Rani Lakshmi Bai Essay in Hindi and Life Introduction

Rani Lakshmi Bai Essay in Hindi

Rani Lakshmi Bai Essay in Hindi and Life Introduction

स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे Rani Lakshmi Bai Essay in Hindi के बारे में साथ ही इससे जुड़े विवाह एवं विशेषताएँ  के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें.

प्रस्तावना –

इतिहास का एक नया अध्याय जोड़ने वाली वीर भारतीय नारियो का गौरव – गान सारा संसार एक स्वर से करता है|क्युकी इन्होने ना केवल अपनी अपार शक्ति से अपने देश और वातावरण को ही प्रभावित किया है, समस्त विश्व को वीरता का अभिषिष्ठ मार्ग भी दिखाया है| ऐसी वीरांगनाओ में महारानी लक्ष्मी बाई का नाम अग्रणीय है| इस वीरांगना से आज भी हमारा राष्ट्र और समाज गर्वित और पुलकित है|

महारानी लक्ष्मी बाई का जन्म-

नाम मणिकर्णिका  ताम्बे  [ विवाह  के  पश्चात्  लक्ष्मीबाई
जन्म सन  1828
पिता मोरोपंत  ताम्बे
माता भागीरथी  बाई
पति झाँसी  नरेश  महाराज  गंगाधर  रावनेवलेकर
संतान दामोदर  राव,  आनंद  राव
मृत्यु सन  1858  [ 29  वर्ष ]

 

झाँसी की रानी जीवन  परिचय –

महारानी  लक्ष्मीबाई  का  जन्म  एक  ब्राह्मण  परिवार  में  सन  1828 में  काशी  में  हुआ,  जिसे  अब  वाराणसी  के  नाम  से  जाना  जाता  हैं.  उनके  पिता  मोरोपंत  ताम्बे  बिठुर  में  न्यायलय  में  पेशवा  थे  और  इसी  कारण  वे  इस  कार्य  से  प्रभावित  थी  और  उन्हें  अन्य  लड़कियों  की  अपेक्षा  अधिक  स्वतंत्रता  भी  प्राप्त  थी.  उनकी  शिक्षा – दीक्षा  में  पढाई  के  साथ – साथ  आत्म – रक्षा,  घुड़सवारी,  निशानेबाजी  और  घेराबंदी  का  प्रशिक्षण  भी  शामिल  था

विवाह

कुछ समय बाद सन् 1842 में मनु का विवाह झांसी के राजा गंगाधर राव नेवालकर के साथ कर दिया गया था। शादी के बाद मन्नू रानी लक्ष्मी बाई के नाम से जानी जाने लगी। इस तरह काशी की कन्या झांसी की रानी  बन गई थी। यहां पर रानी लक्ष्मी बाई को पर्दे में रहना पड़ता था। उच्च विचारों वाली लक्ष्मी बाई को अच्छा नहीं लगा था। उन्होंने किले के अंदर ही अस्त्र शस्त्र चलाना और घुङसवारी करना आरंभ कर दिया था। झांसी में लक्ष्मी बाई ने एक स्त्रियों की सेना भी तैयार की थी। राजा गंगाधर राव अपनी पत्नी की योग्यताओं से बहुत प्रश्न्न थे।

राजा गंगाधर राव का निधन –

पुत्र गोद लेने के दूसरे दिन ही 21 नवंबर 1853 में गंभीर बीमारी के चलते राजा गंगाधर राव का निधन हो गया था। रानी लक्ष्मी बाई ने अपने दत्तक पुत्र के साथ राजकाज संभालने का फैसला किया था, लेकिन अंग्रेजी शासक झांसी पर कब्जा करना चाहते थे। अंग्रेजों ने नागपुर,तजावर, सतारा से मराठों की सेनाओं को समाप्त कर दिया था तथा इन क्षेत्रों को ब्रिटिश कंपनी का हिस्सा बना लिया था। इसके बाद इनकी नजर झांसी पर पड़ी थी। गंगाधर राव की मौत के बाद झांसी को भी खत्म करने के लिए लॉर्ड डल्हौजी ने योजना बनाई थी।

रानी  लक्ष्मीबाई की   विशेषताएँ  –

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रानी लक्ष्मी बाई मृत्यु  –

17 जून, 1858  में  किंग्स  रॉयल  आयरिश  के  खिलाफ  युध्द  लड़ते  समय  उन्होंने  ग्वालियर  के  पूर्व  क्षेत्र   का  मोर्चा  संभाला.  इस  युध्द  में  उनकी  सेविकाए  तक  शामिल  थी  और  पुरुषो  की  पोषक  धारण  करने  के  साथ  ही  उतनी  ही  वीरता  से  युध्द  भी  कर  रही  थी.  इस  युध्द  के  दौरान  वे  अपने  ‘राजरतन’  नामक  घोड़े  पर  सवार  नहीं  थी  और  यह घोड़ा नया  था,  जो  नहर  के  उस  पार  नही  कूद  पा  रहा  था,  रानी  इस  स्थिति  को  समझ   गयी  और  वीरता  के  साथ  वही  युध्द  करती  रही.  इस  समय  वे  बुरी  तरह  से  घायल  हो  चुकी  थी  और  वे  घोड़े  पर  से  गिर  पड़ी.  चूँकि   वे  पुरुष  पोषक  में  थी,  अतः  उन्हें  अंग्रेजी  सैनिक  पहचान  नही  पाए  और  उन्हें  छोड़  दिया.  तब  रानी  के  विश्वास  पात्र  सैनिक  उन्हें  पास  के  गंगादास  मठ  में  ले  गये  और  उन्हें  गंगाजल  दिया.  तब  उन्होंने  अपनी  अंतिम  इच्छा  बताई  की  “ कोई  भी  अंग्रेज  अफसर  उनकी  मृत  देह  को  हाथ  न  लगाए.  ”  इस  प्रकार  कोटा  की  सराई  के   पास  ग्वालियर  के  फूलबाग  क्षेत्र  में  उन्हें  वीरगति  प्राप्त  हुई  अर्थात्  वे  मृत्यु  को  प्राप्त  हुई.

FAQ

Ques – रानी लक्ष्मी बाई का जन्म कब हुआ?

Ans – रानी लक्ष्मी बाई का 19 नवम्बर 1828 में हुआ।

Ques- रानी लक्ष्मी बाई का निधन कब हुआ?

Ans – रानी लक्ष्मी बाई के निधन बारे में मतभेद है 17 ये फिर 18 जून 1858 (29 वर्ष) कोटा की सराय, ग्वालियर, भारत में हुआ था।

Ques- मृत्यु के समय रानी लक्ष्मी बाई की आयु कितनी थी?

Ans- मृत्यु के समय रानी लक्ष्मी बाई की आयु 29 वर्ष थी।

Ques- रानी लक्ष्मी बाई कहां की रानी थी?

Ans – रानी लक्ष्मी बाई झाँसी की रानी थी।

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