गुजरमल मोदी परिवार: एक कहावत है कि जब सोच छोटी हो तो फिर इंसान कभी तरक्की कर ही नहीं सकता है। कुछ ऐसी मानसिकता समाजवाद की भी है, समाजवादी और वामपंथी नौटंकियों के चलते भी लोगों का जीवन बर्बादी की कगार पर पहुंच जाता है। दूसरी ओर जिनमें मेहनत और अपने काम को विस्तार देने की रुचि होती है तो वे लोग आसानी से पत्थर में फूल खिलाकर, पर्वतों के बीच से रास्ते बना लेते हैं, उनकी लोकप्रियता उनके व्यक्तित्व के कारण ही होती है। ये लोग अपना भला तो करते ही हैं साथ ही दूसरों का जीवन भी सहज बनाने का इंतजाम कर देते हैं। भारत में टाटा, बिड़ला, अंबानी और अडानी बिजनेस समूह इन्हीं में से एक हैं, जिन्होंने पहले मेहनत से साम्राज्य खड़ा किया और आज देश में आर्थिक प्रगति को भी विस्तार दे रहे हैं।
अहम बात यह है कि भारत में मोदी सरनेम नाम के कई लोग हुए, जो कि बिजनेस में काफी सक्रिय थे लेकिन असल में वे लोग कभी अपना विस्तार कर ही नहीं सके। यदि वे ऐसा कर पाते तो आज टाटा, बिड़ला, अंबानी के अलावा एक बिजनेस घराना किसी मोदी उपनाम से भी होता। टीएफआई प्रीमियम में आपका स्वागत है। चलिए आज आपको बताते हैं कि आखिर वे कौन से मोदी सरनेम वाले लोग थे, जो कि भारत में आर्थिक जगत के दिग्गज बन सकते थे लेकिन समाजवाद और वामपंथी सोच ने उनका सत्यानाश कर दिया।
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गुजरमल मोदी ने खड़ा किया था साम्राज्य
मोदी सरनेम वाले किसी बड़े बिजनेस मैन की बात करें तो गुजरमल मोदी इस सूची में ऊपर आते हैं। ये भारत के एक उद्योगपति थे। इन्होंने मोदी उद्योग गृह की स्थापना की। इन्होंने उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में बेगमाबाद गांव को मोदीनगर नामक एक औद्योगिक टाउनशिप का रूप दिया। उन्हें उद्योग एवं व्यापार के क्षेत्र में सन 1968 में भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया था। वो उत्तर प्रदेश राज्य से थे। गाजियाबाद एक समय केवल इसीलिए एक बड़ा इंडस्ट्रियल शहर माना जाता था। हालांकि, अब गुजरमल मोदी का परिवार क्या कर रहा है किसी को नहीं पता। इसकी बड़ी वजह समाजवाद ही है और कोई गुजरमल मोदी को याद तक नहीं करता। गुजरमल को अंग्रेज सरकार ने रायबहादुर की उपाधि से नवाजा था।
गुजरमल मोदी के बेटे केके मोदी का जन्म अगस्त 1940 में पटियाला में हुआ था, वो इनके बड़े बेटे थे। मोदी ग्रुप के संस्थापक राय बहादुर गुजरमल मोदी थे। उन्होंने 1933 में अपना पहला चीनी कारखाना शुरू किया और स्वतंत्रता से पहले और बाद की अवधि में धीरे-धीरे विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में उद्यम करके एक विशाल व्यापारिक साम्राज्य स्थापित किया। युवा केके मोदी धीरे धीरे बड़े हो रहे थे और दूसरी ओर उनके पिता अपना वर्चस्व स्थापित कर रहे थे। उस समय देश प्रमुख सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तनों से जूझ रहा था। अहम बात यह है कि इन सामाजिक और राजनीतिक कारनामों ने ही गुजरमल की विरासत को कम करने में बड़ी भूमिका निभाई थी। 22 जनवरी 1976 को देहांत से पहले गुजरमल मोदी के पास 900 करोड़ रुपये की संपत्ति थी। 1,600 करोड़ रुपये की वार्षिक बिक्री के साथ भारत का उनका समूह देश का सातवां सबसे बड़ा समूह था।
