Shero Shayari : शेरो शायरी इन हिंदी
स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे Shero Shayari साथ ही इससे जुड़े लेटेस्ट एवं शायरी हिंदी के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें
लेटेस्ट शेर शायरी हिंदी में
कितने मासूम होते है ये आँखों के आँसू भी,
ये निकलते भी उन के लिए है,
जिन्हे इनकी परवाह तक नहीं होती !
सजा कोई भी दो मगर नजर के सामने रहो,
क्योंकि तुम्हारे बिना जीने की आदत नहीं मुझे !
आज कुछ और नहीं बस इतना सुनो,
मौसम हसीन है लेकिन तुम जैसा नहीं !
शायरों की बस्ती में कदम रखा तो जाना,
गमों की महफिल भी कमाल की जमती है !
में खुद हैरान हूँ की इतनी मोहब्बत क्यों है मुझे तुझसे,
जब भी प्यार शब्द आता है,
चेहरा तेरा ही याद आता है !
अदा कातिल बयां कातिल ज़ुबान कातिल निगाह कातिल,
तुम्हारा सिलसिला शायद किसी कातिल से मिलता है !
हर इंसान का दिल बुरा नही होता,
हर एक इंसान बेवफा नही होता,
बुझ जाते है दिए कभी तेल की कमी से,
हर बार कुसूर हवा का नही होता !
पुछ कर देख अपने दिल से की हमे भुलना चहाता है क्या…
अगर उसने हा कहा तो कसम से महोब्बत करना छोङ देगे…!”
“आज कुछ और नहीं बस इतना सुनो
मौसम हसीन है लेकिन तुम जैसा नहीं…!
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहल…
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है…!”
मत मांगना मेरी लम्बी उम्र की
दुआ खुदा से,बस मेरी ज़िन्दगी
का सफर तब तक का लिख
दो जब तक हम साथ है
आँखो की चमक पलकों की शान
हो तुम, चेहरे की हसी लबों की
मुस्कान हो तुम, धड़कता है दिल
बस तुम्हारे इन्तहां मे, फिर कैसे
ना कहूँ,,मेरी जान हो तुम.
में खुद हैरान हूँ की तुझसे इतनी
मोहब्बत क्यों है मुझे जब भी प्यार
शब्द आता है चेहरा तेरा ही याद
आता है।
तुमने जिंदगी का नाम तो सुना ही होगा,
मैंने पुकारा है तुम्हें अक्सर उस नाम से.
मेरे दिल की नाज़ुक धड़कनों को,
तुमने धड़कना सिखा दिया,
जब से मिला है प्यार तेरा,
ग़म में भी मुस्कराना सिखा दिया.
दौलत की चाह थी तो कमाने निकल गए,
दौलत मिली तो हाथ से रिश्ते निकल गए,
बच्चों के साथ रहने की फुर्सत न मिल सकी,
फुर्सत मिली तो बच्चे ही घर निकल गए।
फलसफा समझो न असरारे सियासत समझो,
जिन्दगी सिर्फ हकीक़त है हकीक़त समझो,
जाने किस दिन हो हवायें भी नीलाम यहाँ,
आज तो साँस भी लेते हो ग़नीमत समझो।
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है
न जी भर के देखा न कुछ बात की
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की ।
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