प्रस्तुत करते हैं श्रीमान अरविंद केजरीवाल की सरकार का नया घोटाला…

दिल्ली में एक और नया घोटाला। पानी के बिल कलेक्ट करने वाली कंपनी है ही नहीं। सफाईकर्मी को निदेशक बना दिया है।

AAP is drowning deep in corruption, Jal Board and liquor are just the tip of the iceberg

Source- TFI

Delhi Jal Board Scam: अगर भ्रष्टाचारों और घोटालों की कोई प्रतियोगता होती तो उसमें कांग्रेस और एक दशक पुरानी आम आदमी पार्टी एक दूसरे को कड़ी टक्कर देती। अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी भ्रष्टाचार का नया पर्याय बन चुकी हैं। आए-दिन केजरीवाल और उनके नेताओं से जुड़े कारनामों की पोल खुल ही रहती है। कभी बसों का घोटाला तो कभी शराब घोटाला तो आप सुनते-सुनते थक जाएंगें, लेकिन आम आदमी पार्टी के घोटालों की लिस्ट खत्म नहीं होगी।

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दिल्ली जल बोर्ड घोटाला

हाल ही में आम आदमी पार्टी के ‘दिल्ली जल बोर्ड’ (Delhi Jal Board Scam) को लेकर एक नए और चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। दरअसल, कुछ समय पहले ही दिल्ली जल बोर्ड में 20 करोड़ रुपये के घोटाले (Delhi Jal Board Scam)  के मामला सामने आया था। इस मामले की जांच करने वाली एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) को लेकर कुछ नई जानकारियां हासिल हुई है। ACB के अनुसार, जिस पेमेंट गेटवे के लिए बैंक ने जिस फर्म को नियुक्त किया था, वह केवल पन्नों तक ही सीमित है। असल में ऐसी कोई फर्म है ही नहीं। इस संबंध में अब ACB ने बैंक के अधिकारियों और दिल्ली जल बोर्ड से पूछताछ के लिए समन भेजने वाली है।

ACB चीफ मधुर वर्मा ने जब इस पूरे मामले की जांच की। उनके अनुसार वर्ष 2012 में कॉर्पोरेशन बैंक के द्वारा दो कंपनियों फ्रेश पे आईटी सल्यूशंस और अर्रुम को नियुक्त किया गया था। इन दोनों कंपनियों को दिल्ली जल बोर्ड ने पानी बिल के ई-पेमेंट भुगतान करने के लिए रखा गया था। लेकिन ACB ने जब जांच की तो पाया कि ऐसी कोई कंपनियां है ही नहीं और न कभी थी। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अर्रुम में 4 से 5 लोगों को इसका डायरेक्टर बनाया गया था। वहीं फ्रेश पे में तो 14-15 लोगों को डायरेक्टर बना दिया गया था। साथ ही एसीबी चीफ ने आगे बताया कि जिस रतन सिंह को फ्रेश पे और अर्रुम का डायरेक्टर कहा जा रहा था वह असल में एक कार क्लीनर है। इन सभी डायरेक्टरों की लिस्ट में कुछ रूसी नागरिकों का भी नाम शामिल है।

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जानकारी के लिए आपको बता दें कि ये (Delhi Jal Board Scam) पूरा मामला सबसे पहले साल 2019 में सामने आया था जिसमें कस्टमर्स से पानी के बिल के नाम पर 20 करोड़ रुपये की राशि जमा करवाई गयी थी लेकिन ये पूरी राशि कई सालों तक दिल्ली जल बोर्ड (DJB) के बैंक खाते में जमा न होकर एक निजी बैंक खाते में जमा कराए गए थे। जून 2012 में डीजेबी ने अपने कॉर्पोरेशन बैंक को आदेश के माध्यम से तीन वर्षों के लिए पानी के बिल जमा करने के लिए नियुक्त किया था। हालांकि जब बैंक के अनुबंध को 10 अक्टूबर, 2019 से आगे बढ़ाया जा रहा था, तब देखा गया कि जुलाई 2012 से 10 अक्टूबर, 2019 तक अनुबंध की अवधि के दौरान बैंक द्वारा नकदी जमा न करने और देरी से जमा करने के संबंध में गंभीर अनियमितताएं हुई थीं। उपभोक्ताओं द्वारा जमा 20 करोड़ रुपये की राशि डीजेबी के बैंक खाते में पहुंची थी और इतना सब होने के बाद भी ने बैंक के अनुबंध को 2020 तक बढ़ा दिया।

