Rahat Indori Shayri : बेस्ट राहत इन्दोरी शायरी
स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे Rahat Indori Shayri साथ ही इससे जुड़े बेस्ट शायरी के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें
ये दुनिया है इधर जाने का नहीं,
मेरे बेटे किसी से इश्क कर,
मगर हद से गुजर जाने का नहीं ।
राह के पत्थर से बढ़ कर कुछ नहीं हैं मंज़िलें
रास्ते आवाज देते हैं सफर जारी रखो !
गाज़ाब का प्यार था उस की उदास आँखों में,
गुमान तक ना हुवा की वो बिछड़ने वाली है !
ऐसी सर्दी है कि सूरज भी दुहाई मांगे
जो हो परदेस में वो किससे रजाई मांगे !
हाथ खाली है तेरे शहर से जाते जाते
जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते
जो दुनिया को सुनाई दे उसे कहते हैं ख़ामोशी
जो आँखों में दिखाई दे उसे तूफ़ान कहते हैं
गुलाब, ख़्वाब, दवा, ज़हर, जाम क्या क्या है
मैं आ गया हूँ, बता इंतज़ाम क्या क्या है
मैं साँसें तक लुटा सकता हूँ उसके एक इशारे पर
मगर वो मेरे हर वादे को सरकारी समझता है
झूठों ने झूठों से कहा है सच बोलो
सरकारी एलान हुआ है सच बोलो
घर के अंदर तो झूठों की एक मंडी है
दरवाज़े पर लिखा हुआ है सच बोलो
उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है
दोस्ती जब किसी से की जाए
दुश्मनों की भी राय ली जाए
विश्वास बन के लोग ज़िन्दगी में आते है,
ख्वाब बन के आँखों में समा जाते है,
पहले यकीन दिलाते है की वो हमारे है,
फिर न जाने क्यों बदल जाते है।
सूरज, सितारे, चाँद मेरे साथ में रहें,
जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहें,
शाखों से टूट जाए वो पत्ते नहीं हैं हम,
आंधी से कोई कह दे की औकात में रहें।
लोग हर मोड़ पे रुक-रुक के सँभलते क्यूँ हैं,
इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यूँ हैं।
ये सहारा जो नहीं हो तो परेशान हो जाएँ,
मुश्किलें जान ही लेलें अगर आसान हो जाएँ,
ये जो कुछ लोग फरिश्तों से बने फिरते हैं,
मेरे हत्थे कभी चढ़ जाएँ तो इंसान हो जाएँ।
फैसला जो कुछ भी हो, हमें मंजूर होना चाहिए,
जंग हो या इश्क हो, भरपूर होना चाहिए,
भूलना भी हैं, जरुरी याद रखने के लिए,
पास रहना है, तो थोडा दूर होना चाहिए।
धनक है, रंग है, एहसास है की खुशबू है,
चमक है, नूर है, मुस्कान है के आँसू है,
मैं नाम क्या दूं उजालों की इन लकीरों को
खनक है, रक्स है, आवाज़ है की जादू है।
जहाँ से गुजरो धुआं बिछा दो,
जहाँ भी पहुंचो धमाल कर दो,
तुम्हें सियासत ने हक दिया है,
हरी जमीनों को लाल कर दो।
बोतलें खोल कर तो पी बरसों
आज दिल खोल कर भी पी जाए |
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