बॉलीवुड की वर्तमान अवस्था को देखकर जाने क्यों द डार्क नाइट का यह संवाद स्मरण हो आता है, जो आज एक नायिका पर शत प्रतिशत फिट बैठता है, “वो नायिका है जिसकी बॉलीवुड को आवश्यकता है पर वो नायिका जिसके योग्य बॉलीवुड है, उसे हम ढूँढेंगे क्योंकि वह भी यही चाहेगी। वह हमारी नायिका नहीं, एक सतर्क रक्षक है, एक डार्क नाइट समान है!” तब्बू वही डार्क नाइट है, जिसने इस वर्ष बॉलीवुड को एक नहीं दो दो हिट दी हैं। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि कैसे तब्बू ने बॉलीवुड की नैया को डूबने से बचाया है और कैसे उन्होंने बॉलीवुड द्वारा इस वर्ष की दो सफल ब्लॉककबस्टर देने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
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हकीकत से बदल गई किस्मत
1971 में जन्मी तबस्सुम फातिमा हाशमी यानी तब्बू स्वयं फिल्म उद्योग से जुडने को आतुर नहीं थी। परंतु कल किसने देखा है? तब्बू ने बतौर मुख्य अभिनेत्री फिल्म ‘पहला पहला प्यार’ किया, जिसपर किसी ने ध्यान नहीं दिया। परंतु उनके करियर का ग्राफ बदला 1994 में ही, जब फिल्म आई ‘विजयपथ’, जिसमें इनके समक्ष थे अजय देवगन। इसी फिल्म के लिए तब्बू को सर्वश्रेष्ठ डेब्यू का फिल्मफेयर भी प्राप्त हुआ। इसके साथ-साथ कई असफल फिल्में आईं परंतु 1995 में ही आई हकीकत, जिसमें भी साथ थे अजय देवगन और वहां से फिर तब्बू ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
अपनी प्रतिभा को सिद्ध करने के लिए उन्होंने कभी ‘कालापानी’, तो कभी ‘जीत’, तो कभी ‘हु तू तू’, कभी ‘अस्तित्व’, कभी ‘चाँदनी बार’, जैसी सशक्त, महिला प्रधान फिल्मों में अपने किरदार पर ध्यान दिया। आज जो अति नारीवादी चीख चीख कर वोक संस्कृति का राग अलापती हैं, तब्बू बिना कोई ढोल नगाड़ा पीटे वही काम आराम से अपने अभिनय के माध्यम कर देती थीं।
दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुकी हैं तब्बू
परंतु तब्बू केवल इतने के लिए थोड़ी न बॉलीवुड की डार्क नाइट कहलाने योग्य हैं। वर्ष 2022 में जहां बड़े बड़े सूरमा और अभिनेता बॉलीवुड की प्रतिष्ठा बचाने में औंधे मुंह गिरे हैं, केवल तब्बू ही हैं, जिन्होंने एक नहीं, दो दो ब्लॉकबस्टर देने में सफलता पाई है – भूल भुलैया 2 और दृश्यम 2, और दोनों में इनकी अदाकारी के क्या कहने। चाहे भूल भुलैया 2 में अंजुलिका और मंजुलिका के रूप में रंग बदलने हो या फिर दृश्यम 2 में विजय सलगांवकर को सलाखों के पीछे पहुंचाना हो, तब्बू ने अपने अभिनय का हर वो कौशल आजमाया, जिसके लिए आज भी भारत के कई लोग उनके दीवाने हैं। ‘माचिस’ और ‘चाँदनी बार’ में अपने अभिनय के लिए तो उन्हें दो बार 1997 और 2003 में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका है।
आप खुद सोचिए, ऐसी क्या बात रही होगी कि जहां एक ओर ‘Boycott Bollywood” ज़ोरों पर था, दृश्यम 2, जो स्वयं एक रीमेक था, 200 करोड़ से ज्यादा घरेलू बॉक्स ऑफिस पर और 300 करोड़ से ज्यादा वैश्विक बॉक्स ऑफिस पर बटोर लेगा? अभी तो हमने ‘अंधाधुन’ और आने वाले ‘भोला’ पर प्रकाश भी नहीं डाला है। इसीलिए जहां एक ओर पूरे देश ने बॉलीवुड के विरुद्ध मोर्चा खोला है और कई लोग अपने मन में बॉलीवुड को खत्म करके मान बैठे हैं तो वहीं तब्बू जैसे लोग भी हैं, जो अभी भी इस आस में लगे रहते हैं कि एक अच्छी स्क्रिप्ट मिले और वे इस उद्योग का कायाकल्प करे, क्योंकि वे जानते हैं कि ये जगह गलत नहीं हैं बस कथा और लोग गलत हैं।
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