Samas Kise Kahate Hain समास किसे कहते हैं : परिभाषा एवं उदाहरण
स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे Samas Kise Kahate Hain बारे में साथ ही इससे जुड़े उदाहरण एवं परिभाषा के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें.
समास किसे कहते हैं-
दो या दो से ज्यादा शब्द मिलकर एक नए शब्द की रचना करते है तो ऐसे नए शब्द को समास कहा जाता है। दो शब्दों का संक्षिप्तीकरण ही समास है।
उदाहरण –
- राजा का महल- राजमहल
- रसोई के लिए घर – रसोईघर
- राजा की पुत्री – राजपुत्री
- मूर्ति को बनाने वाला – मूर्तिकार
- कुंभ बनाने वाला – कुम्हार
- देश का भक्त – देशभक्त
समास के भेद –
- अव्ययीभाव समास
- कर्मधारय समास
- द्विगु समास
- द्वंद समास
- बहुव्रीहि समास
अव्ययीभाव समास –
इसमें प्रथम पद अव्यय होता है और उसका अर्थ प्रधान होता है उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। इसमें अव्यय पद का प्रारूप लिंग, वचन, कारक, में नहीं बदलता है वो हमेशा एक जैसा रहता है।
उदाहरण –
- प्रतिवर्ष =हर वर्ष
- अभूतपूर्व = जो पहले नहीं हुआ
- निर्भय = बिना भय के
- निर्विवाद = बिना विवाद के
- निर्विकार = बिना विकार के
- प्रतिपल = हर पल
- अनुकूल = मन के अनुसार
- अनुरूप = रूप के अनुसार
- यथासमय = समय के अनुसार
- आजन्म = जन्म से लेकर
कर्मधारय समास –
वह समास जिसका प्रथम पद विशेषण तथा दूसरा पद विशेष्य होता हो। उसे कर्मधारय समास कहते हैं। दूसरे शब्दों में प्रथम पद उपमान तथा दूसरा उपमेय हो उसे हम कर्मधारय समास कहते हैं।क
उदाहरण–
- चरणकमल = कमल के समान चरण
- लालमणि = लाल है जो मणि
- महादेव = महान है जो देव
- देहलता = देह रूपी लता
- नवयुवक = नव है जो युवक
- अधमरा = आधा है जो मरा
- नीलगगन =नीला है जो गगन
- चन्द्रमुख = चन्द्र जैसा मुख
द्विगु समास –
द्विगुसमास में पूर्वपद संख्यावाचक होता है और कभी-कभी उत्तरपद भी संख्यावाचक होता हुआ देखा जा सकता है। इस समास में प्रयुक्त संख्या किसी समूह को दर्शाती है किसी अर्थ को नहीं |इससे समूह और समाहार का बोध होता है। उसे द्विगु समास कहते हैं।
उदाहरण –
- दोपहर- दो पहरों का समाहार
- तसई = सात सौ पदों का समूह
- चौगुनी = चार गुनी
- त्रिभुज = तीन भुजाओं का समाहार
- चौमासा = चार मासों का समूह
- नवरात्र = नौ रात्रियों का समूह
- अठन्नी = आठ आनों का समूह
- शताब्दी- सौ सालों का समूह
- पंचतंत्र- पांच तंत्रों का समाहार
द्वंद समास –
द्वंद समास की परिभाषा: जब किसी समस्त पदों में दोनों पद प्रधान है तथा दोनों पदों को मिलाते समय और अथवा या एवं आदि शब्द हो ऐसे समास को द्वंद समास कहते हैं द्वंद समास में योजक चिन्ह नहीं होता है।
उदाहरण
- राजा-रंक : राजा और रंक
- अन्न-जल = अन्न और जल
- नर-नारी = नर और नारी
- गुण-दोष = गुण और दोष
- देश-विदेश = देश और विदेश
बहुव्रीहि समास –
इस समास में कोई भी पद प्रधान नहीं होता। जब दो पद मिलकर तीसरा पद बनाते हैं तब वह तीसरा पद प्रधान होता है। इसका विग्रह करने पर वाला है, जो, जिसका, जिसकी, जिसके, वह आदि आते हैं वह बहुब्रीहि समास कहलाता है।
उदाहरण
- नीलकंठ = नीला है कंठ जिसका (शिव)
- लम्बोदर = लम्बा है उदर जिसका (गणेश)
- दशानन = दश हैं आनन जिसके (रावण)
- चतुर्भुज = चार भुजाओं वाला (विष्णु)
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