अमित सियाल – एक ऐसा बेहतरीन अभिनेता, जिसकी चर्चा सबसे अधिक होनी चाहिए

अमित सियाल ने अभी तक फिल्म या वेब सीरीज में जिस भी किरदार को निभाया है, उनके अभिनय की सराहना ही हुई है। पॉजिटिव किरदार हो या फिर नेगेटिव, वो हमेशा सब पर भारी पड़े हैं।

अमित सियाल

Source- TFI

एक बार एक अभिनेता को एक ऑडिशन के लिए बुलाया गया। वो पहले से ही लेट था, तो क्रोधित डायरेक्टर ने उसे मूल टाइम से भी कम समय में अपने आप को सिद्ध करने का अवसर दिया। परंतु उसका ऑडिशन पूरा भी नहीं हुआ कि बीच में ही डायरेक्टर ने कहा, “वेट (वजन) पर ध्यान दीजिये”। थोड़ी देर में उन्हें को समझ में आया कि वे चयनित हुए हैं। ऐसे ही हैं अमित सियाल। इस लेख में हम जानेंगे अमित सियाल के बारे में जिनके अंदर अभिनय कूट कूट कर भरा हुआ है, परंतु उन्हें उनके कद के अनुसार उचित सम्मान नहीं मिला।

और पढ़ें: कॉमेडी में फूहड़ता आई तो उसने अपना ‘करियर त्याग दिया’ लेकिन सिद्धांतों से समझौता नहीं किया

2006 में आई थी पहली फिल्म

किसी ने सही कहा था, “गहरे पानी में पैठने से ही मोती मिलता है”। वो कैसे? अमित सियाल के करियर एवं उनके प्रोफाइल पर दृष्टि डालें, आपको आपका उत्तर मिल जायेगा। 1975 में कानपुर में जन्में अमित का प्रारंभ से ही एक अलग दृष्टिकोण था। वे विशुद्ध अभिनेता बनना चाहते थे, परंतु किसी जल्दबाज़ी में नहीं थे। दिल्ली विश्वविद्यालय से वाणिज्य संकाय में स्नातक करने के पश्चात अमित ने ऑस्ट्रेलिया से एमबीए किया। तदपश्चात वह अपना भाग्य आजमाने मुंबई आये।

अमित को अवसर मिला तनुजा चंद्रा की फिल्म “होप एंड अ लिटिल शुगर” से, जो 2006 में आई। फिर इन्होंने “फंस गए रे ओबामा”,  ” लव, सेक्स और धोखा” एवं ” तितली” जैसे फिल्मों में छोटे पर महत्वपूर्ण रोल किये। अपने प्रथम फिल्म में जिस सरलता से इन्हें रोल मिला, उससे अभी भी अमित चकित हैं और कहते हैं कि उन्हें आज तक समझ में नहीं आया कि कैसे अन्य कलाकारों को अपने पहले रोल के लिए इतना संघर्ष करना पड़ा।

परंतु मीठी बातों से केवल दिल भरता है, पेट नहीं। अमित सियाल को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के बाद भी नकारा गया। परंतु OTT के प्रादुरभाव् के बाद ये सब बदलने वाला था। जब सेक्रेड गेम्स का उदय भी नहीं हुआ, अमित सियाल अमेजन प्राइम पर प्रसारित “इंसाइड एज” से ही प्रभाव डालने लगे जहां देवेंद्र मिश्रा के रोल में इन्होंने सबको पीछे छोड़ दिया।

और पढ़ें: Qala Review: लंबे समय बाद बॉलीवुड की एक बेहतरीन फिल्म, दशक का सबसे अच्छा संगीत

ओटीटी ने दिलाई पहचान

परंतु इन्हें असल प्रसिद्धि मिली दो प्रोजेक्ट से- “रेड” और “मिर्ज़ापुर”। जिस फिल्म में अजय देवगन और सौरभ शुक्ला जैसे कद्दावर कलाकारों की कमी नहीं हो, वहां अपनी उपस्थिति दर्ज कराना आसान नहीं और लल्लन सुधीर के रोल में अमित ने यही किया। इनके चुटीले संवाद से अनेक लोग इनके फैन बन गए और “मिर्ज़ापुर” के एसएसपी मौर्या जी को कैसे भूल सकते हैं?

परंतु ये तो मात्र प्रारंभ था। “जमताड़ा” के बृजेश भान हो, या फिर “महारानी” के नवीन कुमार, अमित सियाल ने कहीं भी अपने अभिनय से निराश नहीं किया। इतना ही नहीं, काठमांडु कनेक्शन को इन्होंने लगभग अपने कंधों पर ही उठाया। यहां तक कि हाल ही में प्रदर्शित “कला”, जो अपने संगीत और प्रमुख अभिनेत्री तृप्ति डिमरी के अभिनय के लिए अधिक जानी जाती है, वहां भी सुमंत कुमार के रोल में अमित ने अपना प्रभाव डालने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

और पढ़ें: नवीन निश्चल- एक सौम्य मुख वाले अभिनेता के पीछे छिपा एक ‘डरावना दैत्य’

अमित का कानपुर कनेक्शन उनके करियर में कितना काम आया, ये उन्होंने महारानी के द्वितीय सीज़न के एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में साझा किया था। उनके अनुसार, “प्रशंसा इसलिए अधिक होती है क्योंकि हम (अमित और सह अभिनेता सोहम शाह) एक-दूसरे के संघर्षों से जुड़ते हैं। कहने का मतलब यह नहीं कि जो लोग मुंह में चांदी का चम्मच लेकर पैदा होते हैं वे मेहनत नहीं करते। वे करते हैं। आजकल हम भाई-भतीजावाद के बारे में बहुत बात करते हैं लेकिन दर्शक उन्हें स्वीकार करते हैं। लेकिन हमारे पास समृद्ध जीवन के अनुभव हैं। यह ज्ञान काम करता है क्योंकि आपके पास जितना अधिक जीवन का अनुभव होता है, आप उतने ही बेहतर अभिनेता बनते हैं”।

इसके अतिरिक्त अमित ने ये भी बताया कि कम समृद्ध और मध्यम वर्ग से आने वाले कलाकारों को वास्तव में क्या लाभ होता है। अमित के अनुसार सर्वप्रथम वे दोनों दुनिया को जानते हैं, कुछ ऐसा जो उनके बड़े शहर के समकक्षों को नहीं है। उनके अनुसार, “मैं कानपुर से हूँ। मैं पढ़ने के लिए दिल्ली गया और फिर ऑस्ट्रेलिया और फिर मुंबई आ गया। अब जो भी मुंबई में पला-बढ़ा है वह कभी कानपुर नहीं जाएगा और वहीं रहेगा। हमने दोनों दुनिया देखी है”। यही बात विशुद्ध अभिनेता और वंशवाद का अनुचित लाभ उठाने वालों के बीच के अंतर को भी परिलक्षित करता है, जिसमें अमित सियाल एक अनोखे विजेता सिद्ध हुए हैं।

और पढ़ें: जो एक लीजेंड बनने की क्षमता रखता था, विनोद मेहरा की अधूरी कहानी

https://www.youtube.com/watch?v=q8vKOG8__wc&t=78s

TFI का समर्थन करें:

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।

Exit mobile version