नोट का धागा बनाने में भी कांग्रेस की सरकार में हुआ घोटाला, चिदंबरम की नाक के नीचे वर्षों तक चलता रहा खेल

कांग्रेस के कार्यकाल में हुआ 1688 करोड़ का एक नया घोटाला सामने आया है। मामले में पी. चिदंबरम पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।

अरविंद मायाराम

Source- TFI

कांग्रेस और घोटालों का नाता हमेशा से ही काफी गहरा है। कांग्रेस जब सत्ता में थी तो घोटालों को खूब तवज्जों दिया करती थी। तभी तो ये घोटाले अभी तक कांग्रेस का पीछे नहीं छोड़ रहे हैं। कांग्रेस राज में नेताओं ने ही नहीं बल्कि उनके करीबी अधिकारियों ने भी कम घोटाले नहीं किए हैं। अरविंद मायाराम को ही देख लीजिए। अब आप सोच रहे होंगे कि ये अरविंद मायाराम कांग्रेस की कौन-सी हस्ती हैं? अरविंद मायाराम कांग्रेस के नेता तो नहीं हैं लेकिन कांग्रेस नेताओं के प्रिय अवश्य हैं और इनके द्वारा कोई छोटा मोटा नहीं बल्कि 1688 करोड़ के घोटाला का मामला सामने आया है।

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CBI की छापेमारी

अरविंद मायाराम राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आर्थिक सलाहकार हैं। बीते दिनों ही मायाराम के ठिकानों पर सीबीआई ने छापेमारी की। यह छापेमारी दिल्ली और जयपुर में की गयी। बता दें कि अरविंद मायाराम मनमोहन सिंह सरकार में वित्त सचिव रहे थे। आरोप लगे हैं कि वर्ष 2012-14 के दौरान इनके वित्त सचिव रहते हुए ही इस घोटाले को अंजाम दिया गया था। इन्हें पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम का बेहद ही करीबी माना जाता है। चिदंबरम के वित्त मंत्री रहते हुए ही इन्होंने ये खेल किया था। चलिए आपको बताते हैं कि आखिर अरविंद मायाराम किस घोटाले के मामले में घिर गए हैं।

ये है पूरा मामला

दरअसल, ये मामला करेंसी छापने के लिए मटेरियल सप्लाई करने वाली एक De La Rue इंटरनेंशनल लिमिटेड नामक ब्रिटिश कंपनी से जुड़ा है, जिसे वर्ष 2011 में घटिया क्वालिटी का माल सप्लाई करने के चलते ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था। परंतु इसके बावजूद भी इस कंपनी को ऑर्डर मिला। जानते हैं कैसे? दरअसल, अरविंद मायाराम के वित्त सचिव रहते हुए इसी कंपनी को करेंसी में उपयोग किए जाने वाले कलरफुल धागा खरीदने का ऑर्डर दे दिया था। जानकारी के मुताबिक ये ऑर्डर लगभग 1688 करोड़ का था। यह खरीद वर्ष 2012 में हुई थी, जबकि कंपनी को तो 2011 में ही ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था।

रिपोर्टस के अनुसार अरविंद मायाराम ने सबकुछ जानते हुए भी ब्रिटिश कंपनी को अवैध रूप से तीन साल का एक्सटेंशन दिया। साथ ही ऑर्डर में टेंडर प्रोसेस भी नहीं अपनाई गई। वर्ष 2014 में जब एनडीए की सरकार सत्ता में आई तो DelaRau कंपनी का मामला प्रधानमंत्री कार्यालय पहुंचा और फिर कंपनी से आपूर्ति रोकी गई। जानकारी के अनुसार वर्ष 2017 में इस घोटाले को लेकर शिकायत की गयी थीं, जिसके बाद पोल पट्टी खुली। सीबीआई द्वारा इस घोटाले को लेकर एफआईआर भी दर्ज की जा चुकी है, जिसके बाद हाल ही में अरविंद मायाराम के ठिकानों पर छापेमारी की कार्रवाई की गई है।

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मायाराम और कांग्रेस के संबंध

अरविंद मायाराम का कांग्रेस से रिश्ता पुराना है। इनकी मां इंदिरा मायाराम 1998 से 2002 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पहली सरकार में मंत्री रह चुकी हैं और सांगानेर से कांग्रेस की विधायक रही थीं। ऐसे में अरविंद मायाराम भी कांग्रेस के नजदीक क्यों न होते। गहलोत के करीबी अफसरों में अरविंद मायाराम की गिनती की जाती है। यूपीए सरकार के दौरान मायाराम चिदंबरम के करीबी माने जाते थे। वहीं बीते दिनों अलवर में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में भी वो शामिल हुए थे।

वहीं इस मामले में केवल अरविंद मायाराम ही नहीं RBI के कुछ और अधिकारियों की भी जांच की जा रही है। सीबीआई ने अपनी एफआईआर में आरोप लगाया है कि आरबीआई और वित्त मंत्रालय के कुछ अधिकारियों ने ब्रिटेन की कंपनी को लाभ पहुंचाने की आपराधिक साजिश रची थी। जिससे कयास ये लगाए जा रहे हैं कि इस मामले में आगे और भी कई नामों का खुलासा हो सकता है। सीबाआई इस मामले की सभी कड़ियों की जांच कर रही है।

इतना बड़ा घोटाला कांग्रेस के शासन में उसकी नाक के नीचे हो रहा था और कांग्रेस को इसकी खबर ही न हो, ऐसा तो हो नहीं सकता। 2004 से 2014 तक कांग्रेस की सरकार रही और इस दौरान अधिकतर तक वित्त मंत्री पी चिंदबरम ही रहे थे। ऐसे में उनकी मौजूदगी इतने बड़े घोटालों को अंजाम दिया गया। जिससे साबित होता कि पी चिंदबरम के कार्यकाल में वित्त मंत्रालय नहीं चल रहा था, बल्कि तब तो घोटालों का एक भयंकर खेल खेला जा रहा था।

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