जानिए दुनिया के सबसे पुराने बंदरगाह शहर लोथल की कहानी

लोथल सिंधु घाटी सभ्यता के समय का एक बंदरगाह शहर था। दुनियाभर में लोथल को सबसे पुराने डॉकयार्ड के तौर पर जाना जाता है। लोथल का महत्व बढ़ाने के लिए यहां मोदी सरकार के द्वारा राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर का निर्माण कराया जा रहा है।

Know the story of World’s oldest port city Lothal

Source- Roar Media

भारत का इतिहास कई रोचक और अहम तथ्‍यों का खज़ाना है। वहीं भारत के अतीत की सबसे पहली तस्वीर सिंधु घाटी सभ्यता से मिलती है क्योंकि ये विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में से एक है। इस सभ्यता का विकास सिंधु और घघ्घर/हकड़ा (प्राचीन सरस्वती) के किनारे हुआ था। वहीं अगर इसके प्रमुख केंद्रों की बात करें तो ये है हड़प्पा, मोहनजोदाड़ो, काली बंगा, लोथल, धोलावीरा और रखिगढ़ी। वैसे तो सभी की अपनी-अपनी विशेषताएं है। क्या आपको पता है कि सभ्यता के प्रमुख केन्द्रों में से एक ऐसा है केंद्र जिसे दुनिया के सबसे पुराना बंदरगाह शहर कहा जाता है? अगर नहीं तो आइये जानते है विश्व के सबसे पुराने बंदरगाह शहर लोथल (lothal) की पूर्ण कहानी के बारे में…

लोथल (lothal) को सिंधु घाटी सभ्यता के सबसे दक्षिणी स्थलों में से एक माना जाता है जो इस समय गुजरात राज्य के भाल क्षेत्र में स्थित है। वहीं गुजराती में लोथल (लोथ और थाल का एक संयोजन) का शाब्दिक अर्थ होता है “मृतकों का टीला।” इस बंदरगाह शहर का निर्माण 2,200 ईसा पूर्व में हुआ था। प्राचीन काल में लोथल एक फलता-फूलता व्यापार केंद्र हुआ करता था, जहां मोतियों, रत्नों और गहनों का व्यापार पश्चिम एशिया तथा अफ्रीका तक होता था। इसी कारण लोथल को दुनिया का सबसे पुराना और ज्ञात बंदरगाह के रूप में जाना जाता था।

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लोथल (lothal) की खोज

ये शहर को सिंध के हड़प्पा शहरों और सौराष्ट्र प्रायद्वीप के बीच व्यापार करने वाले मार्ग पर साबरमती नदी के प्राचीन मार्ग से जोड़ने का काम करता था। वहीं इस बंदरगाह की खोज की बात करें तो भारतीय पुरातत्त्वविदों ने वर्ष 1947 के बाद से गुजरात के सौराष्ट्र में हड़प्पा सभ्यता के शहरों की खोज आरम्भ की थी। पुरातत्त्वविद् एस.आर.राव ने पूरी टीम का नेतृत्व किया था। इस टीम के द्वारा ही कई हड़प्पा स्थलों की खोज की गयी थी, जिसमें बंदरगाह शहर लोथल भी सम्मिलित है। इसके बाद ही फरवरी 1955 से मई 1960 के बीच में लोथल में खुदाई का कार्य हुआ था। अप्रैल 2014 में लोथल (lothal) को यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित किया जा चुका है। इसका आवेदन यूनेस्को की अस्थायी सूची में लंबित है।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशनोग्राफी, गोवा के द्वारा स्थल पर समुद्री माइक्रोफॉसिल और नमक, जिप्सम, क्रिस्टल की खोज की थी, जिससे इस बात की जानकारी मिलती है कि यह निश्चित रूप से एक डॉकयार्ड था। इसके बाद की खुदाई में ASI ने टीला, बस्ती, बाज़ार और बंदरगाह की खोज हुई थी। इन खुदाई वाले क्षेत्रों के पास पुरातात्त्विक स्थल संग्रहालय भी मौजूद है।

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लोथल में बन रहा राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर

लोथल (lothal) की पहचान दुनियाभर में सबसे पुराने डॉकयार्ड (पानी के जहाजों का रखरखाव) के रूप में की जाती है। अभी हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गुजरात के लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (National Maritime Heritage Complex) के निर्माण की समीक्षा की थी। साथ ही प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने इस पर कहा कि हमारे इतिहास में ऐसी कई कहानियां हैं, जिन्हें भुला दिया गया आगे उन्होंने यह भी कहा था कि लोथल न केवल सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे प्रमुख व्यापार केंद्र था, बल्कि ये भारत की समुद्री शक्ति और समृद्धि की पहचान था।

लोथल में नेशनल मैरीटाइम हेरिटेज कॉम्प्लेक्स बना रही है मोदी सरकार (Source- Google)

बता दें कि ‘नेशनल मैरीटाइम हेरिटेज कॉम्प्लेक्स’ को 3500 करोड़ रुपये की लागत में तैयार कराया जा रहा है। इस कॉम्पलेक्स में कई सारे इनोवेटिव फीचर शामिल होंगे जैसे- आई-रीक्रिएशन। आई-रीक्रिएशन के माध्यम से इमर्सिव टेक्नोलॉजी और चार थीम पार्कों (मेमोरियल थीम पार्क, मैरीटाइम एंड नेवी थीम पार्क, क्लाइमेट थीम पार्क और एडवेंचर एंड एम्यूज़मेंट थीम पार्क) के जरिए हड़प्पा वास्तुकला और जीवन शैली को फिर से निर्मित किया जाएगा। ये भारत के समुद्री इतिहास के विषय में ठीक तरह से समझने और सीखने के केंद्र के रूप में काम करेगा। NMHC के द्वारा भारत की विविध और अनोखे समुद्री विरासत को अधिक समीप से जानने में सहायता मिलेगी। साथ ही इससे लोथल (lothal) को एक विश्व स्तरीय अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में दर्शाने के उद्देश्य में भी मदद मिलेगी।

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