एस. जयशंकर ने चीन-पाकिस्तान के साथ पश्चिमी देशों को ऐसा कूटा कि वो याद रखेंगे

जयशंकर ने ऑस्ट्रिया के मीडिया हाउस को दिए एक इंटरव्यू में चीन-पाकिस्तान के साथ पश्चिमी देशों की कलई खोलकर रख दी और साथ ही ऑस्ट्रियाई पत्रकार की भी बोलती बंद कर दी।

ZIB2 Jaishankar interview

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हर कोई आज यही कहता है कि विदेश मंत्री हो तो भई एस जयशंकर जैसा, बेबाक हो तो एस जयशंकर जैसा, निडर हो एस जयशंकर जैसा। जहां जाते हैं माहौल अपने पक्ष में कर लेते हैं। न किसी का डर, न किसी मुद्दे पर बोलने से कोई ऐतराज, बस कुछ ऐसे ही हैं भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर। जब भी डॉक्टर सुब्रह्मण्यम जयशंकर कहीं जाते हैं तो अपने बयानों से झंडे गाड़कर ही आते हैं। अब हाल ही में एस जयशंकर, ऑस्ट्रिया में भी ऐसा ही कुछ करते नजर आए। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे जयशंकर ने ऑस्ट्रिया के मीडिया हाउस को दिए एक इंटरव्यू (ZIB2 Jaishankar interview) में चीन-पाकिस्तान के साथ पश्चिमी देशों की कलई खोलकर रख दी और साथ ही ऑस्ट्रियाई पत्रकार की भी बोलती बंद कर दी।

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दरअसल, हर वैश्विक मंचों पर जयशंकर निडर और बेबाक तरीके से अपना पक्ष रखने के लिए जाने जाते हैं। जब वो बोलते हैं तो सामने वाले को उंगली उठाने का मौका देते ही नहीं है। ऐसे ही ऑस्ट्रियाई पत्रकार (ZIB2 Jaishankar interview) के साथ भी हुआ। पत्रकार देखता रह गया और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पश्चिमी देशों से लेकर चीन और पाकिस्तान को जमकर लताड़ लगा दी।

पाकिस्तान मुद्दे पर बेबाकी से रखी अपनी बात

इस साक्षात्कार (ZIB2 Jaishankar interview) के दौरान ऑस्ट्रियाई पत्रकार जयशंकर से पाकिस्तान को लेकर सवाल पूछ बैठा। फिर क्या एस जयशंकर भी आगबबूला हो गए और पाकिस्तान पर जमकर गरजे। पत्रकार ने प्रश्न किया कि कुछ दिन पहले आपने पाकिस्तान को आतंकवाद का केंद्र बताया था, क्या ये कूटनीतिक रूप से ठीक है? जिसका उत्तर देते हुए जयशंकर ने कहा कि एक राजनयिक होने का मतलब ये नहीं है कि आप सच नहीं बोल सकते। मैं आतंकवाद के केंद्र से अधिक सख्त शब्दों का प्रयोग कर सकता था। उन्होंने कहा कि हमारे साथ जो कुछ हो रहा है, उसके हिसाब से आतंकवाद का केंद्र एक बेहद कूटनीतिक शब्द है। उन्होंने कुछ आतंकी घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि ये वो देश है जिसने कुछ साल पहले हमारी संसद पर हमला, मुंबई शहर पर हमला किया था। होटलों के साथ विदेशी पर्यटकों को निशाना बनाया था और यही देश हर रोज़ सीमा पार आतंकी भेजता है।

एस जयशंकर यहीं नहीं रूके। उन्होंने उल्टे ऑस्ट्रियाई पत्रकार (ZIB2 Jaishankar interview) से सवाल पूछ डाला कि जब शहरों में दिन दहाड़े आतंकी कैंप चल रहे हैं, वहां आतंकियों के भर्ती से लेकर उन्हें आर्थिक मदद पहुंच रही है, तो क्या आप मुझसे कह सकते हैं कि पाकिस्तान सरकार को इसकी भनक नहीं है?