अब यहां एक बात ध्यान देने योग्य है कि साल 2012 में दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी। लेकिन यह मामला वर्ष 2019 में प्रकाश में आया था। क्या ऐसा संभव है कि आम आदमी पार्टी के सत्ता में आने के बाद उसे इस घोटाले की भनक तक नहीं लगी? या उन्होंने भी सोचा कि चलो इस बहती हुई गंगा में हम भी अपने हाथ धो लें? आम आदमी पार्टी ने सत्ता में आने के बाद इस खेल को नहीं रोका। सितंबर 2022 में दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इस मामले में जांच के साथ ही प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश दिए थे। जिसके बाद नवंबर 2022 में भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (ACB) ने FIR दर्ज की थीं।

शराब घोटाला

ऐसा लगता है कि तथाकथित कट्टर ईमानदार पार्टी ने घोटालों की लाइन ही लगा दी है। Delhi Jal Board Scam से पहले भी केजरीवाल और उनके नेताओं से जुड़े कई घोटाले सामने आ चुके हैं। लंबे समय से आम आदमी पार्टी शराब घोटाले के चलते तो चर्चा में बनी हुई है ही। केजरीवाल के प्रिय नेता और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर शराब घोटाले में बुरी तरह से घिरे हुए हैं। इस मामले में सीबीआई ने अगस्त में FIR दर्ज की थी, जिसमें मनीष सिसोदिया, तीन पूर्व सरकारी अफसर, 9 कारोबारी और दो कंपनियों को आरोपी बनाया गया। शराब घोटाले को लेकर आरोप यह लगे हैं कि शराब की बिक्री करने वालों को लाइसेंस फीस माफ कर देने से सरकार को कुल 144 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा था और आबकारी मंत्री होने पर भी मनीष सिसोदिया ने इन प्रावधानों को पूरी तरह से अनदेखा किया था।

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स्कूल घोटाला

इसके अलावा कुछ समय पूर्व ही केजरीवाल का एक और स्कूल घोटाला भी सामने आया था। जहां दिल्ली सरकार के विजिलेंस विभाग ने स्कूलों से जुड़े 1300 करोड़ के बड़े घोटाले के विषय में जानकारी दी थी। विभाग का ऐसा दावा था कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 2400 क्लास रूम बनाने में आम आदमी पार्टी की सरकार ने जमकर घपलेबाज़ी की है। जांच से ये खुलासा हुआ था कि 5 स्कूलों में बिना टेंडर के ही 42 करोड़ का कार्य करा दिया गया था। वहीं स्कूलों में 116 टॉयलेट ब्लॉक की आवश्यकता थी, लेकिन 1214 टॉयलेट ब्लॉक का निर्माण करा दिया गया था। विजिलेंस विभाग की रिपोर्ट में ये भी बताया गया था कि टेंडर की प्रक्रिया में उलटफेर करने के लिए नियमों का उल्लंघन किया गया था। बेहतर सुविधाओं की बात करके खर्चा को 90 प्रतिशत तक बढ़ाया गया था।

सलाखों के पीछे हैं सत्येंद्र जैन

आप नेता सत्येंद्र जैन पहले ही भष्ट्राचार के आरोप में सलाखों के पीछे हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने बीते साल 30 मई को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के मामले में हिरासत में लिया था। हवाला मामले में जैन जेल में बंद है। वो अलग बात है कि जेल में भी उनके लिए केजरीवाल ने मसाज सेंटर से लेकर होटल के स्वादिष्ट भोजन तक की सुविधा उपलब्ध कराई हुई है यानि जेल में भी उन्हें VIP ट्रीटमेंट दिया जा रहा है।

इसके अलावा अन्य मामलों की बात करें तो दिल्ली की केजरीवाल सरकार के ऊपर डीटीसी की 1000 बसों की खरीद और उनके मेंटेनेंस में अनियमितताओं के आरोप लग हैं। इस मामलों को देखकर यदि यह कहा जाए कि आम आदमी पार्टी भ्रष्टाचार में कंठ तक डूबी हुई है, तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। शराब घोटाला, जल बोर्ड, बस घोटाला आदि तो केवल कुछ उदाहण हैं। इसके अलावा न जाने कितने घोटालों को तो शायद केजरीवाल सरकार ने अंदर ही दबा दिए होंगे। अगर ये सभी घोटालें चर्चा में न आते तो शायद इनका भी भंडा न फूटता।

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