Anand math ke lekhak आनंद मठ के लेखक : शिक्षा एवं कहानी
स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे Anand math ke lekhak में साथ ही इससे जुड़े शिक्षा एवं कहानी के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें
आनंदमठ के लेखक बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय है। ये एक एक बंगाली उपन्यास है जिसे 1882 में लिखा और प्रकाशित किया गया था। इस उपन्यास में 18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध के संन्यासी विद्रोह का वर्णन किया गया है। आनंदमठ भारतीय साहित्य के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण उपन्यासों में से एक है। आनंदमठ कृति का भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम और स्वतन्त्रता के क्रान्तिकारियों पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा।
जीवन परिचय –
बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय का जन्म 26 जून, 1838 ई. को बंगाल के 24 परगना ज़िले के कांठल पाड़ा नामक गाँव में एक सम्पन्न परिवार में हुआ था। बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय बंगला के शीर्षस्थ उपन्यासकार हैं। उनकी लेखनी से बंगला साहित्य तो समृद्ध हुआ ही है, वे भारत के एलेक्जेंडर ड्यूमा माने जाते हैं। इन्होंने 1865 में अपना पहला उपन्यास ‘दुर्गेश नन्दिनी’ लिखा।
बंकिम चंद्र चटर्जी की शिक्षा-
बंकिम चंद्र चटर्जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मिदनापुर में की थी। वह एक प्रतिभाशाली छात्र थे। मिदनापुर में अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बाद बंकिम चंद्र चटर्जी ने हुगली के मोहसिन कॉलेज में प्रवेश लिया और वहां छह साल तक अध्ययन किया। संस्कृत के अध्ययन में उनकी बहुत रुचि थी। संस्कृत का अध्ययन करके उन्होने संस्कृत में अच्छा ज्ञान अर्जित कर लिया था।
उपन्यास की कहानी
- आनन्दमय कानन के आनंद मठ में
- शांति नवीनानंद स्वामी के रूप में
- संतानो का विजय उत्सव
- जीवानंद और शांति का प्रायश्चित्त
उपन्यास –
- दुर्गेशनन्दिनी
- कपालकुण्डला
- मृणालिनी
- बिषबृक्ष
- इन्दिरा
- युगलांगुरीय
- चन्द्रशेखर
- राधारानी
- रजनी
- कृष्णकान्तेर उइल
- राजसिंह
- आनन्दमठ
- देबी चौधुरानी
- सीताराम
प्रबन्ध ग्रन्थ –
- कमलाकान्तेर दप्तर
- लोकरहस्य
- कृष्ण चरित्र
- बिज्ञानरहस्य
- बिबिध समालोचना
- प्रबन्ध-पुस्तक
- साम्य
- कृष्ण चरित्र
- बिबिध प्रबन्ध
सम्पादित ग्रन्थावली –
- दीनबन्धु मित्रेर जीबनी
- बांगला साहित्ये प्यारीचाँद मित्रेर स्थान
- संजीबचन्द्र चट्टोपाध्यायेर जीबनी
मृत्यु –
महान कवि बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की मृत्यु 55 साल की कम उम्र में ही साल 1894 में 8 अप्रैल कोलकाता राज्य में हुई थी।
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