Bazzball Cricket: देखा जाए तो पिछले कुछ समय में क्रिकेट में कई बदलाव आए हैं। जहां पहले टेस्ट क्रिकेट ही खेला जाया था परंतु फिर धीरे-धीरे वनडे और उसके बाद टी-20 क्रिकेट भी अस्तित्व में आया और आज के समय में क्रिकेट प्रेमियों का झुकाव छोटे फॉर्मेट की तरफ ही अधिक देखने को मिलता है। वहीं टेस्ट क्रिकेट में भी तेज खेलने की रणनीति को आज काफी आकर्षक माना जा रहा है। इसको लेकर एक शब्द “बैजबॉल” का भी प्रयोग किया जा रहा है।
और पढ़ें: भारत संजू सैमसन को खो सकता है और इसके लिए BCCI जिम्मेदार होगा
क्या है (Bazzball Cricket) बैजबॉल क्रिकेट?
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर यह बैजबॉल क्रिकेट (Bazzball Cricket) है क्या? तो आपको बता दें कि टेस्ट में आक्रामकता से खेलने को ही बैजबॉल क्रिकेट (Bazzball Cricket) कहा जा रहा है। यानी टेस्ट में भी वनडे या टी-20 की तरह तेज-तेज खेलों और जल्दी मैच निपटा दो। ऐसा कुछ हाल ही में तब देखने को मिला जब दशकों बाद पाकिस्तान गई इंग्लैंड क्रिकेट टीम भी इस तेज रणनीति को अपनाकर सीरीज जीत गईं। ऐसे में टेस्ट क्रिकेट खेलने की परिभाषा को बदलने का सारा श्रेय इंग्लैंड को दिया जा रहा है। परंतु कुछ लोग यह भूल गए कि टेस्ट क्रिकेट में इसकी शुरुआत किसी और ने नहीं बल्कि भारत के एक खिलाड़ी के द्वारा ही किया गया है। आज जब भारत का वो दिग्गज इंग्लैंड की वाहवाही को सुन रहा होगा तो ठहाके लगा रहा होगा।
बैजबॉल अंदाज में इंग्लैंड ने पाकिस्तान को धोया
दरअसल, हाल ही में पाकिस्तान और इंग्लैंड के बीच तीन मैच की टेस्ट सीरीज खेली गई। इस सीरीज में इंग्लैंड ने पाकिस्तान को उसके घर में 3-0 से हराकर सीरीज में सूपड़ा साफ कर दिया है। यह पहला मौका है जब पाकिस्तान की टीम अपने घर में तीन मैच की टेस्ट सीरीज में सभी मैच हार गई अब अहम बात यह है कि इंग्लैंड के बल्लेबाजों ने टेस्ट क्रिकेट को टेस्ट की जगह बल्कि प्रत्येक मैच को वनडे और टी-20 अंदाज में ज्यादा खेलती दिखी। क्योंकि इंग्लैंड के खेलने का अंदाज आक्रामक रहा इसीलिए इसे बैजबॉल का नाम दिया जा रहा है। इसी के बाद से बैजबॉल क्रिकेट (Bazzball Cricket) को लेकर चर्चाएं जोरों पर है। इंग्लैंड की नीति रही जल्दी जल्दी गेंदबाजों की धुनाई कर मैच जीतों। इसके चक्कर में बैजबॉल क्रिकेट ((Bazzball Cricket)) का सारा श्रेय इंग्लैंड को दिया जा रहा है।
और पढ़ें: भारतीय टीम की ‘दुर्दशा’ के पीछे के इन बड़े कारणों पर किसी की नजर ही नहीं है
दरअसल बैजबॉल शब्द का संबंध इंग्लैंड के कोच ब्रेंडन मैक्कुलम से जुड़ा है। मैक्कुलम की बल्लेबाजी के अंदाज से हर कोई परिचित है। वो बहुत ही तेजी और आक्रामक बल्लेबाजी करते थे। मैक्कुलम का निकनेम बैज था। इंग्लैंड ने ये शब्द अपने कोच के निकनेम से निकाला। इस शब्द में उन्होंने मैक्कुलम के खेलने का अंदाज भी जोड़ा। ध्यान देने वाली बात यह है कि जब से मैक्कुलम कोच बने हैं, तब से इंग्लैंड टीम का टेस्ट में खेलने का तरीका काफी बदल गया है। इसके पीछे का कारण इंग्लैंड की आक्रामक बल्लेबाजी रही। इंग्लैंड ने भारतीय टीम को भी पांचवें टेस्ट मैच में इस तरह हराया था।
वर्ष 2014 में न्यूजीलैंड और भारत के बीच दो टेस्ट मैच हुए थे। इस दौरान ब्रैंडन मैक्कुलम ने शानदार पारी खेली थीं। सीरीज का पहला टेस्ट मैच न्यूजीलैंड ने 40 रन से जीत लिया था। एक समय न्यूजीलैंड की टीम मुश्किल में थी लेकिन मैक्कुलम ने 307 गेंदों 224 रन ठोके दिए थे। इसके बाद न्यूजीलैंड ने वापसी कर मैच जीत लिया। वहीं दूसरे टेस्ट की दूसरी पारी में मैक्कुलम ने 559 गेंदों में 302 रन ठोक दिए थे। न्यूजीलैंड ने ये मैच आसान तरह से ड्रा करा लिया था।
