“हमारे हथियार लो और हमें बंधक बना लो”, पाकिस्तान में चल रहे ‘नाटक’ की इनसाइड स्टोरी जान लीजिए

TTP के आतंकियों ने पाकिस्तान के आर्मी जवानों को कथित तौर पर बंधक बना लिया है और अब आतंकियों के साथ सुरक्षित निकलने की मांग कर रहे हैं, लेकिन इसके पीछे की वास्तविक कहानी बिल्कुल उल्टी है।

The Inside story of Pakistani Army’s surrender to TTP terrorist

Source: Twitter

कभी आपने सोचा है कि पाकिस्तान दुनिया में इतना प्रसिद्ध क्यों है? कभी सोचा है कि पाकिस्तान की स्थिति ऐसी क्यों हो गई है? कभी सोचा है कि पाकिस्तान बर्बाद क्यों हो रहा है? इसका केवल एक कारण है और वह है आतंकवाद. पाकिस्तान में आतंकवाद वह चिड़िया है, जो प्रधानमंत्री की कुर्सी से लेकर, पाकिस्तानी सेना की वर्दी और उनके हथियारों तक में घोसला बना चुकी है. पाकिस्तानियों को इन्हें पालने में मजा भी आता है क्योंकि समय समय पर पाकिस्तान इनके जरिए अपने मंसूबों को अंजाम देने का काम करता आया है. इसी बीच खबर है कि पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के बन्नू जिले में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के आतंकवादियों ने एक आतंकवाद रोधी केंद्र पर कब्जा कर लिया है और कई अधिकारियों को बंधक बना लिया है.

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ये है हालिया मामला

दरअसल, आतंकवाद रोधी विभाग (सीटीडी) ने कुछ आतंकवादियों को गिरफ्तार किया था तथा उनसे पूछताछ की जा रही थी. इसी दौरान इनमें से एक आतंकवादी ने रविवार को पुलिसकर्मी से एके-47 छीन ली और गोलियां चलानी शुरू कर दी. इसके बाद उसने अन्य आतंकवादियों को मुक्त कराया, जिन्होंने परिसर को अपने कब्जे में ले लिया. उन्होंने कई आर्मी ऑफिसर्स के साथ कई पुलिसकर्मियों को भी बंधक बना लिया.

आतंकवादियों ने बंधकों को छोड़ने के बदले में सुरक्षा बलों से उन्हें सुरक्षित अफगानिस्तान पहुंचाने के लिए एक हेलीकॉप्टर की व्यवस्था करने की मांग की है. सीटीडी परिसर के भीतर टीटीपी के आतंकवादियों ने एक वीडियो जारी कर दावा किया था कि नौ पुलिसकर्मी उनके कब्जे में हैं और उन्होंने बंधकों को छुड़ाने के बदले में उन्हें हवाई मार्ग से सुरक्षित अफगानिस्तान जाने देने की मांग रखी है.

इस पूरे प्रकरण को देखकर आपको भी ऐसा प्रतीत हो रहा होगा कि आतंकियों ने पाकिस्तानी जवानों को ‘गिरफ्तार’ कर लिया  है और अपनी डिमांड रख रहे हैं लेकिन जब आप मामले की तह में जाएंगे तो स्थिति स्वत: स्पष्ट हो जाएगी. अगर हम कहें कि पाकिस्तान ने ऐसा जानबूझकर कराया है तो आप क्या कहेंगे? इसके पीछे एक नहीं कई कारण हैं, चलिए समझते हैं.

पाकिस्तान का रिकॉर्ड

अगर हम पाकिस्तान के पुराने रिकॉर्ड को देखें तो हर कदम पर पाकिस्तानी सेना और पाकिस्तान सरकार आतंकियों के साथ खड़ी दिखाई देती है. वैश्विक मंचों पर भी अगर कोई देश पाकिस्तानी आतंकियों को ब्लैकलिस्ट करने की बात करता है तो पाकिस्तान के साथ-साथ उसके पीछे खड़ी ताकतें उसके विरोध में उतर आती हैं. पाकिस्तान, आतंकियों का कितना बड़ा संरक्षक है, इसके बारे में विशेष शोध की आवश्यकता नहीं है. पाकिस्तान सरकार की ओर से आतंकियों को फंड करना हो या पाकिस्तानी सेना द्वारा आतंकी संगठनों को अपने इशारे पर चलाना हो, पाकिस्तान में यह काफी पहले से होता आ रहा है. ऐसे में आतंकियों द्वारा पाकिस्तान जवानों को हिरासत में लेने का मामला और उनका डिमांड, कुछ हजम नहीं हो रहा है.

