टीआर बालू: भारत विविधताओं से भरा देश है। यहां भिन्न-भिन्न धर्म, संस्कृति और भाषाओं आदि का समावेश मिलता है, लेकिन कुछ राजनीतिक दल इसी विशेषता का दुरुपयोग करके हमारे देश और समाज को तोड़ने के प्रयास में जुटे रहते हैं। हम यहां बात कर रहे हैं हिन्दू विरोधी पार्टी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) की। ये बात शायद ही किसी से छुपी हो कि डीएमके ने दक्षिण भारत में हिंदू विरोध का बीज बोया है।
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सांसद टीआर बालू ने मंदिर तोड़ने की बात स्वीकारी
दरअसल, अभी हाल ही में तमिलनाडु के सत्ताधारी DMK के एक सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री टीआर बालू अपने विवादित बयान के चलते चर्चा में आए हैं। उनके बयान का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वो स्वयं स्वीकार करते नजर आ रहे हैं कि उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र में 100 साल पुराने 3 हिंदू मंदिरों को तुड़वाया है। DMK नेता टीआर बालू का वीडियो मदुरै की एक जनसभा का होने का दावा किया जा रहा है। इसमें उन्होंने कहा कि कई अवसरों पर उन्होंने धार्मिक विश्वासों से समझौता किया है। उन्होंने आगे ये भी कहा कि मेरे निर्वाचन क्षेत्र में ग्रैंड सदर्न ट्रक रोड (जीएसटी) पर सरस्वती मंदिर, लक्ष्मी मंदिर और पार्वती मंदिर को तोड़ा गया है। मैंने इन तीनों मंदिरों को तोड़ा है।’
मदुरै में सेतुसमुद्रम प्रोजेक्ट के समर्थन में एक जनसभा में नेता टीआर बालू ने कहा कि उन्हें ये बात अच्छे से पता थी कि मंदिरों को तोड़ने से उन्हें वोट नहीं मिलने वाले है। इसके बाद भी उन्होंने यह कदम उठाया। उन्होंने कहा कि मेरे समर्थकों ने मुझे इसे लेकर चेतावनी भी दी थी कि अगर मंदिर तोड़े गए तो वोट नहीं मिलने वाले है, लेकिन मुझे पता है कि वोट लेने कैसे हैं, दोस्तों हिंदू वोट नहीं मिलेंगे, नहीं मिलेंगे ये चिंता छोड़ दें। उन्होंने आगे कहा कि विकास योजनाओं को पूर्ण करने हेतु ये कदम उठाना आवश्यक था।
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सेतुसमुद्रम परियोजना पर विवाद
बता दें कि अभी कुछ समय पहले ही तमिलनाडु विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित करते हुए केंद्र से सेतुसमुद्रम परियोजना को बिना देरी के लागू करने की मांग की थी। सेतुसमुद्रम परियोजना में पाक जलडमरूमध्य को मन्नार की खाड़ी से जोड़ देने के प्रस्ताव दिया गया था। वर्ष 2005 में इस परियोजना को कमीशन किया गया था। हालांकि दक्षिणपंथी समूह तब से ही इसके विरोध में खड़े थे। उनका दावा था कि यह परियोजना ‘राम सेतु’ पुल को हानि पहुंचा सकती है। सेतुसमुद्रम परियोजना में पाक जलडमरूमध्य में एक नहर निर्मित कर जहाज की यात्रा को लगभग 650 किमी तक कम करने का प्रस्ताव भी सम्मिलित किया गया है।
DMK का हिंदू विरोधी चेहरा
वैसे ऐसा पहली बार नहीं है जब DMK ने हिन्दुओं के प्रति अपनी घृणा दिखाई हो। बीते साल तमिलनाडु में सत्तारूढ़ DMK के लोकसभा सांसद एस सेंथिलकुमार ने एक सड़क परियोजना के लिए हिंदू पुजारी के द्वारा भूमि पूजा पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने विशेष टिप्पणी की थी कि ऐसे किसी भी आयोजन में सभी धर्मों के प्रतिनिधियों को प्रार्थना करने के लिए बुलवाना चाहिए।
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DMK की सत्ता में तमिलनाडु पिछले काफी समय से अप्रिय घटनाओं के कारण चर्चा में बना हुआ है। जब से एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली DMK तमिलनाडु में सत्ता में आई है, तब से यहां की कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब हो गयी है। स्टालिन सरकार में हिंदू मंदिरों को तोड़ा गया। यही नहीं डीएमके के नेताओं के कई ऐसे बयान हैं जो न केवल हिंदी भाषा विरोधी हैं बल्कि उत्तर भारत के लोगों के प्रति भी घृणा से भी भरे हुए हैं। यहां हिन्दू विचारधारा वाले लोगों को प्रताड़ित किया गया, लेकिन सरकार ने इस मामले में कुछ भी नहीं किया गया। जब गोपीनाथ नाम के एक यूट्यूबर ने टूटे मंदिरों और खंडित देवमूर्तियों को फिर से सही करवाने का प्रयास किया तो उसे जेल भिजवा दिया गया था।
हालांकि DMK के हिन्दू के प्रति उनकी घृणा और वहां के मंदिरों को बचाने के लिए भाजपा सरकार ने कदम उठा रही है। दरअसल तमिलनाडु भाजपा प्रमुख के अन्नामलाई ने टीआर बालू के मंदिर को तोड़ने वाले भाषण वीडियो शेयर करते हुए कहा है- “डीएमके के लोग 100 साल पुराने हिंदू मंदिरों को ध्वस्त करने में कितना गर्व महसूस करते हैं। यही कारण है कि हम हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग (एचआर एंड सीई) को भंग करना चाहते हैं और चाहते हैं कि मंदिर सरकार के चंगुल से मुक्त हो।”
DMK men take pride in demolishing 100-year-old Hindu temples.
The very reason we want the HR&CE dissolved and want the temple freed from the clutches of government. pic.twitter.com/c4AQTaRkPN
— K.Annamalai (மோடியின் குடும்பம்) (@annamalai_k) January 29, 2023
यहां प्रश्न ये उठता है कि किसी भी राज्य का राजनीतिक दल किसी विपक्षी नेता या दल का विरोध करते-करते इतना अंधा हो सकता है कि वह देश के एक वर्ग के विरुद्ध ही चला जाए ? देखा जाये तो तमिलनाडु की लगभग 85 प्रतिशत आबादी हिंदू ही हैं। तो क्या यह बयान देकर सत्ताधारी DMK की पार्टी के नेता उनकी भावनाओं को ठेंस नहीं पहुंचा रहे हैं। क्या यह हिंदुओं को चुनौती देना नहीं है? टीआर बालू तमिलनाडु में सांसद हैं और वह जनता के द्वारा ही चुनकर आये हैं। क्या एक सांसद को एक धर्म के विरुद्ध इस तरह की बयानबाजी देना शोभा करता है?
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