Abhilekh Kise Kahate Hain: अभिलेख किसे कहते हैं महत्व एवं प्रकार
स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे Abhilekh Kise Kahate Hain में साथ ही इससे जुड़े महत्त्व एवं प्रकार के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें
अभिलेख –
प्राचीन समय में राजा महाराजा के द्वारा जब कोई नई वस्तु बनाई जाती, तो उसके बारे में एक महत्वपूर्ण जानकारी दान पत्र या पत्थर आदि पर खुद आकर लिखी जाती थी, लेख को ही हम अभिलेख कहते हैं। भारत में बहुत से अभिलेख मौजूद हैं।
भारत के अभिलेखों को मुख्य रूप –
- मौर्यपूर्व
- मौर्य
- शुंग
- भारत-बाख्त्री
- शक
- कुषण
- आंध्र-शातवाहन
- गुप्त
- मध्यकालीन
- आधुनिक
अभिलेखों की प्राप्ति –
- विश्व का सबसे प्राचीन अभिलेख सुमेरिया का अक्काट वंशीय शासक द्वारा खुदवाया गया अभिलेख है। इसका काल 2370 ई.पू. का है।
- भारत में प्राप्त सबसे प्राचीन अभिलेख हङप्पा संस्कृति की मुहरों पर अंकित है। ये लगभग 2500 ई.पू. के हैं परंतु इनका पढ़ना अभी संभव नहीं हुआ
- सबसे प्राचीन अभिलेखों में मध्य एशिया के बोगजकोई से प्राप्त अभिलेख है। इसमें वैदिक देवता मित्र, वरुण, इंद्र और नासत्य आदि के नाम मिलते हैं। ये लगभग 1400 ई. पू. के हैं तथा इनसे ऋग्वेद की तिथि ज्ञात करने में सहायता मिलती है।
- है।
- भारत में सर्वप्रथम अशोक ने पठित अभिलेख लिखवाये थे।
अभिलेखों का महत्त्व –
- राज्य शासन व्यवस्था की जानकारी, पदों व कर की जानकारी मिलती है।
- अभिलेखों के द्वारा तत्कालीन भारत की राजनैतिक, सामाजिक, धार्मिक एवं आर्थिक स्थितियों के बारे में जानकारी मिलती है।
- इन अभिलेखों से राजवंशावली की जानकारी भी प्राप्त होती है। जिससे इतिहास का कालक्रम निर्धारण में सहायता प्राप्त होती है।
प्राचीन और ऐतिहासिक अभिलेख –
प्राचीन अभिलेखो की तिथिक्रम के अनुसार सबसे प्राचीन अभिलेख के मिस्त्र के अभिलेखों को माना जाता है जो चित्रलिपि में लिखे गए थे इसके पश्चात इराक के अभिलेखों का स्थान आता है जो अर्धचित्र और पुन: कीलाक्षरों में अंकित है भारत के सिंधु घाटी के अभिलेखों को इराक के अभिलेखों के समकालीन माना जाता हैं
अभिलेखों के प्रकार –
- शिलालेख
- स्तम्भलेख
- गुहालेख
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