अटल बिहारी वाजपेयी उद्धरण एवं कविताएँ

Atal Bihari Vajpayee Quotes

Atal Bihari Vajpayee Best Quotes in hindi : अटल बिहारी वाजपेयी उद्धरण एवं कविताएँ

स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे Atal Bihari Vajpayee Best  Quotes in hindi साथ ही इससे जुड़े उद्धरण एवं कविताएँ  के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें

आप मित्र बदल सकते हैं, पर पड़ोसी नहीं।

मैं यहाँ वादे लेकर नहीं, इरादे लेकर आया हूँ।

निरक्षरता और निर्धनता का बड़ा गहरा संबंध है।

मै मरने से नही डरता हूँ, बल्कि बदनामी होने से डरता हूँ।

साहित्य और राजनीति के कोई अलग-अलग खाने नहीं होते।

जब तक सामाजिक न्याय नहीं है, तब तक स्वतंत्रता अपूर्ण है।

यदि भारत धर्मनिरपेक्ष नहीं है तो भारत बिल्कुल भारत नहीं है।

जीवन एक फूल के समान है, इसे पूरी ताक़त के साथ खिलाओ।

छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता, टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता।

मन हारकर मैदान नहीं जीते जाते, न मैदान जीतने से मन ही जीते जाते हैं।

ऊँची से ऊँची शिक्षा क्यों न हो, इसका आधार हमारी मातृभाषा होनी चाहिए।

हमने भूख को समाप्त कर दिया, लेकिन अब हमें अकाल को समाप्त करना होगा।

अगर किसी देश में हलचल नजर आए तो समझिये कि वहां का राजा ईमानदार है।

जैव विविधता सम्मेलन से दुनिया के गरीबों के लिए कोई भी ठोस लाभ नहीं निकला है।

वास्तव में हमारे देश की लाठी कमजोर नहीं है। बल्कि वह जिन हाथों में है, वे कांप रहे हैं।

मुझे अपने हिन्दूत्व पर अभिमान है, किंतु इसका अर्थ यह नहीं है कि मैं मुस्लिम विरोधी हूं।

कोई हथियार नहीं बल्कि आपसी भाईचारा ही सभी समस्याओं का समाधान कर सकता है।

जीतना और हारना जीवन का एक मुख्य हिस्सा है, जिसे हमें समानता के साथ देखना चाहिए।

पड़ोसी कहते है कि एक हाथ से ताली नही बजती है। हमने कहा कि चुटकी तो बज सकती है।

हिन्दू धर्म तथा संस्कृति की एक बड़ी विशेषता समय के साथ बदलने की उसकी क्षमता रही है।

अमावस के अभेद्य अंधकार का अंतःकरण पूर्णिमा की उज्ज्वलता का स्मरण कर थर्रा उठता है।

भारत कोई इतना छोटा देश नहीं है कि कोई उसको जेब में रख ले और वह उसका पिछलग्गू हो जाए। हम अपनी आजादी के लिए लड़े, दुनिया की आजादी के लिए लड़े।

समता के साथ ममता, अधिकार के साथ आत्मीयता, वैभव के साथ सादगी-नवनिर्माण के प्राचीन आधारस्तम्भ हैं। इन्हीं स्तम्भों पर हमें भावी भारत का भवन खड़ा करना है।

पेड़ के ऊपर चढ़ा इंसान बड़ा दिखाई देता है, जड़ में खड़ा इंसान छोटा दिखाई देता है। न इंसान बड़ा होता है, न छोटा होता है, न ऊंचा होता है, न नीचा होता है। इंसान सिर्फ इंसान होता है।

राजनीति काजल की कोठरी है, जो इसमें जाता है, काला होकर ही निकलता है। ऐसी राजनीतिक व्यवस्था में ईमानदार होकर भी सक्रिय रहना, बेदाग छवि बनाए रखना, क्या कठिन नहीं हो गया है ?

मेरी कविता जंग का ऐलान है, पराजय की प्रस्तावना नहीं। मेरी कविता हारे हुए सिपाही का नैराश्य-निनाद नहीं, जूझते योद्धा का जय-संकल्प है। वह निराशा का स्वर नहीं, आत्मविश्वास का जयघोष है।

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कविताएँ

आओ फिर से दिया जलाएँआओ फिर से दिया जलाएँ

भरी दुपहरी में अंधियारा

सूरज परछाई से हारा

अंतरतम का नेह निचोड़ें-

बुझी हुई बाती सुलगाएँ।

आओ फिर से दिया जलाएँ

हम पड़ाव को समझे मंज़िल

लक्ष्य हुआ आंखों से ओझल

वतर्मान के मोहजाल में-

आने वाला कल न भुलाएँ।

आओ फिर से दिया जलाएँ।

आहुति बाकी यज्ञ अधूरा

अपनों के विघ्नों ने घेरा

अंतिम जय का वज़्र बनाने-

नव दधीचि हड्डियां गलाएँ।

आओ फिर से दिया जलाएँ

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