7- इस स्टेज पर आकर रिवर्सिंग डायबिटीज की प्रक्रिया लगभग पूरी हो जाती है। दोबारा से आप उसी प्रकार से जीवन का आंनद ले सकते हैं।
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क्या “रिवर्सिंग डायबिटीज” कारगर है?
रिवर्सिंग डायबिटीज के विशेषज्ञ डॉक्टर कलोल गुहा का कहना है कि आमतौर पर लोग सोचते हैं कि डायबिटीज एक लाइलाज बीमारी है यानी इसे कभी पूर्ण रूप से ठीक ही नहीं किया जा सकता है। लेकिन आपको बता दें कि रिवर्सिंग डायबिटीज एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत आप अपने खान-पान और शारीरिक स्वास्थ का ध्यान रखते हुए डायबिटीज को ठीक कर सकते हैं और पोटलीभर दवाओं से निजात पा सकते हैं।
यदि रिवर्सिंग डायबिटीज के बारे में संक्षेप में कहें तो डायबिटीज या मधुमेह के मरीजों के लिए यह प्रक्रिया किसी वरदान से कम नहीं है, क्योंकि डायबिटीज होने के बाद लोगों का पूरा शरीर समस्याओं से भर जाता है।
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