Punjab Police Lathicharge: एक नेता ने कहा- “दोगलापन का राष्ट्रीय पर्यायवाची मिल गया। अरविंद केजरीवाल बस नाम ही काफी है।” अन्य नेता ने कहा- “केजरीवाल से बड़ा नौटंकीबाज दुनिया में कहीं नहीं मिलेगा।” एक और नेता ने कहा- “पूरी जिंदगी में मैंने केजरीवाल जैसा बड़ा झूठा नहीं देखा।” आम आदमी पार्टी के संस्थापक अरविंद केजरीवाल को लेकर भिन्न-भिन्न प्रकार की बातें की जाती हैं। परंतु क्या यह सत्य है? मौजूदा समय को देखा जाये तो ये बातें सत्य ही प्रतीत होती हैं। क्योंकि यही दोगलापन इस बार अरविंद केजरीवाल उन किसानों के साथ दिखा रहे हैं, जिनके वो सबसे बड़े हितैषी होने का दावा करते थे। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे किसानों के प्रति सहानुभूति दिखाकर पंजाब में सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी का अब किसान विरोधी चेहरा दिखने लगा है।
आपको दिल्ली की सीमाओं पर एक वर्ष से भी अधिक समय तक चला किसान आंदोलन तो अवश्य याद ही होगा। वही किसान आंदोलन जिसकी आड़ में तमाम विपक्षी पार्टियों ने जमकर अपनी राजनीतिक रोटियां सेकी थीं और इसमें सबसे आगे अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी थी। आंदोलन में चिंघाड़-चिंघाड़कर यही आम आदमी पार्टी किसानों की हिमायती बन रही थी क्योंकि पंजाब में विधानसभा चुनाव जो नजदीक थे।
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पंजाब में किसानों पर लाठीचार्ज
आम आदमी पार्टी ने आंदोलन के दौरान किसानों के प्रति सहानुभूति दिखाई, वोट बटोरे, पंजाब में सरकार बनायी और इसके बाद इन्हीं किसानों के प्रति अपने तेवर अब बदल लिए हैं। किसानों की सबसे बड़ी समर्थक होने का दिखावा करने वाली आम आदमी पार्टी पंजाब की सत्ता में आने के बाद किसानों पर लाठियां (Punjab Police Lathicharge) बरसा रही हैं, जिससे उसका असली रूप सामने आ रहा है।
जी हां, पंजाब में भगवंत मान सरकार ने किसानों पर लाठीचार्ज कराया है। पूरा मामला कुछ ऐसा है कि किसान और ट्रेड यूनियन अपनी मांगों को लेकर संगरूर में मुख्यमंत्री भगवंत मान के घर के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे। इसी दौरान पंजाब पुलिस ने इन पर क्रूरता के साथ लाठी बरसाईं। इतना ही नहीं उन्हें दौड़ा-दौड़ाकर पीटा भी गया। पुलिस के द्वारा किए गए इस Punjab Police Lathicharge में कई किसानों और मजदूरों को चोटें आई हैं। इससे पंजाब की भगवंत मान सरकार का दोहरा चरित्र स्पष्ट तौर पर दिखाई पड़ रहा है।
आपको बता दें कि प्रदर्शन कर रहे किसान और मजदूर मकान बनाने के लिए प्लॉट और पक्का रोजगार देने की मांग कर रहे थे। किसानों का कहना है कि मनरेगा और खेतों में काम करने पर इन्हें रोज दिहाड़ी नहीं मिलती। इसलिए ही ये लोग अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे।
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सरकार बनने के बाद बदल गए तेवर
विधानसभा चुनावों के दौरान पंजाब की जनता को इस बार आम आदमी पार्टी का भरपूर समर्थन मिला था। इसमें कोई संदेह नहीं है कि पंजाब में आप की सरकार बनाने में किसानों की भूमिका अहम रही है। जब किसानों के वोट चाहिए थे तो यही आम आदमी पार्टी उनके चरणों में थी, परंतु आज जब पंजाब के किसान-मजदूर अपनी मांगों को लेकर पहुंचे हैं तो उनका स्वागत लाठी से किया जा रहा है।
ऐसा नहीं है कि आम आदमी का किसान विरोधी रवैया पहली बार सामने आया हो। इससे पहले भी पंजाब में सरकार बनने के बाद चंडीगढ़-मोहाली बॉर्डर पर जब किसान जमा हो गये थे तो मुख्यमंत्री भगवंत मान उन पर भड़के उठे। उन्होंने किसानों के आंदोलन को अनचाहा और अनावश्यक बताया था। इसके अलावा दिल्ली में प्रदूषण के लिए केजरीवाल सरकार पंजाब और हरियाणा के किसानों को दोषी ठहरा चुकी हैं।
देखा जाये तो आम आदमी पार्टी के सत्ता में आने के बाद पंजाब का बेड़ागर्क करके रख दिया है। आम आदमी पार्टी के राज में पंजाब में खालिस्तानी बेखौफ हो चुके हैं। एक के बाद एक जिस तरह की खबरें निरंतर पंजाब से सुनने को मिल रही है और सरकार उसको लेकर कुछ नहीं कर रही उसे देखकर तो ऐसा ही लग रहा है कि मानों आप सरकार खालिस्तानियों की गोद में जा बैठी। वहीं दूसरी तरफ Punjab Police किसानों पर Lathicharge में व्यस्त है।
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