Tenali Rama Story in Hindi : Learn From the Story  

Tenali Rama Story in Hindi

Tenali Rama Story in Hindi : Learn From the Story

 स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे Tenali Rama Story in Hindi के बारे में साथ ही इससे जुड़े कहानी से सीख के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें.

पूरा नाम तेनाली रामाकृष्ण
जन्म तिथि 16वीं शताब्दी
उपनाम विकट कवि
जन्म स्थान गुंटूर जिले, आंध्रप्रदेश
पेशा कवि

राजा की अंगूठी –

बहुत समय पहले की बात है, जब विजयनगर साम्राज्य के राजा कृष्णदेव राय एक बहुत महंगी हीरे जड़ित अंगूठी पहनते थे, जिसकी कीमत आज के समय में बहुत ज्यादा होंगी। वह उनकी सबसे प्रिय आभूषण में से एक थी। वह उसे अपने दरबारियों, मंत्रियों और सभी मिलने जुलने वालों को दिखाते थे और उस अंगूठी की प्रशंसा करते थे।

एक दिन राजा कुछ उदास बैठे थे तो सभी दरबारी सोचने लगे कि आज ऐसा क्या हुआ की राजा उदास बैठे हैं, तभी उन दरबारियों में से राजा के प्रिय दरबारी तेनाली रामा ने उन्हें पूछा कि राजा जी आप इतने आज उदास क्यों हैं, ऐसा क्या हुआ कि आप इतने उदास हैं। तब राजा ने बताया कि उनकी वह प्रिय अंगूठी खो गई है। मुझे लगता है कि किसी ने मेरी प्रिय अंगूठी चुरा ली है और मुझे मेरे इन अंगरक्षकों पर शक है, तब तेनाली रामा ने कहा की वह उनकी अंगूठी ढूंढ के लाएगा।

तब तेनाली रामा ने उन सब अंग रक्षकों को बुलाया और उनसे पूछा कि आप में से राजा की मूल्यवान अंगूठी किसने ली। तब सभी अंग रक्षकों ने मना कर दिया और कहा कि हमने नहीं ली। तब तेनाली रामा ने कहा कि मैं पता कर लूंगा कि किसने अंगूठी ली है।

तब तेनाली रामा ने कहा कि सभी अंगरक्षक मेरे साथ चलिए और मैं सुबह तक बता दूंगा कि किसने अंगूठी ली है। तब वह उन सबको एक हनुमान जी के मंदिर लेकर गए और खुद पहले अंदर जाकर पुजारी जी से कुछ बात करके बाहर आए और बोला कि अब आप एक-एक करके अंदर जाएं और हनुमान जी के आगे नतमस्तक होकर प्रणाम करके आएं और सुबह हनुमान जी खुद बता देंगे कि चोर कौन है।

तो एक-एक करके सब दरबारी अंदर जाने लगे और नतमस्तक होकर प्रणाम कर कर बाहर आने लगे। जब तक सारे अंगरक्षक अंदर जाकर बाहर आने लगे तब तक सारे दरबारी और गांव वाले मंदिर के सामने इकट्ठे हो गए। तब तेनाली रामा ने कहा कि जो चोर हैं, उसका पता मुझे लग गया है। तब सभी ने पूछा कि आपको चोर का पता कैसे लगा। तब तब तेनालीरामा ने बताया कि जब मैंने इन सब को बोला कि आप अंदर जाएं और नतमस्तक होकर प्रणाम करके बाहर आए।

तब जो व्यक्ति अथवा जो दरबारी चोर है, वो मंदिर के अंदर जाकर नतमस्तक होकर प्रणाम किया ही नहीं और सीधे ही बाहर आ गया और पुजारी जी ने उसे देख लिया। तब वह अंगरक्षक वहां से भागने लगा तो वहां खड़े गांव वालों ने उसे पकड़ लिया और उसे कारागृह में डाल दिया।

कहानी की सीख –

हिंदी में कहावत है की जो जैसा कर्म करेगा उसे वैसा फल मिलेगा। उसी प्रकार उस अंगरक्षक में चोरी की तो उसे कारागृह की सजा मिली।

तेनालीराम और महाराज की खांसी

सर्दियों का मौसम था. मौसम की मार विजयनगर की प्रजा जुकाम के रूप में झेल रही थी. राजा कृष्णदेव राय भी इससे बच न सके और उन्हें भी जुकाम हो गया. नाक बहने के साथ-साथ खांसी से भी उनका बुरा हाल था.

राज वैद्य बुलाये गये. राज वैद्य ने महाराज को औषधि दी और परहेज़ करने का परामर्श दिया. अचार, दही और खट्टे खाद्य पदार्थ खाने की महाराज को मनाही थे. किंतु महाराज कहाँ मानने वाले थे? उन्होंने सारी चीज़ें खाना जारी रखा.