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क्या दिखावा कर रहा है पाकिस्तान?

अब अगर हम दूसरे मामले की बात करें तो जर्जर अर्थव्यवस्था वाला पाकिस्तान दिखावा करने का प्रयास कर रहा है. पिछले लंबे समय से आतंकियों को फंडिंग देने के कारण इसे FATF की ग्रे लिस्ट में रखा गया था, जिसके कारण वैश्विक संस्थाओं से इसे लोन भी नहीं मिल पा रहा था. लेकिन हाल ही में पाकिस्तान के सर पर अमेरिका का हाथ पड़ते ही उसे ग्रे लिस्ट से बाहर निकाल दिया गया और इस बात को जोर शोर से प्रचारित किया गया कि पाकिस्तान स्वयं आतंकवाद से पीड़ित है. जबकि वास्तविकता से पूरी दुनिया अवगत है.

पाकिस्तान के इस कदम को उसका दिखावा कहा जा सकता है क्योंकि वैश्विक मीडिया इस बात को प्रचारित कर रही है कि पाकिस्तान के जवानों को आतंकियों ने बंधक बना रखा है, जो पूरी तरह से स्क्रिप्टेड प्रतीत होता है. सवाल तो यह भी है कि जिसने आतंकियों को पनाह दे रखा है या जो अपने हिसाब से आतंकियों को नियंत्रित करता है, उन्हें आतंकी समूह भला कैसे बंदी बना सकते हैं? ऐसे में पाकिस्तान का मौजूदा कृत्य दुनिया की आंखों में धूल झोंकने के अलावा और कुछ भी नहीं है.

कुछ ऐसी हुई होगी प्लानिंग

अब तीसरे बिंदु को हम हालिया मामले की कड़ियों को तोड़ते हुए समझते हैं. जरा सोचिए, पाकिस्तान की आतंकवाद रोधी विभाग ने टीटीपी के आतंकियों को गिरफ्तार किया. उनसे पूछताछ की और उसी समय पूरा कांड हो गया. लेकिन जब किसी आतंकी की गिरफ्तारी होती है और उससे पूछताछ होती है तो उसकी भी एक प्रक्रिया है. किसी भी आतंकी की गिरफ्तारी होती है तो उसे बांध कर रखा जाता है, खुला नहीं छोड़ दिया जाता.

जब उससे पूछताछ की जाती है तो उस पर नजर रखते हुए अधिकारी पूछताछ करते हैं. कहीं भी किसी सामान्य अपराधी की तरह आतंकियों से बातचीत नहीं होती है. इसके बावजूद कोई एक आतंकी, जिससे पूछताछ हो रही है, वह किसी पुलिस वाले का एके-47 छीन लेता है और पूरे जवानों को अपने गिरफ्त में ले लेता है, अन्य आतंकियों को छुड़ा लेता है और अपनी डिमांड भी रख देता है, यह सारी बातें सुनकर ही हास्यास्पद प्रतीत हो रही हैं.

हुआ कुछ ऐसा होगा कि पाकिस्तानी सरकार की शह पर एक कहानी रची गई होगी, जिसमें यह प्रयास किया होगा कि पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर पीड़ित दिखाना है. उसके बाद पाकिस्तानी जवानों ने टीटीपी के आतंकियों से गठजोड़ किया होगा. उनके हाथों में बंदूके थमाई होगी, दीवार में खुद का सर मारा होगा और बेचारे दिखने वाली शक्ल में फोटो शूट कराया होगा, वीडियो बनवाई होगी और उसके बाद आतंकियों के द्वारा उसे जारी कराया गया होगा, ताकि यह दिख सके कि पाकिस्तान ‘आतंक से त्रस्त’ है. बाकी जो है, सो हइए है!

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