रूस-यूक्रेन के बीच शांति समझौते के लिए इस रणनीति को अपना रहे हैं पीएम मोदी

पुतिन से पीएम मोदी की बातचीत के बाद अब जेलेंस्की ने पीएम मोदी से फोन किया है। युद्ध की शुरूआत से अबतक की परिस्थितियों का आंकलन करने पर भारत की एक रणनीति दिखती है।

रूस-यूक्रेन युद्ध

Source- TFI

24 फरवरी, 2022 को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन में एक स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन का ऐलान किया. उसके बाद से निरंतर दोनों देशों के बीच युद्ध चल रहा है. इस युद्ध के साथ-साथ वैश्विक राजनीति में कई बड़े बदलाव हमें देखने को मिल रहे हैं. युद्ध की शुरूआत से ही अमेरिका के अघोषित नेतृत्व में पश्चिमी देश यूक्रेन के समर्थन में खड़े हैं. पश्चिमी देशों ने रूस के ऊपर कई तरह के प्रतिबंध लगाए तो यूक्रेन को तमाम तरह से मदद उपलब्ध कराई. अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र में भी कई बार रूस का मुद्दा उठाया.

इस पूरे घटनाक्रम के दौरान वैश्विक राजनीति में जो एक बात ध्यान देने योग्य है वो है भारत की सधी हुई विदेश नीति. भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद बने जल्दबाजी के माहौल में भी बड़े ही सोच-समझकर कदम उठाए. भारत ने एक-एक बयान, एक-एक बात, एक-एक वोट सोच-समझ कर दिया. भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस की आलोचना नहीं की तो युद्ध का समर्थन भी नहीं किया. कई प्रकार के अमेरिकी दबाव के बावजूद भारत अपने स्टैंड पर अडिग खड़ा रहा है. कुछ महीनों के बाद दुनिया समझ गई थी कि भारत का अपना एक पक्ष है और भारत उसी पर चल रहा है.

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दोनों पक्षों ने की है पीएम मोदी से बातचीत

रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरूआत के साथ ही भारत की ओर वैश्विक बिरादरी उम्मीद के साथ देखने लगी. दुनिया के सभी देश जानते थे कि यदि रूस-यूक्रेन के बीच कोई एक नेता सुलह करा सकता है तो वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं. पश्चिमी देशों ने लगातार इस बात के लिए भारत पर दबाव डाला कि वो दोनों देशों के बीच शांति करवाए. भारत, रूस-यूक्रेन से संबंधित सभी मुद्दों पर जितनी आवश्यकता होती उतना ही बोलता और चुप्पी साध लेता.

अमेरिकी मीडिया ने भारत के इस रवैये पर प्रश्न भी उठाए लेकिन अब यदि हम भारत की रणनीति का बारीकी से अध्ययन करें तो हम पाते हैं कि भारत कभी भी चुप नहीं था बल्कि वो उसकी रणनीति का ही एक हिस्सा था. आइए, इसे समझने की कोशिश करते हैं. 24 फरवरी को युद्ध शुरू होने के बाद ही रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री मोदी से फोन पर बात की. प्रधानमंत्री मोदी ने यहीं से अपनी कूटनीति शुरू कर दी. पीएम मोदी ने पुतिन से कहा कि बातचीत का रास्ता अपनाना चाहिए.

इसके साथ ही पीएम मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से हुई बातचीत में ‘बातचीत के रास्ते समाधान’ पर बल दिया. इसके बाद 2 मार्च और 7 मार्च को दोबारा से पीएम मोदी ने रूस के राष्ट्रपति के साथ टेलीफोन पर बातचीत की. इसके बाद 1 जुलाई को भी दोनों नेताओं के बीच फोन पर बातचीत हुई. इसके बाद उज्बेकिस्तान के समरकंद में हुए SCO सम्मेलन से इतर पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच द्विपक्षीय वार्ता भी हुई. पीएम मोदी ने यहां पुतिन से जो कहा वो दुनियाभर में चर्चा का विषय बना. पुतिन से बातचीत करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “यह दौर युद्ध का नहीं है.”

वैश्विक राजनीति में बड़ी भूमिका निभा रहा है भारत

इसके बाद अब जब भारत के पास जी-20 की अध्यक्षता है, तब फिर से पीएम मोदी ने व्लादिमीर पुतिन से फोन पर बात की. इस दौरान फिर पीएम मोदी ने बातचीत के द्वारा विवाद को सुलझाने पर जोर दिया. दूसरी ओर, यूक्रेन के राष्ट्रपति के साथ भी पीएम मोदी निरंतर संवाद कर रहे हैं. युद्ध के बाद दोनों नेताओं ने कई बार बातचीत की है. लेकिन 4 अक्टूबर को फोन पर हुई बातचीत में पीएम मोदी ने कहा कि युद्ध कोई हल नहीं है बल्कि बातचीत ही एक मात्र विकल्प है और भारत उस दिशा में मदद करने के लिए तैयार है. अब यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने फिर से पीएम मोदी को फोन किया है. जेलेंस्की ने जी-20 की अध्यक्षता के लिए तो भारत को बधाई दी ही, इसके साथ ही उन्होंने अपना जी-20 बाली सम्मेलन में रखा गया शांति प्रस्ताव भी दोहराया. उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि वो उम्मीद करते हैं कि उनके शांति प्रस्ताव को भारत लागू करवाएगा.

प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी यूक्रेन के राष्ट्रपति से हुई पीएम मोदी की बातचीत को लेकर बयान जारी किया है. बयान के अनुसार, “दोनों पक्षों को अपने मतभेदों का स्थायी समाधान खोजने के लिए बातचीत और कूटनीति के रास्ते पर वापस लौटना चाहिए.” जेलेंस्की ने पीएम मोदी से फोन पर बातचीत ऐसे वक्त में की है, जब इससे करीब दस दिन पहले ही यानी 16 दिसंबर को पीएम मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी बातचीत की थी. पीएम मोदी ने उस वक्त भी पुतिन को बातचीत से विवाद खत्म करने की सलाह दी थी. उसके बाद अटकलें लगने लगी कि रूस, रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म करना चाहता है. रूस, शांति के प्रस्तावों पर बात करना चाहता है.

इसके कुछ दिनों बाद ही यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की अमेरिका पहुंचे और अमेरिका से लौटने के बाद ही उन्होंने पीएम मोदी से बात की. ऐसे में अब ऐसी अटकलें लग रही हैं कि भारत दोनों देशों के को बातचीत की मेज पर ला सकता है. कहा जा रहा है कि भारत दोनों देशों के बीच शांति समझौता करा सकता है. यदि ऐसा होता है तो निश्चित तौर पर यह कहा जा सकता है कि भारत बिना शोर मचाए, वैश्विक राजनीति में सबसे बड़ी भूमिका निभा रहा है. अभी की परिस्थितियों को देखते हुए कहा जा सकता है कि भारत की कूटनीति सफल होती दिख रही है.

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