चोल साम्राज्य भारत का इकलौता ऐसा साम्राज्य था, जिसने 1500 वर्षों तक शासन किया. इनके शासन का पैटर्न दूसरों से काफी अलग था और इसी के बलबूते उन्होंने सबसे अधिक समय तक शासन करने का कीर्तिमान स्थापित किया. चोल वंश की रहस्यमयी नगरी का इतिहास काफी रोचक है. हाल ही में प्रदर्शित फिल्म PS-1 (पोन्नियिन सेलवन-1) के जरिए इसे दर्शाने का प्रयास भी किया गया, जो कल्कि के उपन्यास पर आधारित था लेकिन इस फिल्म ने चोलों के वास्तविक इतिहास के साथ न्याय नहीं किया.
फिल्म की कहानी कई जगह पटरी से उतरती हुई प्रतीत हुई. फिल्म को लेकर लोगों की प्रतिक्रियाएं काफी मिश्रित रही. वहीं, काफी लोग ऐसे भी रहे जिन्हें कुछ समझ में ही नहीं आया. कुछ लोगों को थोड़ा बहुत समझ में आया भी तो वे कड़ियां जोड़ने में विफल रहे. इस लेख में आज हम आपको PS-1 के कुछ वैसे बिंदुओं से अवगत कराएंगे, जिसे इस फिल्म के निर्देशक मणिरत्नम ने आपके सामने प्रस्तुत ही नहीं किया है.
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1. आदित्य करिकालन और नंदिनी की प्रेम कहानी
PS-1 में आदित्य करिकालन और नंदिनी के रिश्ते को दर्शाया गया है लेकिन चीजें फिर भी स्पष्ट नहीं है. ज्ञात हो कि नंदिनी और आदित्य करिकालन बचपन से ही एक दूसरे के काफी अच्छे दोस्त थे. समय के साथ-साथ दोनों का रिश्ता भी बड़ा हुआ और बात राजमहल तक पहुंच गई. उसके बाद राजा सुंदर चोल और उनकी पत्नी वामन देवी ने नंदिनी से मिलने की इच्छा जताई. फिर क्या था, नंदिनी को राजसभा में बुलाया गया. नंदिनी इतनी खूबसूरत थी कि उसे देखते ही राजसभा में बैठे लोगों की आंखें चमक उठी. राजा सुंदर चोल उसे देखते ही बेहाल हो उठे.
आदित्य करिकालन की माता वामन देवी को नंदिनी काफी पसंद आई लेकिन वो कुछ कह पाती, उससे पहले ही उन्हें ज्योतिषी की वो भविष्यवाणी याद आ गई, जिसमें कहा गया था कि आदित्य करिकालन जिस लड़की से प्यार करता है, उससे अगर उसकी शादी हो गई तो वहीं उसकी मौत का कारण भी बनेगी. यही सोचकर वह चुप रह गईं लेकिन आदित्य करिकालन की छोटी बहन कुंदवई ने दोनों की शादी का विरोध कर दिया.
नतीजा यह हुआ कि दोनों की शादी नहीं हो पाई. इसके अलावा भरी सभा में नंदिनी की बेइज्जती हुई सो अलग। उसके बाद आदित्य करिकालन पर निगरानी रखी जाने लगी और नंदिनी को चोल साम्राज्य छोड़ने का आदेश दे दिया गया. यही से आदित्य करिकालन और नंदिनी पूरी तरह से अलग हो गए थे. अब आप सोच रहे होंगे कि नंदिनी को देख कर सुंदर चोल बेहाल क्यों हो उठे? कुंदवई ने इनकी शादी का विरोध क्यों किया? जैसे-जैसे आप लेख में आगे बढ़ेंगे, आपको इन सभी का उत्तर मिलता जाएगा.
2. नंदिनी के साथ झोपड़ी में वीर पांड्यन
PS-1 में एक जगह दिखाया गया है कि नंदिनी, चोलों के दुश्मन पांड्यन वंश के राजा वीर पांड्यन से एक झोपड़ी में मिलती है, जहां आदित्य करिकालन पहुंच जाते हैं और नंदिनी के लाख मना करने के बावजूद वीर पांड्यन की हत्या कर देते हैं. फिल्म में दिखाया गया यह चित्रण लोगों के सिर के ऊपर से निकल गया. चलिए हम आपको बताते हैं. ज्ञात हो कि नंदिनी, सुंदर चोल और मंदाकिनी की बेटी थी. इसी कारण राजसभा में नंदिनी को देखकर सुंदर चोल बेहाल हो उठे थे. उनके इस रिश्ते के बारे में वामन देवी को पता था लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि सुंदर चोल और मंदाकिनी की कोई पुत्री भी है. लेकिन कुंदवई यह सब जानती थी और इसीलिए उसने शादी का विरोध किया था. अब आप पूछेंगे ये मंदाकिनी कौन है?