अब महाराज को कौन समझाता? सब निवेदन करके हार गए, किंतु राजा ने किसी की न सुनी. इस कारण उनकी तबियत बिगड़ती रही. हारकर राज वैद्य और दरबार के मंत्री तेनाली राम के पास गए और उन्हें समस्या बताते हुए महाराज को किसी तरह समझाने का निवेदन किया.तेनाली राम शाम को महाराज के पास पहुँचे और उन्हें एक औषधि देते हुए बोले, “महाराज! आपकी जुकाम और खांसी ठीक करने के लिए मैं एक औषधि लेकर आया हूँ. इस औषधि के साथ आपको परहेज़ करने की कोई आवश्यकता नहीं है. आप जो चाहे, खा सकते हैं.”

“अरे वाह! क्या इसके साथ मैं अचार, दही और खट्टी चीज़ें भी खा सकता हूँ?” महाराज ने पूछा.“जी महाराज” तेनाली राम बोला. महाराज बहुत प्रसन्न हुए और उस दिन के बाद से और ज्यादा अचार, दही और खट्टी चीज़ें खाने लगे. फलस्वरूप उनका स्वास्थ्य और ख़राब होने लगा.

एक सप्ताह बाद जब तेनाली राम उनने पास पहुँचे और उनका हालचाल पूछा, तो वे बोले, “तेनाली! हमारा स्वास्थ्य तो अब पहले से भी अधिक ख़राब हो गया है. जुकाम ज्यों का त्यों है. खांसी भी बनी हुई है.“कोई बात नहीं महाराज. आप वह औषधि खाते रहिये. इससे आपको तीन लाभ होंगे.” तेनाली राम बोला.“कौन से?” महाराज ने चौंकते हुए पूछा.पहला ये कि राजमहल में कभी चोरी नहीं होगी. दूसरा ये कि कभी कोई कुत्ता आपको तंग नहीं करेगा. और तीसरा ये कि आपको बूढ़ा होने का कोई भय नहीं रहेगा.” तेनाली राम ने उत्तर दिया.“ये क्या बात हुई? हमारे जुकाम और खांसी से चोर, कुते और बुढ़ापे का क्या संबंध?”“संबंध है महाराज! यदि आप यूं ही खट्टी चीज़ें खाते रहेंगे, तो रात-दिन खांसते रहेंगे. आपकी खांसी की आवाज़ सुनकर चोर सोचेगा कि आप जाग रहे हैं और कभी चोरी के उद्देश्य से राजमहल में घुसने का प्रयास ही नहीं करेगा.” तेनाली राम मुस्कुराते हुए बोला.

“और कुत्ते हमें क्यों तंग नहीं करेंगे?” महाराज ने पूछा.जुकाम-खांसी से आपका स्वास्थ्य लगातार गिरता चला जायेगा. तब आप इतने कमज़ोर हो जायेंगे कि बिना लाठी चल नहीं पाएंगे. जब कुत्ता आपको लाठी के साथ देखेगा, तो डर के मारे कभी आपके पास नहीं फटकेगा.”“और बूढ़े होने के भय के बारे में तुम्हारा क्या कहना है?”“महाराज आप हमेशा बीमार रहेंगे, तो कभी बूढ़े नहीं होंगे क्योंकि आप युवावस्था में ही मर जायेंगे. इसलिए कभी आपको बूढ़ा होने का भय नहीं रहेगा.”टेढ़े तरीके से महाराज को वास्तविकता का दर्पण दिखाने के बाद तेनालीराम बोले, “इसलिए महाराज मेरा कहा मानिये. कुछ दिनों तक अचार, दही और खट्टी चीज़ों से किनारा कर लीजिये. स्वस्थ होने के बाद फिर जो मन करे खाइए.”

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राजा कृष्णदेव राय तेनाली राम की बात समझ गए. उन्होंने खट्टे खाद्य पदार्थों से परहेज़ कर लिया और कुछ ही दिनों में वे पूरी तरह से  स्वस्थ हो गये.

FAQ –

Ques- तेनाली रामा कौन थे?

Ans- तेनाली रामा चार वेद पारंगत तत्वेत्ता, राज सलाहगार थे।

Ques- तेनाली रामा की कितनी पत्नियां थी?

Ans- तेनाली रामा की दो पत्नियां थी।

Ques- तेनाली रामा किस तरह के व्यक्ति थे?

Ans- तेनाली रामा चतुर, ईमानदार और बुद्धिमान व्यक्ति थे।

Ques- तेनाली रामा का जन्म कब और कहां हुआ?

Ans- तेनाली रामा का जन्म 22 सितंबर 1480 को गुंटूर में हुआ।

Ques- तेनाली रामा ने देवी को कैसे प्रसन्न किया?

Ans- तेनाली रामा ने देवी काली को प्रसन्न किया।

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