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इसके बाद ऑस्ट्रियाई पत्रकार ने प्रश्न किया कि क्या दुनिया को भारत और पाकिस्तान के बीच एक और जंग को लेकर चिंतित होना चाहिए? जिस पर जवाब देते हुए एस जयशंकर (ZIB2 Jaishankar interview) ने पश्चिमी देशों को आईना दिखाया और उन्हें इस बात से अवगत कराया कि आतंकवाद सिर्फ भारत की ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की समस्‍या है। जयशंकर बोले कि मुझे लगता है कि दुनिया को आतंकवाद को लेकर चिंतित होना चाहिए। दुनिया को इस बात को लेकर परेशान होना चाहिए कि आतंकवाद पनप रहा है और वो मुंह फेरे बैठी है। दुनिया के कई देशों को लगता है कि आतंकवाद उनकी समस्या नहीं है क्योंकि ये दूसरे देशों में हो रहा है। मुझे लगता है कि पूरे विश्व को मिलकर आतंकवाद पर चिंता जतानी चाहिए यही सबसे अहम है।

रूस को लेकर पश्चिमी देशों का मुंह किया बंद

ऑस्ट्रियाई पत्रकार ने भारतीय विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर (ZIB2 Jaishankar interview) से जितने भी सवाल किए उन्होंने सभी का जवाब हमेशा की तरह बिना हिचकिचाते हुए मजबूती के साथ दिया। कोई विदेशी पत्रकार, जयशंकर के साथ साक्षात्कार करें और भारत के रूस के साथ रिश्तों को लेकर प्रश्न न उठाए ऐसा बहुत कम ही होता है।ऑस्ट्रियाई पत्रकार ने भी एस जयशंकर से रूस का साथ देने को लेकर प्रश्न किया जिसका उत्तर भी जयशंकर कड़ाई के साथ दिया। पत्रकार ने पूछा कि भारत अहम हथियारों और सैन्य उपकरणों के लिए रूस पर निर्भर रहने की वजह से उसकी आलोचना करने में हिचक रहा है?

जिस पर ऑस्ट्रियाई पत्रकार को एस जयशंकर ने थोड़ा ज्ञान दिया और उन्होंने पश्चिमी देशों को जमकर धोया। जयशंकर ने कहा कि हमारा रूस के साथ एक लंबा रिश्ता है। इस रिश्ते के इतिहास को देखना बहुत आवश्यक है। उन्होंने पश्चिमी देशों की ओर इशारा करते हुए कहा कि ये रिश्ता उस समय बना जब पश्चिमी लोकतांत्रिक देश सैन्य तानाशाही वाले देश पाकिस्तान को हथियारों से लैस कर रहे थे और भारत को अपनी सुरक्षा के लिए भी हथियार नहीं दे रहे थे। ऐसे में अगर हम सिद्धांतों की बात कर रहे हैं तो थोड़ा इतिहास के पन्ने पलटने चाहिए।

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इसके बाद ऑस्ट्रियाई पत्रकार रूस-यूक्रेन युद्ध पर प्रश्न करने लगा। पत्रकार ने पूछा कि क्या भारत एक ऐसे युद्ध में तटस्थ रह सकता है, जिसमें युद्ध के लिए केवल एक धड़ा ज़िम्मेदार हो? इस पर भी उन्होंने पश्चिमी देशों को धोया और कहा कि बिल्कुल, ये संभव है। मैं ऐसे कई उदाहरण दे सकता हूं जब अन्य देशों ने दूसरे देशों की संप्रभुता पर हमला किया। उन्होंने आगे कहा कि अगर मैं यूरोप से सवाल करूं कि ऐसे मौकों पर वे कहां खड़े थे तो डर है कि मुझे एक लंबी चुप्पी का सामना करना होगा। आखिरकार हम विदेश नीति के निर्णय अपने दीर्घकालिक हितों और वैश्विक हितों के आधार पर करते हैं। उन्होंने इसका उदाहरण भी दिया और कहा कि अमेरिका और इराक के बीच हुए दूसरे खाड़ी युद्ध में अमेरिकी सरकार पर इराकी संप्रभुता पर हमला करने का आरोप लगा था।

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर पश्चिमी देशों को जिस तरह उनकी वास्तविकता से परिचित कराने में लगे हैं वो बेहद ही आवश्यक है। जिस तरह पश्चिमी देशों ने पर्दे के पीछे से पाकिस्तान के आतंकवाद को बढ़ावा दिया, उन्हें उनकी सच्चाई से अवगत कराना जरूरी है। आज भारत की मजबूत कूटनीति पर कोई प्रश्न तो उठा सकता है लेकिन भारत उसे सच्चाई बताकर उसकी बोलती बंद करने की ताकत रखता है और ये सब संभव हो पा रहा है सिर्फ और सिर्फ भारत के मजबूत नेतृत्व के कारण।

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