दरअसल, सुंदर चोल एक बार युद्ध पर निकले थे लेकिन वो अपनी सेना की टुकड़ी से बिछड़ गए और श्रीलंका के एक टापू पर जा पहुंचे. उन्होंने एक घर का दरवाजा खटखटाया, दरवाजा खुलते ही जख्मी सुंदर चोल सामने वाले के कंधे पर गिर पड़े. सुंदर चोल जिसके कंधे पर गिरे थे, वही थीं मंदाकिनी. मंदाकिनी देखने में काफी सुंदर थी लेकिन वो बोल और सुन नहीं सकती थी. सुंदर चोल का नाम भी उनकी सुंदरता के कारण ही पड़ा था. उसके बाद इन दोनों के प्रेम कहानी आगे बढ़ी. हालांकि, सुंदर चोल इनसे शादी नहीं कर पाए. इसके बावजूद उन्होंने मंदाकिनी का पूरा ख्याल रखा लेकिन इस प्रकरण के बाद मंदाकिनी पूरी तरह से टूट चुकी थी. उन दोनों की एक बेटी भी हुई, जिसका नाम था नंदिनी. हालांकि, उसके बाद उन्होंने वीर पांड्यन से शादी कर ली लेकिन वीर पांड्यन की सच्चाई सामने आते ही मंदाकिनी उनसे अलग हो गई.
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नंदिनी की आंखों के सामने ही यह पूरी फिल्म चल रही थी. उसे पहले से ही अपनी सच्चाई के बारे में पता था और एक साजिश के तहत ही आदित्य करिकालन के साथ इसकी प्रेम कहानी शुरू हुई थी. उसे भी हर वो चीज चाहिए था, जिसकी वो वास्तव में हकदार थी यानी राजमहल का जो सुख कुंदवई और आदित्य करिकालन को मिल रहा था, नंदिनी उसके लिए बराबर की भागीदार थी. लेकिन भरी सभा में बेइज्जती और आदित्य से उसका रिश्ता टूटने के बाद उसके लिए चीजें आसान नहीं रह गई थी और उसने षड्यंत्र रचना आरंभ कर दिया था.
वीर पांड्यन उसके पिता थे और चोलों पर आक्रमण करने से ठीक पूर्व नंदिनी ने उन्हें मिलने के लिए बुलाया था. हालांकि, चोल साम्राज्य पर पांड्यन साम्राज्य के आक्रमण की खबर आदित्य करिकालन को पहले से ही थी और वो इसके लिए अपने गुप्तचर फैला चुके थे. उन्हें नंदिनी और वीर पांड्यन की मुलाकात की जानकारी भी पहले से थी. ऐसे में जब वीर पांड्यन नंदिनी के पास पहुंचे और चोल साम्राज्य के विनाश को लेकर अंदर उनदोनों के बीच जो बातें हुई, वो सब आदित्य करिकालन ने अपनी कानों से सुनी और क्रोध में आकर उन्होंने वीर पांड्यन का सर धड़ से अलग कर दिया.
3. नंदिनी का डबल रोल
PS-1 फिल्म के अंत में हाथी पर बैठी एक महिला को दिखाया गया है, जिसकी शक्ल हूबहू नंदिनी से मिलती हुई नजर आ रही है. लेकिन दोनों की उम्र में काफी ज्यादा अंतर है. फिल्म में इसे लेकर कुछ भी स्पष्ट नहीं किया गया है. चलिए इसे भी स्पष्ट कर ही देते हैं. दरअसल, फिल्म के अंत में हाथी पर बैठी जिस महिला को दिखाया गया है, वह वास्तव में नंदिनी की मां मंदाकिनी हैं. वीर पांड्यन से अलग होने के बाद वह एक द्वीप पर जाकर बस गई थीं.
फिल्म में दिखाया गया है कि श्रीलंका से लौटते हुए पोन्नियिन सेलवन (अरुणमोझी वर्मन) चक्रवात में फंस जाते हैं, जहाज टूट जाता है और वो लहरों में समा जाते हैं. जिसके बाद समुद्र में मंदाकिनी को दिखाया गया है. ज्ञात हो कि मंदाकिनी ने बचपन में भी अरुणमोझी वर्मन को कावेरी नदी में डूबने से बचाया था और यही से उनका नाम पोन्नियिन सेलवन पड़ा, जिसका मतलब होता है कावेरी का बेटा. इसके आगे की कहानी यह है कि अरुणमोझी वर्मन को समुद्र में डूबने से बचा लिया जाता है और उन्हें वापस चोल साम्राज्य पहुंचा दिया जाता है.
इसके अलावा पर्वतेश्वर से नंदिनी की शादी तो PS-1 में दिखा दी गई है लेकिन इसके पीछे भी चीजें स्पष्ट नहीं है. ऐसे में अगर वास्तविक इतिहास के आधार पर PS-2 बनाई जाती है तो उसमें सुंदर चोल की मृत्यु, आदित्य करिकालन का राजतिलक और नंदिनी के हाथों उनकी हत्या, कुंदवई से शासन संभालने का अनुरोध, उत्तम चोल का राजतिलक और नंदिनी के हाथों उनकी हत्या, उसके बाद अरुणमोझी का राजतिलक, ये सारी चीजें आगामी भाग में दिखाई जा सकती हैं.
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