महाजनपदों का गौरवशाली इतिहास- भाग 2: मगध महाजनपद

मगध पूरे उत्तर भारत का सर्वाधिक शक्तिशाली महाजनपद बना। मगध साम्राज्य में अलग-अलग समय पर तीन वंश हुए। आइए उन तीनों वंशों और उनके शासन काल के दौरान हुए कार्यों के बारे में विस्तार से बात करते हैं।

The glorious history of the Mahajanapadas – Part 2- Magadh

Source- TFI

भारत के प्राचीन इतिहास में 16 महाजनपद हुआ करते थे, जिन्हें आज भी उनकी सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक समृद्धि के लिए याद किया जाता है। इन्हीं 16 महाजनपदों में से एक था मगध साम्राज्य जिसकी सीमाएं उत्तर में गंगा से दक्षिण में विंध्‍य पर्वत तक, पूर्व में चम्पा से पश्चिम में सोन नदी तक विस्तृत थीं। बुद्धकालीन और उसके परवर्ती काल में मगध शक्तिशाली राजतन्त्रों में से एक था जो बाद में आगे चलकर पूरे उत्तर भारत का सर्वाधिक शक्तिशाली महाजनपद बना। मगध साम्राज्य में अलग-अलग समय पर तीन वंश हुए जिन्होंने इस साम्राज्य को एक शक्तिशाली साम्राज्य बनाया। आइए उन तीनों वंशों और उनके शासन काल के दौरान हुए कार्यों के बारे में विस्तार से बात करते हैं।

और पढ़ें: महाजनपदों का गौरवशाली इतिहास- भाग 1: अंग महाजनपद

मगध महाजनपद का इतिहास

दरअसल, मगध साम्राज्य का आरंभ या इसकी नींव हर्यक वंश के रूप में बिंबसार द्वारा 544 ई. पूर्व रखी गई थीं। मगध साम्राज्य का इन्हें असल संस्थापक माना जाता है और 15 वर्ष की आयु में इसने मगध साम्राज्य की कमान संभाली थीं और 52 वर्षों तक शासन किया। मगध क्षेत्र में बिंबसार एक ऐसा शासक था जो समय दर समय अपनी सीमाओं का विस्तार करता चला गया और पड़ोस के अंग, कौशल जैसे कई साम्राज्यों को अपने साम्राज्य में समाहित कर एक शक्तिशाली सम्राज्य की स्थापना कर दी। इसके अलावा बिंबसार कूटनीति में भी माहिर था। इसने तीन विवाह किए थे और तीनों रानियां अलग-अलग साम्राज्य से थीं इसलिए बिंबसार को अपने साम्राज्य की स्थापना करने में उससे काफी सहायता मिली। यही नहीं काशी विवाह के दौरान इन्हें दहेज में दिया गया था।

हर्यक वंश में बिंबसार के बाद इसके बेटे अजातशत्रु ने मगध साम्राज्य पर राज किया परंतु ऐसा बताया जाता है कि 492 ई. पूर्व यह अपने पिता की हत्या करने के बाद सिंहासन पर बैठा था। अजातशत्रु ने भी कई युद्ध लड़े और मगध साम्राज्य पर लगभग 32 वर्षों तक शासन करते हुए अपने राज्य का विस्तार किया। हालांकि इसकी भी हत्या कर दी गई और उसके बाद 460 ई. पूर्व से 444 ई. पूर्व तक उदयिन ने मगध के राज सिंहासन पर राज किया। हर्यक वंश में सबसे अंतिम शासक नागदशक हुआ था जिसे उसके आमात्य ने गद्दी से हटाकर 412 ई. पूर्व में एक नए वंश “शिशुनाग वंश” की स्थापना की।

“शिशुनाग वंश” के बारे में बात की जाए तो इसकी समय सीमा 412 ई. पूर्व से 344 ई. पूर्व तक रही और इस दौरान मुख्य रूप से दो ही शक्तिशाली शासक रहे जिन्होंने मगध पर राज किया, एक शिशुनाग वंश की स्थापना करने वाला स्वयं शिशुनाग और दूसरा 394 ई. पूर्व से 366 ई.पूर्व उसका पुत्र कालाशोक। कालाशोक के बाद इसके दस पुत्र हुए जिन्होंने लगभग 22 सालों तक शासन किया और अंत में 344 ई. पूर्व में आकर इसका अंत हो गया

शिशुनाग वंश के बाद मगध की गद्दी पर 344 ई. पूर्व से लेकर 323 ई. पूर्व तक नंद वंश ने राज किया। इसकी स्थापना 344 ई. पूर्व में महापद्मनंद के द्वारा की गई और उसके बाद घनानंद ने गद्दी संभाली जिसके बाद मगध साम्राज्य का पूर्ण रूप से पतन हो गया।

और पढ़ें: राजा भोज जो अब तक के सबसे महान भारतीय राजाओं में से एक थे

मगध साम्राज्य में विकास

मगध साम्राज्य के दौरान होने वाले विकास या यूं कहें कि मगध के उत्थान करने के कारणों के बारे में बात की जाए तो हमें देखने किए मिलता है हड़प्पा के बाद भारत में दोबारा से नगरीकरण अगर कहीं हुआ था तो वो मगध में हुआ था। यही नहीं आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक, कृषि किसी भी दृष्टिकोंण से देख लीजिए मगध साम्राज्य में निरंतर विकास होता हुआ दिखता है।

मगध के विकास को समझने के लिए उसकी भौगोलिक स्थिति को समझने के बाद सभी शंकाएं समाप्त हो जाती हैं। क्योंकि जिस स्थान पर मगध साम्राज्य फला-फूला वह स्थान गंगा डेल्टा का क्षेत्र है जहां आप खेत में बीज को बस छिटक दिजीए फसल तो अपने उग जाएगी। इसके अलावा उस समय की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित थी इसलिए कृषि क्षेत्र में जैसे ही लोहे के औजारों का उपयोग होने लगा वैसे ही समाजिक, आर्थिक और धार्मिक प्रकार के विकास होने लगे। खासकर धार्मिक विकास पर गौर करें तो उस समय में बुद्ध और जैन जैसे धर्मों का विकास देखने के लिए मिलाता है। इसके अलावा सामाजिक तौर पर भी मगध का समाज बहुत हद तक प्रगतिशील था।

और पढ़ें: जब चीन टेराकोटा की खोज कर रहा था, उससे सदियों पहले भारत उसके खिलौने बना रहा था

TFI का समर्थन करें:

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।

Exit mobile version