Atal Bihari Vajpayee Poems in hindi :अटल बिहारी वाजपेयी की कविता हिंदी में

Atal Bihari Vajpayee Poems

Atal Bihari Vajpayee Poems in hindi :अटल बिहारी वाजपेयी की कविता हिंदी में

स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे Atal Bihari Vajpayee Poems साथ ही इससे जुड़े कविता के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें

मौत से ठन गई –

ठन गई!

मौत से ठन गई!

जूझने का मेरा इरादा न था,

मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था।

रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,

यों लगा ज़िन्दगी से बड़ी हो गई।

मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,

ज़िन्दगी सिलसिला, आज कल की नहीं।

मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूँ,

लौटकर आऊँगा, कूच से क्यों डरूँ?

तू दबे पाँव, चोरी-छिपे से न आ,

सामने वार कर, फिर मुझे आज़मा।

मौत से बेख़बर, ज़िन्दगी का सफ़र,

शाम हर सुरमई, रात बंसी का स्वर।

बात ऐसी नहीं कि कोई ग़म ही नहीं,

दर्द अपने-पराए कुछ कम भी नहीं।

प्यार इतना परायों से मुझको मिला,

न अपनों से बाक़ी है कोई गिला।

हर चुनौती से दो हाथ मैंने किये,

आंधियों में जलाए हैं बुझते दिए।

आज झकझोरता तेज़ तूफ़ान है,

नाव भँवरों की बाँहों में मेहमान है।

पार पाने का क़ायम मगर हौसला,

देख तेवर तूफ़ाँ का, तेवरी तन गई।

मौत से ठन गई

2दूध में दरार पड़ गई

खून क्यों सफेद हो गया?

भेद में अभेद खो गया।

बंट गये शहीद, गीत कट गए,

कलेजे में कटार दड़ गई।

दूध में दरार पड़ गई।

खेतों में बारूदी गंध,

टूट गये नानक के छंद

सतलुज सहम उठी, व्यथित सी बितस्ता है।

वसंत से बहार झड़ गई

दूध में दरार पड़ गई।

अपनी ही छाया से बैर,

गले लगने लगे हैं ग़ैर,

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ख़ुदकुशी का रास्ता, तुम्हें वतन का वास्ता।

बात बनाएं, बिगड़ गई।

दूध में दरार पड़ गई।

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