छंद किसे कहते हैं: परिभाषा और प्रकार

Chhand kise kahate hain

Chhand kise kahate hain : छंद किसे कहते हैं: परिभाषा और प्रकार

स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे Chhand kise kahate hain बारे में साथ ही इससे जुड़े परिभाषा  एवं  प्रकार के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें

छंद किसे कहते हैं –

छंद की परिभाषा- जो शब्द रचना वर्णों की संख्या, अक्षरों की संख्या और क्रम, मात्रा की गणना, यति-गति आदि नियमो से नियोजित हो, उसे छंद कहते हैं

चरण-  छन्द कुछ पंक्तियों का समूह होता है और प्रत्येक पंक्ति में समान वर्ण या मात्राएँ होती हैं। इन्हीं पंक्तियों को ‘चरण’ या ‘पाद’ कहते हैं।

मात्रा – वर्णों के उच्चारण में जो समय लगता है, उसे ‘मात्रा’ कहते हैं। लघु वर्णों की मात्रा एक और गुरु वर्णों की मात्राएँ दो होती हैं। लघु को ‘।’ तथा गुरु को ऽ द्वारा व्यक्त करते हैं।

यति – छन्दों को पढ़ते समय बीच-बीच में कुछ रुकना पड़ता है। इन्हीं विराम स्थलों को ‘यति’ कहते हैं।

 गण –  तीन वर्णों के समूह को ‘गण’ कहते हैं। गणों की संख्या आठ है — यगण, मगण, तगण, रगण, जगण, भगण, नगण और सगण। इन गणों के नाम रूप ‘यमातराजभानसलगा’ सूत्र द्वारा सरलता से ज्ञात हो जाते हैं।

क्रम – वर्ण या मात्रा की व्यवस्था को ‘क्रम’ कहते हैं, जैसे — यदि “राम कथा मन्दाकिनी चित्रकूट चित चारु” दोहे के चरण को ‘चित्रकूट चित चारु, रामकथा मन्दाकिनी’ रख दिया जाए तो सारा क्रम बिगड़कर सोरठा का चरण हो जाएगा।

तुक-छन्द के प्रत्येक चरण के अन्त में स्वर-व्यंजन की समानता को ‘तुक’ कहते हैं।

गति- ‘गति’ का अर्थ ‘लय’ है। छन्दों को पढ़ते समय मात्राओं के लघु अथवा दीर्घ होने के कारण जो विशेष स्वर लहरी उत्पन्न होती है, उसे ही ‘गति’ या ‘लय’ कहते हैं।

वर्ण – ध्वनि की मूल इकाई को ‘वर्ण’ कहते हैं। वर्णों के सुव्यवस्थित समूह या समुदाय को ‘वर्णमाला’ कहते हैं। छन्दशास्त्र में वर्ण दो प्रकार के होते हैं — ‘लघु’ और ‘गुरु’।

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छंद के अंग  –

छंद के प्रकार –

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