अरे हां! क्यों नहीं, नीतीश जी की वजह से ही तो ईशान किशन दोहरा शतक बना पाए

बिहार जाइए और बस आंखें उठाकर देख लीजिए, विकास देखते ही आपकी आंखें चौंधिया जाएंगी। खेल जगत में हुए विकास की तो बात ही और है। नीतीश-लालू सरकार ने इस क्षेत्र में जो काम किया है उसका सबसे उत्कृष्ट उदाहरण ईशान किशन ही तो हैं।

Ishan Kishan double century

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Ishan Kishan ODI double century: अपने मुंह-मियां मिट्ठू बनना और कुछ किए बिना ही दूसरे के कार्यों का श्रेय लेना, यह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पुरानी आदत रही है। अरे भैया ऐसा हो भी क्यों न, आखिर 17 सालों में बिहार में नीतीश कुमार ने विकास की बहार जो ला दी है। बिहार जाइए और बस आंखें उठाकर देख लीजिए आपको हर तरफ केवल विकास ही विकास दिखाई देगा, विकास देखते ही आपकी आंखें चौंधिया जाएंगी। फिर चाहे वो शिक्षा के क्षेत्र की बात हो, स्वास्थ्य के क्षेत्र में या फिर खेल जगत में विकास की बात हो।

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बिहार का विकास भला किससे छिपा है

नीतीश कुमार की सरकार में हर क्षेत्र में हुआ विकास भला किससे छिपा है और विकास करने के बाद श्रेय तो वो लेंगे ही। बिहार में विकास है इसे कैसे नीतीश कुमार ने साबित किया है चलिए आपको बताते हैं। अभी हाल ही में बिहार के नवादा के रहने वाले क्रिकेटर ईशान किशन ने बांग्लादेश के खिलाफ ओडीआई मैच में दोहरा शतक लगाकर सभी को चौंका दिया है। जिसके बाद Ishan Kishan ने ODI में सबसे तेज double century बनाने का रिकार्ड भी स्थापित किया है। फिर क्या था बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक ट्वीट किया और ईशान को शुभकामनाएं दे डालीं।

नीतीश कुमार ने अपने ट्वीट में लिखा कि- ‘भारत की ओर से बांग्लादेश के खिलाफ तीसरे एकदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैच में सबसे तेज दोहरा शतक लगाने पर बिहार के प्रतिभाशाली खिलाड़ी ईशान किशन को बधाई एवं शुभकामनाएं। उनके इस प्रदर्शन से न सिर्फ बिहार बल्कि पूरा देश गौरवान्वित है।’

वाह क्या बात कि है नीतीश कुमार जी, आपके और लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल में बिहार क्रिकेट को अद्भुत और अतुलनीय विकास हासिल हुआ है, तभी तो ईशान किशन जैसे प्रतिभावान खिलाड़ी कीर्तिमान स्थापित कर पा रहे हैं। इतनी सुविधाएं मिलने के बाद तो बिहार का एक लड़का क्या पूरा बिहार ही एक से एक कीर्तिमान स्थापित कर सकता है। ईशान किशन ने जो यह वर्ल्ड रिकॉर्ड (Ishan Kishan ODI double century) बनाया है उसका पूरा-पूरा श्रेय नीतीश-लालू की जोड़ी को ही जाता है।

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खेल जगत की स्थिति बहुत खराब है

वास्तव में देखें तो बिहार में खेल जगत की स्थिति बहुत ही खराब है। साल 2018 में बिहार क्रिकेट को मान्यता मिल गयी थी। जिसके बाद यहां 10 से अधिक एकेडमी और खुल गई थीं लेकिन उसके बाद भी यहां से बड़े क्रिकेटर नहीं निकल पाए। इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण यह है कि यहां इंफ्रास्ट्रक्चर का अभाव है और टॉप लेवल के क्वालिफाइड कोच की भी कमी है। यही कारण है कि बिहार से नेशनल-इंटरनेशनल क्रिकेटर नहीं निकल पा रहे हैं। इसके विपरीत भारत के कई राज्यों में खिलाडियों के लिए अलग-अलग तरह की सुविधाएं उपलब्ध हैं, जिससे बच्चों के आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती है साथ ही उनको खेलने के लिए बेहतर संसाधन मिल पाते हैं, उदहारण के लिए आप हरियाणा को देख सकते हैं।

अभी हाल ही में राष्ट्रमंडल खेलों में हरियाणा के खिलाड़ियों ने भी भाग लिया था, इन खिलाड़ियों को राज्य सरकार की ओर से ओलंपिक की तर्ज पर 2.5 लाख रुपये की एडवांस राशि प्रदान की गयी थी, जिससे खिलाड़ियों को खेल के लिए तैयारी करने में बहुत सहुलियत हुई थी। जबकि बिहार में ऐसा कुछ भी नहीं। यहां पर तो क्रिकेट बोर्ड से लेकर यहां की स्कूल व्यवस्था तक ध्वस्त है, उस पर भी नीतीश कुमार जी की बेशर्मी तो देखिए, बिना कुछ किए ही सारा श्रेय ले रहे हैं। जब यहां के स्कूल में ढंग के मैदान, बिजली अन्य सामग्री तक उपलब्ध नहीं हैं तो सोचिए कि खिलाडियों के लिए ऐसी निकम्मी सरकार क्या सुविधाएं उपलब्ध करवाएगी।

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दूसरे राज्यों में बिहार के बच्चे करते हैं प्रैक्टिस

बिहार से झारखंड के अलग हो जाने के बाद से यहां की किसी भी एकेडमी से कोई भी खिलाड़ी नहीं निकला है। ईशान किशान के साथ बिहार से अनुकूल आशीष, अनुनय नारायण सिंह, सहबाज नदीम, अनुकूल राय, मोनू सिंह, एसपी गौतम, वरूण अरूण और आकाशदीप जरूर खिलाडी सामने आये हैं लेकिन अनुनय को छोड़ कर बाकि सभी क्रिकेटर झारखंड से ही खेलते हैं। इनमें से कोई खिलाडी अपनी प्रैक्टिस मुंबई में करता है तो कोई दिल्ली में। ईशान किशन खुद ही अपने शुरुआत के दिनों में पटना में खेलते थे लेकिन साल 2012 में वह रांची चले गए और वहीं से अंडर 16 खेले और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।

इन सब के अभाव के बाद भी अगर खिलाड़ी अपने दम पर बिहार का नाम रोशन करते हैं तो उनके लिए भी यहां किसी भी तरह की कोई विशेष सुविधा नहीं है, न ही उनके खेल को प्रोत्साहन देने के लिए कोई स्कीम या योजना है। इतना ही नहीं इन खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाने के लिए सरकार ने न के बराबर अपना योगदान दिया है।

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क्रिकेट के संदर्भ में अगर बात की जाए तो लालू युग के जंगल राज ने बिहार क्रिकेट को गर्त में पहुंचाया और बाकि का काम नीतीश सरकार ने निपटा दिया। आठ बार बिहार के मुख्यमंत्री बनने के बाद भी  नीतीश कुमार ने बिहार के खेल जगत को क्या सौगात दी? खिलाड़ियों के लिए क्या किया? स्कूल के बच्चों के लिए कितने मैदानों का निर्माण करवाया? ऐसे तीखे प्रश्नों का उत्तर नीतीश कुमार के पास तो होगा ही नहीं। अतः नैतिकता का परिचय देते हुए नीतीश बाबू को अपना मुंह बंद रखना चाहिए, नहीं तो पूरा देश उनके द्वारा बिहार में किए गए विकास कार्यों की प्रशंसा करते नहीं थकेगा।

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