“लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी” भारतीय स्कूलों में इस ‘दुआ’ पर तुरंत प्रतिबंध लगना चाहिए

भारतीय स्कूल में इकबाल की इस 'दुआ' को प्रार्थना के तौर पर गाने का क्या औचित्य है?

लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी

SOURCE TFI

लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी

ज़िंदगी शमा की सूरत हो ख़ुदाया मेरी!

“लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी” कविता भले ही सुनने में सुरीली लगे लेकिन इस कविता और इनके शब्दों को लेकर इस समय बवाल मचा हुआ है। यह कविता और इसके शब्दों के माध्यम से  इस्लामिक कट्टरपंथी अपनी सोच को लोगों पर थोपने और अपने विचारों को पुष्ट करने के लिए उपयोग में ला रहे हैं। जी हां यही सत्य है।

दरअसल, उत्तरप्रदेश के बरेली जिले के एक सरकारी स्कूल में ‘लब पे आती है दुआ’  कविता का छात्रों से पाठ कराने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में एक शिक्षक सुबह की प्रार्थना सभा में छात्रों से ‘लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी’ का पाठ करवाता हुआ दिख रहा है।

परन्तु प्रश्न यह है कि ‘लब पे आती है दुआ’ प्रर्थना में ऐसा क्या है जिसके बाद न केवल यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है बल्कि स्कूल के प्रिंसिपल को निलंबित भी कर दिया गया है। इस लेख में हम जानेंगे कि यह कविता किसने लिखी और वर्तमान समय में इसका उपयोग किस उद्देश्य के साथ किया जा रहा है? इसके पीछे के एजेंड पर प्रकाश डालाने का भी प्रयास करेंगे।

‘लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी’ कविता का अर्थ और कवि

‘लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी, ज़िंदगी शमा की सूरत हो ख़ुदाया मेरी! अर्थात् हे खुदा मेरी आपसे यही दुआ है कि मेरी जिंदगी शमा यानी दीपक की तरह हो। इस कविता की इन पंक्तियों के अर्थ को देखकर तो यही लगता कि इस कविता का उद्देश्य सकारात्मक है परन्तु ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। कविता की आगे की पंक्तियां ही पूरे विवाद की जड़ है।

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मेरे अल्लाह! बुराई से बचाना मुझको

असल में यही वो पंक्ति है जो विवाद की जड़ है। इस कविता का समर्थन करने वाले तर्क देते हैं कि इसमें तो ऐसा कुछ भी नहीं है जो किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाए। परन्तु प्रश्न यह है कि ये कविता बहुत अच्छी और सच्ची कविता हो सकती है लेकिन इस्लाम धर्म को मानने वालों के लिए। जो लोग दूसरे धर्म के हैं वो अल्लाह का नाम क्यों लें।

अब कविता के कवि पर ध्यान देते हैं। बात यह है कि कविता अलामा इकबाल के द्वारा लिखी गई है  जो एक ऐसा व्यक्ति था जो भारत के विभाजन के पक्ष में था यानी आज जो पाकिस्तान बना है उसमें अलामा इकबाल का भी योगदान है। इसलिए ऐसे व्यक्ति के द्वारा लिखी गई कविता का पाठ करवाने का तो कोई तुक ही नहीं है।

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विवाद की पृष्ठभूमि

यदि अलामा इकबाल की ‘लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी’ कविता पर हो रहे विवाद की पृष्ठभूमि की बात करें तो उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के कमला नेहरू उच्च प्राथमिक विद्यालय, नगर क्षेत्र फरीदपुर की प्रधानाचार्य और नियोजित शिक्षक के विरुद्ध केस दर्ज किया गया है। इन दोनों पर आरोप है कि इन्होंने शायर इकबाल की कविता ‘लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी’ मुस्लिम बच्चों के साथ-साथ हिंदू बच्चों से भी गवाई। 21 दिसंबर को सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल भी हो गया जिससे मामले को लेकर चर्चाएं होने लगीं। इसके बाद स्कूल प्रधानाचार्या और शिक्षक के विरुद्ध कार्रवाई की गई। इस संबंध में ‘विश्व हिंदू परिषद’ के द्वारा शिकायत करने के बाद यह मामला तूल पड़कने लगा।

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, ‘पुलिस को दी गई अपनी शिकायत में वीएचपी पदाधिकारी ने आरोप लगाते हुए शिकायत की है कि ‘प्रिंसिपल नाहिद सिद्दीकी और वजीरुद्दीन हिंदुओं की भावनाओं को आहत करने के इरादे से मुस्लिम पद्धति से छात्रों से नमाज पढ़वा रहे थे। यह छात्रों को इस्लाम के प्रति आकर्षित करने के लिए किया जा रहा था. दोनों शिक्षक हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचा रहे हैं और छात्रों के धर्मांतरण की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि प्रिंसिपल नाहिद सिद्दीकी को निलंबित कर दिया गया है और वजीरुद्दीन के खिलाफ अभी जांच चल रही है।

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पहले भी आ चुके हैं ऐसे मामले

उत्तर प्रदेश में यह दूसरा मामला है जब इस कविता का पाठ कराया गया है। इससे पहले 2019 में पीलीभीत के एक सरकारी स्कूल में भी इसी प्रकार का मामला सामने आया था। अब यह दूसरा मामला है जो बरेली के एक सराकारी स्कूल से सामने आया है।

वैसे तो इस मामले को स्कूल के एक छोटे से मामले के रूप में देखते हुए आया-गया भी माना जा सकता है। लेकिन यह समझना आवश्यक है कि कैसे एक कविता के माध्यम से बच्चों के मन मस्तिष्क में बड़ी ही चालाकी से ऐसे विचारों को डाला जा रहा है जो धर्मांतरण को बढ़ावा देते हों। ये ऐसा ही है कि अपना काम भी कर दो और किसी को कानों कान खबर तक न मिले। ऐसी चालाकियों और षड्यत्रों पर चोट करते हुए सरकार को इस कविता के पाठ पर पूर्ण रूप से प्रतिबंधित लगा देना चाहिए।

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