मैक्कुलम को बैजबॉल की विचाराधारा का जनक कहा जाता है। वह मानते हैं कि टेस्ट क्रिकेट को खेलने के तरीके में बदलाव की जरूरत थी। मजबूत विरोधी टीम के विरुद्ध आक्रामकता से खेलकर दबाव बनाने की रणनीति का इस्तेमाल उन्होंने अपने करियर के दौरान खूब किया था। अब इसी रणनीति से इंग्लैंड की टीम भी खेलती नजर आती है।
आक्रामक रहा है सहवाग का खेलने का तरीका
अब यह सब देखकर भारत का एक खिलाड़ी हंस रहा होगा, क्योंकि इसका पूरा का पूरा श्रेय इंग्लैंड और ब्रैंडन मैक्कुलम को दिया जा रहा है। यह कोई नहीं बल्कि अपने वीरू पाजी अर्थात वीरेंद्र सहवाग हैं। दिग्गज ओपनर सहवाग हमेशा ही अपने आक्रामक क्रिकेट के लिए पहचाने जाते रहे हैं। लाहौर में पाकिस्तान के खिलाफ 2006 में ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करते हुए 247 गेंदों पर 47 चौकों तथा एक छक्के की मदद से शानदार 254 रन ठोक दिए थे। अब आप तय करिए कि यदि 304 गेंदों में 224 रन बनाना तेज माना जाएगा, और 559 गेंदों में 302 रन फास्ट क्रिकेट होगा, तो फिर सहवाग की 247 गेंदों में 254 रनों की पारी तो तूफानी, आंधी या सुनामी तो कही ही जाएगी।
और पढ़ें: वीरेंद्र सहवाग– जिनके आउट होते ही TRP धड़ाम हो जाती थी
सहवाग ने साल 2004 में भारत के पाक दौरे में टेस्ट मैच के दौरान मुल्तान में 375 गेंदों पर 309 रनों की पारी खेली थी। इसके चलते ही उन्हें मुल्तान का सुल्तान कहा जाने लगा। इसके बाद 2008 में चेन्नई में खेले गए इस टेस्ट मैच में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भारतीय टीम की तरफ से सहवाग ने ताबड़तोड़ पारी खेलते हुए 278 गेंदों में तिहरा शतक जड़ दिया था। उन्होंने कुल 304 गेंदों में 319 रनों का विशाल निजी स्कोर बनाया था। वहीं मुंबई के ब्रेबोर्न स्टेडियम में श्रीलंका के खिलाफ वीरेंद्र सहवाग ने 254 गेंदों पर 293 रनों की पारी खेली थी। इस पारी की बदौलत भारत ने इस मैच को आसानी से जीत लिया था। अब अगर इन सभी रिकॉर्ड की किताब को देखें तो सहवाग का स्ट्राइक रेट सभी मैचों में 100 से अधिक रहा तो जोकि वनडे की मांग होती है। ऐसे में यह कहा जाए कि सहवाग ने टेस्ट क्रिकेट को भी पूरी तरह से वनडे बना दिया था तो गलत नहीं होगा।
ब्रैंडन मैक्कुलम निश्चित तौर पर अच्छे खिलाड़ी रहे हैं किंतु उनकी एक-दो पारी के दम पर उन्हें बैजबॉल क्रिकेट (Bazzball Cricket) का जनक कहा जाए तो यह सहवाग के साथ गलत होगा। टेस्ट में वीरेंद्र सहवाग का 82.23 का है। वर्ष 2001 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट डेब्यू करने वाले सहवाग ने अंतर्राष्ट्रीय करियर में 104 टेस्ट मैच खेले। सहवाग ने 180 परियों में 49.34 की शानदार औसत से 8586 रन बनाये हैं। इस दौरान उनके बल्ले से 23 शतक, 6 दोहरे शतक, जबकि उन्होंने 100 की स्ट्राइक रेट से दो तिहरे शतक जड़े थे। सहवाग को केवल एक ही मंत्र पता था, पहली ही गेंद से गेंदबाजों की धुनाई करनी होगी। उन्होंने अपने टेस्ट करियर के दौरान उस दौर के शांत क्रिकेट में धमाल मचाया था। सहवाग ने 1,233 चौके और 91 छक्के लगाए थे। ऐसे में सहवाग को सीधे तौर पर बैजबॉल क्रिकेट (Bazzball Cricket) का माना जाना चाहिए, क्योंकि इस उपाधि के लिए सुयोग्य खिलाड़ी केवल वीरेंद्र सहवाग ही हैं।
और पढ़ें: कपिल देव के डेब्यू के साथ ही और बदल गई थी भारतीय क्रिकेट टीम की दिशा और दशा
TFI का समर्थन करें:
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।