वहीं, बीके मोदी यानी भूपेंद्र कुमार मोदी, रायबहादुर गुजरमल मोदी और दयावती मोदी के बेटे हैं। उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान से केमिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय से वित्तीय प्रबंधन की डिग्री प्राप्त की थी। भूपेंद्र कुमार मोदी को अनौपचारिक रूप से डॉ एम के रूप में जाना जाता है। वो एक भारतीय मूल के सिंगापुर के व्यापारी, सामाजिक उद्यमी और परोपकारी हैं। वह स्मार्ट ग्रुप ऑफ कंपनीज के संस्थापक-अध्यक्ष, ग्लोबल सिटीजन फोरम के संस्थापक और विदेशी निवेशक भारत फोरम के वैश्विक अध्यक्ष हैं। वो वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ यूनाइटेड नेशंस एसोसिएशन के मानद अध्यक्ष भी हैं।
ललित मोदी की कहानी
अब आज के समय की बात करें तो एक मोदी का नाम आप लोग खूब सुनते होंगे, ललित मोदी। ललित मोदी वर्तमान में बिजनेस को विस्तार करना तो छोड़िए उसे बर्बाद करने की जिद पर हैं। 1963 में भारत में दिल्ली के एक मारवाड़ी परिवार में जन्में, ललित कुमार मोदी ने प्रतिष्ठित सेंट जोसेफ कालेज, नैनीताल में अध्ययन किया। उन्होंने संयुक्त राज्य के ड्यूक विश्वविद्यालय में शिक्षा ली और 1986 में मार्केटिंग में स्नातक की डिग्री अर्जित की। ललित मोदी एक अमीर पिता कृष्ण कुमार मोदी के बेटे हैं। कृष्ण कुमार 4000 करोड़ रुपयों की कीमत वाली मोदी समूह के अध्यक्ष हैं।
ललित मोदी के दादा राज बहादुर गुजरमल मोदी ने मोदीनगर की स्थापना की थी। आपको बता दें कि ललित कुमार मोदी इंडियन प्रीमियर लीग के अध्यक्ष और कमिश्नर, चैंपियंस लीग टी20 के अध्यक्ष, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के उपाध्यक्ष और पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष रह चुके हैं। वह मोदी इंटरप्राइज़ेज़ के अध्यक्ष एवं प्रबंध निर्देशक और गॉडफ्रे फिलिप्स इंडिया के कार्यकारी निर्देशक भी हैं।
ललित मोदी भारत में बैंकों का बड़ा घोटाला कर के भागे हैं, उनके खिलाफ भारत में भ्रष्टाचार करने के कई मामले हैं। ललित मोदी पर क्रिकेट से लेकर राजनीति समेत अनेक क्षेत्रों में भ्रष्टाचार करने का आरोप लगता रहा है। इतना ही नहीं, वो भाग कर लंदन चले गए हैं और ललित मोदी के खिलाफ लंदन तक में केस चल रहा है, भारत सरकार उन्हें जल्द से जल्द भारत में लाने की कोशिशों में जुटी हुई है।
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अगली पीढ़ियों ने बर्बाद कर दिया
अब अहम बात यह है कि गुजरमल मोदी ने जो बिजनेस शुरू हुआ था, वह आज बर्बादी की कगार पर है। ऐसे में जो गुजरमल मोदी ने बनाया, उनकी अगली पीढियों ने उसे विस्तार करने पर ध्यान तो नहीं दिया लेकिन बर्बाद करने में अपनी अहम भूमिका निभाई। गुजरमल मोदी का आर्थिक साम्राज्य ढहने लगा और इसकी अहम वजह बस इतनी है कि इनके जिम्मेदारों को समाजवाद और वामपंथी होने का चस्का लगा था, जिसके कारण सब बर्बाद होता चला गया।
इसके विपरीत जो बिजनेस पेट्रो केमिकल से शुरू कर धीरूभाई अंबानी ने कि रिलायंस बनाया था, उसे मुकेश अंबानी ने देश का नंबर वन व्यापारिक साम्राज्य बना दिया। अडानी ने भी बिजनेस की शुरुआत इसी तरीके से की थी। इसके चलते न केवल देश का व्यापार मजबूत हुआ बल्कि देश में रोजगार के लाखों करोड़ों लोगों को रोजगार मिला है। लाखों लोगों के घरों का चूल्हा इन्हीं रिलायंस, अडानी, आदि से चलता है। जमशेद जी टाटा ने जो स्टील बिजनेस शुरू किया था, उसे होटल से लेकर मोटर्स और हॉस्पिटैलिटी तक बिजनेस फैलाकर रतन टाटा ने देश का टॉप 3 बिजनेस ग्रुप बना दिया। वहीं, दूसरी ओर वामपंथी सोच, समाजवादी सोच की तरफ रुझान, नारेबाजी और राजनीतिक नौटंकियों आदि के चक्कर में मोदी समूह ने अपने बिजनेस साम्राज्य को नष्ट कर दिया, वरना आज टाटा, अंबानी, बिड़ला, अडानी ग्रुप की तरह एक मोदी समूह भी होता।
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