कितनी बार ऐसा होता है कि व्यापारिक गतिविधियों से संबंधित जारी किए जाने वाले आंकड़ों पर हम विशेष ध्यान नहीं देते हैं। हम जारी किए गए आंकड़ों से संबंधित ख़बर की हैडलाइन पढ़कर आगे निकल जाते हैं। लेकिन आपको यह समझना चाहिए कि जो हैडलाइन में लिखा है उतना ही सच नहीं है। कई बार सत्य उस हैडलाइन से बिल्कुल अलग होता है। हाल ही में चीन के साथ भारत के व्यापारिक घाटे को लेकर जो आंकड़े जारी किए गए हैं, उनको समझने की कोशिश करते हैं कि किस तरह से उन्हें पेश किया जा रहा है और उनके पीछे का वास्तविक सत्य क्या है?
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पहले देख लेते हैं कि केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने राज्यसभा में चीन के साथ व्यापारिक घाटे को लेकर जो आंकड़े जारी किए हैं, उनको लेकर किस तरह की ख़बरें बनाई जा रही हैं।
उदाहरण के लिए इकोनॉमिक टाइम्स और टाइम्स ऑफ़ इंडिया की इन दो हैडलाइन को देखिए। इन हैडलाइन को देखकर कोई भी यही समझेगा कि चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा निरंतर बढ़ रहा है। ऐसे में बहुत से लोग समझेंगे कि सरकार मेक इंडिया की बात करती है, चीन से आयात कम करने की बात करती है, इसके बाद भी चीन से आयात बढ़ता जा रहा है। लेकिन क्या वास्तव में ऐसा हो रहा है? इसका सीधा जवाब है नहीं। आइए, समझते हैं कैसे?
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आंकड़ों से समझिए सबकुछ
इस वित्तीय वर्ष यानी कि अप्रैल से अक्टूबर के बीच भारत और चीन के बीच व्यापार घाटे का अंतर 51.5 बिलियन डॉलर का रहा है। 9 दिसंबर को यह जानकारी भारत सरकार ने संसद में दी। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने जो आंकड़े संसद में प्रस्तुत किए हैं, उनके अनुसार 2020-21 में जहां व्यापार घाटा 44.03 बिलियन डॉलर था वहीं अब 2021-22 में व्यापार घाटा बढ़कर 73.31 बिलियन डॉलर हो गया है।
आंकड़ों के मुताबिक इस वित्तीय वर्ष यानी अप्रैल से लेकर अक्टूबर तक 60.27 बिलियन डॉलर का आयात चीन से हुआ है, वहीं निर्यात केवल 8.77 बिलियन डॉलर का हुआ है। पीयूष गोयल ने संसद में बताया कि भारत से चीन को 2014-15 में 11.93 बिलियन डॉलर का निर्यात किया था जोकि 2021-22 में बढ़कर 21.26 बिलियन डॉलर हो गया। पिछले 6 वर्ष में यह 78.2 फीसदी की बढ़ोतरी है। वहीं दूसरी तरफ चीन से 2014-15 में 60.14 बिलियन डॉलर का आयात हुआ था जोकि 2021-22 में बढ़कर 94.57 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया।
अब आप समझ रहे होंगे कि यह सही है कि निर्यात बढ़ा है लेकिन निर्यात के मुकाबले आयात बहुत ज्यादा बढ़ा है। इस वज़ह से व्यापार घाटा भी बढ़ा है और यही तो सभी मीडिया संस्थान कह रहे हैं, लेकिन नहीं अब आगे एक और तस्वीर देखिए।
वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने संसद में बताया, “2004-05 में व्यापार घाटा 1.48 बिलियन डॉलर था, जो कि 2013-14 में बढ़कर 36.21 बिलियन डॉलर हो गया था। यह 2,346 फीसदी की बढ़ोतरी थी। जबकि उसके बाद 2021-22 तक चीन के साथ व्यापार घाटा में सिर्फ 100 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, 2021-22 में यह 73.31 बिलियन डॉलर हुआ है।”
The trade deficit with China suddenly increased after 2003-04 over the next decade. Our imports increased from $4 billion in 2003-04 to $51 billion in 2013-14.
Modi govt encouraged domestic manufacturing with its initiatives.
– Shri @PiyushGoyal in Rajya Sabha pic.twitter.com/6MK9rVGDq0
— BJP (@BJP4India) December 9, 2022
इसका अर्थ यह 2004-05 से लेकर 2013-14 तक व्यापार घाटे में जो वृद्धि 2,346 फीसदी हो रही थी वही वृद्ध आगे के वर्षों में कम हो गई। 2014-15 से लेकर 2021-22 में व्यापारिक घाटे में 100 फीसदी की वृद्धि हुई है, जो कि पिछले वृद्धि से बहुत कम है। ऐसे में यह निश्चित तौर पर कहा जा सकता है कि चीन से आयात निश्चित तौर पर कम हुआ है और निर्यात बढ़ा है।
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चीन से इसलिए आयात कर रहा भारत
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने इसके साथ ही बताया कि चीन से जो वस्तुएं आयातित की गईं उनमें ज्यादातर पूंजीगत माल (Capital Goods), आंशिक तौर पर तैयार माल (Intermediate Goods) और कच्चा सामान है। उन्होंने बताया इस सामान को आयात किया गया जिससे कि इलेक्ट्रॉनिक्स, टेलीकॉम और विद्युत जैसे भारत में तेजी से बढ़ रहे सेक्टर्स की पूर्ति की जा सके।
इसके साथ ही वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने बताया कि चीन से आयात इसलिए किया जा रहा है जिससे कि भारत में वस्तुओं का निर्माण किया जा सके और उन्हें निर्यात किया जा सके।
इसका अर्थ यह है कि चीन से जो आयात किया भी जा रहा है वो भी इसलिए किया जा रहा है जिससे कि यहां उत्पाद का निर्माण करके उसका दूसरे देशों में निर्यात किया जा सके। ऐसे में यह कहना कि पहले की तरह ही चीन से आयात हो रहा है पूरी तरह से ग़लत होगा। हां यह अवश्य कह सकते हैं कि चीन के साथ जो व्यापार घाटा बढ़ रहा है वो अच्छा है क्योंकि वहां से कच्चा माल खरीदकर हम उत्पाद का अपने देश में निर्माण कर रहे हैं और उसे फिर दूसरे देशों में बेच रहे हैं।
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