क्या आप भारतीय बाजारों में उपलब्ध चीनी उत्पादों के प्रभुत्व से परेशान हैं?
क्या आपको लगता है कि चीनी उत्पादों पर भारत सरकार सख्त नहीं है?
क्या आप चीनी उत्पादों को भारत में प्रतिबंधित करने के समर्थक हैं?
मुझे उम्मीद है कि इन प्रश्नों के उत्तर में आप हां ही बोलेंगे। आपके इन प्रश्नों को सदैव के लिए खत्म करने की दिशा में भारत सरकार बढ़ गई है। केंद्र सरकार वर्तमान में जिस नीति का पालन कर रही है उसी नीति पर यदि चलती रही तो वो दिन दूर नहीं जब भारतीय अर्थव्यवस्था में चीन के सामान अतीत की बात होगी। इस लेक में हम आपको भारत की क्वालिटी कंट्रोल चेक की उस नीति को समझा रहे हैं, जिसमें भारत का उद्देश्य बिना लाठी तोड़े ड्रैगन को मारने का है।
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कई उत्पादों की क्वालिटी चेक पर दिया जाएगा ध्यान
डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड यानी DPIIT ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कई उत्पादों के लिए ड्राफ्ट कंट्रोल ऑर्डर जारी किये हैं। इस आदेश का अर्थ है कि BIS के मानकों के अनुसार जो उत्पाद नहीं बनें होंगे, उन्हें भारतीय बाजारों में नहीं आने दिया जाएगा। इसे और सरल शब्दों में कहें तो घटिया सामानों की एंट्री भारतीय अर्थव्यवस्था में रोकी जाएगी। इस बार पम्प, डोर फिटिंग्स, इलेक्ट्रिकल उत्पाद, एयर कूलर्स, साइकलों एवं कुकवेयर यानी खाना बनाने के सामान पर यह नियम 15 जनवरी से लागू होगा।
अब आप सोच रहे होंगे कि इससे चीन के उत्पादों पर कैसे रोक लगेगी? तो हम आपको यह बताते हैं- दरअसल, चीन में सस्ते मजदूर मिलते हैं और वहां कामगारों से जबरदस्ती काम करवाया जाता है। ऐसे में चीनी उत्पादों में गुणवत्ता नहीं होती बल्कि उनकी संख्या ख़ूब हो जाती है। ऐसे में जब उन उत्पादों को गुणवत्ता के पैमाने पर आंका जाएगा तो उसमें निश्चित तौर पर वो खरे नहीं उतरेंगे और उनकी सप्लाई भारत में बंद हो जाएगी। ऐसे में एक तरफ जहां हम चीनी उत्पादों के आयात को रोक पाएंगे और दूसरी तरफ जब उन्हीं उत्पादों की मांग भारतीय अर्थव्यवस्था में होगी तो बेहतरीन गुणवत्ता वाले भारतीय उत्पाद लोग खरीदेंगे, जिससे घरेलू उत्पादन को भी बढ़ावा मिलेगा।
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चीन के एकाधिकार पर लगाई लगाम
एक लंबे समय से चीनी उत्पादों के बहिष्कार का अभियान चल रहा है। लोग भावनाओं में बहकर सीधे चीनी उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने की बात करते हैं लेकिन भावना और यथार्थ में तनिक अंतर होता है और केंद्र सरकार इस बात को अच्छी तरह से समझती है इसलिए वो अधीरता में कोई निर्णय करने के बजाए एक रणनीति के तहत चीनी उत्पादों को भारतीय बाजारों से हटा रही । अब एक और प्रश्न आपके दिमाग में उमड़-घुमड़ रहा होगा कि कैसी रणनीति? तो आइए, हम आपको बताते हैं-
चीनी उत्पादों को भारतीय अर्थव्यवस्था से हटाने की प्रक्रिया भारत ने कई वर्ष पूर्व शुरू कर दी थी। कई लोग इस बात से अभी भी अपरिचित हैं कि भारतीय खिलौने बाजार में एक समय चीन का एकछत्र राज चलता था। तब भारत में 80 फीसदी से अधिक खिलौने आयात किए जाते थे। जो अधिकरत चीन से ही आते थे लेकिन सरकार ने इसका तोड़ ढूंढ़ निकाला। सरकार ने एक तरफ आयातित खिलौने पर क्वालिटी कंट्रोल लगाया दूसरी तरफ घरेलू इंडस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए विशेष PLI स्कीम निकाली और DPIIT ने सतत प्रयास किया। इससे हमें चीनी खिलौने के एकाधिकार को समाप्त करने में सफलता प्राप्त हुई।
जुलाई 2022 में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक पिछले तीन वर्षों में खिलौनों के आयात में 70 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। केवल इतना ही नहीं भारत अब दूसरे देशों को भी अपने बनाए गए खिलौने का निर्यात कर रहा है। मंत्रालय के अनुसार इन तीन सालों में खिलौने के निर्यात में 61 फीसदी की वृद्धि देखने को मिली है।
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What a turnaround!
Our toy imports shrink by a massive 70% and exports shoot up by 61% in the last 3 years.
PM @NarendraModi ji's clarion call of 'Vocal For Local' is transforming India's toy sector.
📖https://t.co/PgxjC4LfNi pic.twitter.com/8woOEcOG5X
— Piyush Goyal (मोदी का परिवार) (@PiyushGoyal) July 6, 2022
खिलौने के आयात में रोक लगाने के बाद सरकार ने इलेक्ट्रिक पंखों और स्मार्ट मीटरों पर क्वालिटी कंट्रोल चेक लगाने की योजना पर काम कर रहा है। इसके पीछे भी सरकार की रणनीति आयात को कम करना और मेक इन इंडिया के साथ घरेलू उत्पादों को बढ़ावा देने ही है और अब ऐसा ही कदम सरकार ने एयर कूलर्स समेत तमाम उत्पादों पर उठाया है। इस पूरी प्रक्रिया को यदि एक फ्रेम में देखें तो हमें दिखता है कि आने वाले दिनों में हमें कुछ और चीनी उत्पादों पर भी ऐसा ही निर्णय देखने को मिल सकता है। मतलब धीरे-धीरे सरकार चीनी उत्पादों को भारतीय बाजारों से पूरी तरह बाहर निकाल देगी और मेक इन इंडिया के तहत निर्मित घरेलू उत्पाद उसका स्थान ले लेंगे।
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