अक्षय खन्ना- एक ऐसा अभिनेता जो योग्य होते हुए भी साइडलाइन हो गया

अक्षय खन्ना ने कई फिल्मों में उत्कृष्ट अभिनय किया परंतु बॉलीवुड ने इनकी कला को उचित सम्मान नहीं दिया।

अक्षय खन्ना

Source- TFI

इन दिनों बॉलीवुड के विरुद्ध राष्ट्रव्यापी अभियान जारी है। कुछ तो सुशांत सिंह राजपूत की रहस्यमयी परिस्थितियों और कुछ बॉलीवुड हस्तियों के दंभी बयानों से रुष्ट होकर बॉलीवुड का समूल नाश करने का संकल्प ले चुके हैं। इनके अनुसार बॉलीवुड में समस्या की मूल जड़ वंशवाद है, जिसे उखाड़कर फेंकना अवश्यंभावी है। अब ये कुछ हद तक सत्य भी है, परंतु इसी सत्य का एक और पहलू है, जिसपर बहुत ही कम लोग ध्यान देते हैं, और ये अक्षय खन्ना से बेहतर कौन जानें?

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इस लेख में हम आपको परिचित कराएंगे अक्षय खन्ना की यात्रा से, जो एक योग्य अभिनेता होते हुए भी कभी वो प्रसिद्धि नहीं प्राप्त कर पाए, जिसके वह अधिकारी थे।

“बहुत तकलीफ होती है, जब आप योग्य हों, और लोग आपकी योग्यता को न जाने”। मिर्ज़ापुर में दिव्येंदु यानि अपने मुन्ना भैया द्वारा बोला गया यह संवाद कई लोगों के जीवन का कटु सत्य भी है और अक्षय खन्ना भी इन्हीं में से एक है। नेपोटिज्म के कुछ साइड इफेक्ट ऐसे भी होते हैं कि आप एक सफल अभिनेता के पुत्र होकर भी अपने लिए उचित लाइमलाइट नहीं प्राप्त कर पाते।

किसे विश्वास होगा कि कई अवसरों पर अपने पिता विनोद खन्ना से भी उत्कृष्ट अभिनय करने वाले अक्षय खन्ना को कोई बॉलीवुड में भाव तक नहीं देगा। परंतु जीवन के अनेकों रूप होते हैं और शायद अक्षय ने इन सभी का अनुभव किया है। 1975 में बॉम्बे (अब मुंबई) में जन्में अक्षय खन्ना के लिए अभिनय पहला विकल्प नहीं था, क्योंकि वह स्पोर्ट्स में अधिक रुचि लेते थे। परंतु इसे अपेक्षाओं का बोझ कहिए या भाग्य का फेर, वे उसी उद्योग में आ गए, जिससे वह दूर रहना चाहते थे।

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अक्षय खन्ना का फिल्म करियर

1997 में “हिमालय पुत्र” से अक्षय खन्ना ने अपने फिल्म करियर का प्रारंभ किया, परंतु उन्हें सफलता हाथ नहीं लगी। फिर तीन माह बाद वो फिल्म प्रदर्शित हुई, जिसने अक्षय खन्ना का करियर हमेशा के लिए बदल दिया। 13 जून 1997 को सिनेमाघरों में आई “बॉर्डर”, जिसमें अक्षय खन्ना ने लोंगेवाला में अपना शौर्य प्रदर्शित करने वाले सेकेंड लेफ्टिनेंट धर्मवीर भान की भूमिका निभाई थी।

हालांकि लेफ्टिनेंट धर्मवीर का रोल अक्षय खन्ना को यूं ही नहीं मिला। इस रोल के लिए अक्षय कुमार और अजय देवगन से लेकर आमिर खान, सैफ अली खान इत्यादि तक से बात की गई। पर जहां अक्षय कुमार ने शेड्यूल और अजय देवगन एवं सैफ ने अपने किरदार का हवाला देते हुए इस रोल से कन्नी काटी, वहीं आमिर खान और यहां तक कि सलमान खान ने इस फिल्म में भाग लेने से ही मना कर दिया। अंत में ये रोल अक्षय खन्ना को मिला। इस फिल्म में सनी देओल के अतिरिक्त सुनील शेट्टी, पुनीत इस्सर एवं जैकी श्रॉफ जैसे दमदार अभिनेता भी थे। परंतु अक्षय खन्ना न केवल इन लोगों के समक्ष टिके, अपितु अपने अभिनय से उन्होंने अनेकों दर्शकों के हृदय में भी जगह बनाई। इस फिल्म के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ मेल डेब्यू के फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया, साथ ही सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के पुरस्कार के लिए नामांकित भी किया गया।

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कई फिल्मों में किया दमदार अभिनय

परंतु ये तो मात्र प्रारंभ था। अक्षय खन्ना ने इसके पश्चात कई फिल्में की। परंतु उन्हें पहचान मिली “दिल चाहता है” में सिद्धार्थ सिन्हा के रोल से, जहां वे कई अवसरों पर आमिर खान एवं सैफ अली खान पर भी भारी पड़े। उनका रोल सीमित था, परंतु इस रोल के लिए अक्षय को सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिला। इतना ही नहीं, “गांधी माई फादर” में जिस प्रकार से उन्होंने हरीलाल गांधी की पीड़ा को आत्मसात किया, वो आज भी अच्छे से अच्छे अभिनेता या सुपरस्टार शायद ही कर पाए और “हंगामा” में जीतू के कॉमिक रोल एवं “रेस” में राजीव सिंह के नकारात्मक किरदार में भी उन्होंने अच्छे अच्छों के छक्के छुड़ा दिए।

तो ऐसे व्यक्ति को बॉलीवुड में काम क्यों नहीं मिला? कुछ लोग कहते हैं कि अक्षय खन्ना का व्यक्तित्व वैसा नहीं था और उनके बाल भी झड़ रहे थे। असल में अक्षय खन्ना न नौटंकी में विश्वास करते थे और न ही आजकल के फिल्मस्टार्स की भांति ऊटपटांग हरकत करने में, जिसके पीछे उन्हें ऐसे निकाला गया, जैसे चाय में से मक्खी।

परंतु सूर्य के प्रकाश को दबाने की क्षमता आज तक कहीं विकसित नहीं हुई। अक्षय खन्ना को 2016 में “डिशूम” से वापसी करने का अवसर मिला, और उन्होंने फिर “मॉम”, “इत्तेफाक” इत्यादि में अपने अभिनय का लोहा मनवाया। परंतु अभिनय के लिए इनकी तपस्या खत्म नहीं हुई। 2019 में “सेक्शन 375” को उसके साहसी लेखन के पीछे भले ही वामपंथियों ने नकारा हो, परंतु जनता के दृष्टि से ये छुप नहीं सकी। यदि अक्षय खन्ना न होते, तो एक लेवल के बाद “द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर” भी अझेल बन चुकी थी और फिर दृश्यम 2 को कैसे आप भूल सकते हैं? जितना प्रभाव विजय सलगांवकर और मीरा देशमुख के रोल में अजय देवगन एवं तब्बू ने डाला, उतने ही दमदार अभिनय से अक्षय खन्ना ने IG तरुण अहलावत के रोल में टक्कर भी दी और कई मामलों में वे मूल दृश्यम 2 के IG महोदय को भी पीछे छोड़ दिए। काश, बॉलीवुड इनकी कला को थोड़ा पहले उसका उचित स्थान देती।

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https://www.youtube.com/watch?v=Yv2f9dXVmdA

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