पान सिंह तोमर: एक फिल्म जिसने छोटी बजट की फिल्मों का गणित ही बदल दिया

क्षेत्रीय सिनेमा पान सिंह तोमर के 'कॉन्सेप्ट' को आत्मसात कर चुका है लेकिन यह दुखद है कि जिस बॉलीवुड ने सभी को यह मार्ग दिखाया, वो स्वयं इसे आत्मसात नहीं कर सका.

पान सिंह तोमर

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आज कल आप देख रहे होंगे कि बेहतरीन कंटेंट के साथ छोटी बजट की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा रही हैं. क्षेत्रीय सिनेमा के कई उदाहरण हमारे सामने हैं लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि उसके मूल में भी बॉलीवुड ही है. अब आप भी सोच रहे होंगे कि ये कैसे हो सकता है? निश्चिंत रहिए, हम बताएंगे. इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे इरफान खान की बेहतरीन फिल्म पान सिंह तोमर ने छोटे बजट की फिल्मों की परिभाषा ही बदल कर रख दी और अगर बॉलीवुड ने इसे आत्मसात किया होता तो उसकी आज यह दुर्दशा न हुई होती.

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कम बजय की फिल्म और तिगुना कलेक्शन

दरअसल, पान सिंह तोमर बॉलीवुड की सबसे बेहतरीन फिल्मों से एक है, जो सेना के भारतीय राष्ट्रीय खेल के स्वर्ण पदक विजेता पान सिंह तोमर की सच्ची कहानी पर आधारित है, जो मजबूरन एक बागी बन जाता है. फ़िल्म का निर्देशन तिग्मांशु धुलिया द्वारा किया गया था, जिसमें इरफ़ान खान मुख्य भूमिका में थे. यह फिल्म रिलीज होते ही लोगों के दिलों में घर कर गई थी. लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस फिल्म का बजट मात्र 7 करोड़ था लेकिन इसने जो तूफान मचाया, उसके आगे कोई टिक नहीं सका. आज भी लोग इस फिल्म की जमकर तारीफ करते हैं. इस फिल्म के कंटेंट में जान तो थी ही, साथ ही इरफान की एक्टिंग के बारे में क्या ही बात की जाए. उन्होंने इस फिल्म में पान सिंह तोमर के रियल कैरेक्टर को जीवंत कर दिया था.

इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर तलहका मचाते हुए अपने बजट का तिगुना कलेक्शन किया था. वर्ष 2010 में प्रदर्शित हुई इस फिल्म पर नजर तो सबकी पड़ी लेकिन बॉलीवुड इससे सीख नहीं ले पाया. बॉलीवुडिया गैंग अपनी अकड़ में चूर आगे बढ़ता रहा और आज इस इंटस्ट्री की स्थिति क्या है, यह सभी के सामने है. बेकार कंटेंट साथ बॉलीवुड बड़ी बजट की फिल्में बनाने में लगा रहा, अपना एजेंडा परोसने में लगा रहा. धीरे धीरे चीजें स्पष्ट हुईं और लोगों ने इन्हें आड़े हाथों लेना शुरू कर दिया. शुरु में तो बॉलीवुडिया गैंग ने लोगों को सीरियस ही नहीं लिया लेकिन जब इस गैंग के टॉप मेंबर्स की फिल्में ही फ्लॉप होने लगी तो ये मंदिरों के चक्कर काटने लगे. हालांकि, स्थिति आज भी वही बनी हुई है.

बॉलीवुड तो नहीं लेकिन क्षेत्रीय सिनेमा रिकॉर्ड बना रहा

आज भी बॉलीवुड अपनी घिसी पिटी कहानी पर 250-300-400 करोड़ रुपये लगाकर फिल्में बना रहा है और स्थिति ऐसी हो जा रही है कि बजट के चक्कर में ही इनकी फिल्में फ्लॉप हो जा रही हैं. जरा सोचिए किसी सामान्य कहानी पर आप 400 करोड़ लगाकर फिल्म बनाएंगे और बॉक्स ऑफिस पर इसका कलेक्शन 150-200 करोड़ रहेगा, तो भी ये फिल्म फ्लॉप ही मानी जाएगी.

इसका सीधा और आसान उपाय यही है कि अच्छी कहानी पर कम से कम बजट में बेहतरीन फिल्म बनाइए और दोगुना, तिगुना कमाईए! पहले भी कम बजट की फिल्में बनती थीं लेकिन उनमें वो आक्रामकता नहीं होती थी, जिसकी अपेक्षा लोगों को होती है लेकिन पान सिंह तोमर के बाद से चीजें बदल गईं.

बॉलीवुड को छोड़ दें तो क्षेत्रीय सिनेमा पूरी तरह से पान सिंह तोमर वाले कॉनसेप्ट को आत्मसात कर चुका है. हाल ही में प्रदर्शित कन्नड़ फिल्म कांतारा इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है. 16 करोड़ की बजट में बनी यह फिल्म अभी तक 400 करोड़ के करीब कलेक्शन कर चुकी है. कार्तिकेय-2 इसका प्रमाण है. 777 चार्ली, किरक पार्टी, गूड़ाचारी जैसी क्षेत्रीय फिल्में भी ऐसे ही रिलीज हुईं और रिकॉर्ड बनाया लेकिन बॉलीवुड ऐसा करने में विफल रहा. और अगर अभी भी बॉलीवुड के कथित सूरमा अपनी निद्रा से नहीं जागते हैं तो आगे वाले समय में इस इंडस्ट्री की स्थिति क्या होगी, इसका अंदाजा आप स्वयं लगा सकते हैं.

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