Cervical Cancer – आरोग्यं परम सुखम, यानी निरोगी होने से बड़ा सुख कोई नहीं है। लोग चाहते हैं कि वो जितना हो सके बीमारियों से दूर ही रहे। परंतु कब कोई बीमारी किस व्यक्ति को घेर लें, इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता। कुछ रोग तो ऐसे हैं जो लोगों को बर्बाद तक करके रख देते हैं और फिर मौत के मुंह तक पहुंचा देते हैं। कैंसर एक ऐसी ही बीमारी है और यही कारण है कि लोग कैंसर का नाम सुनते ही हार मान लेते हैं। कैंसर के भी कई प्रकार होते हैं। सर्वाइकल कैंसर को महिलाओं के लिए सबसे ख़तरनाक माना जाता है। यह कैंसर महिलाओं में होने वाले कैंसर में दूसरे स्थान पर आता है।
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क्या है सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer) ?
सबसे पहले बात सर्वाइकल कैंसर की करें तो, यह कैंसर गर्भाशय ग्रीवा के अस्तर में असामान्य कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि है। गर्भाशय ग्रीवा महिला प्रजनन प्रणाली का हिस्सा है और गर्भ के निचले हिस्से में स्थित है, जो गर्भ से योनि तक खुलती है। इस कैंसर को बच्चेदानी के कैंसर के नाम से भी जाना जाता है।
सिक्किम में सर्वाइकल कैंसर से लड़ाई के संबंध में एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। यहां 9-13 के लक्षित आयु वर्ग की 97 प्रतिशत लड़कियों को मुफ्त एचपीवी वैक्सीन से प्रतिरक्षित किया गया है। लैंसेट के हालिया अध्ययन के अनुसार भारत में सर्वाइकल कैंसर के रोगियों की संख्या एशिया में सबसे अधिक है और वैश्विक स्तर पर पांचवें नंबर पर है। सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer) भी महिलाओं में सभी कैंसर के बीच दूसरा प्रमुख कैंसर सर्वाइकल ही है। वहीं सिक्किम में इससे लड़ने में बेहतरीन काम किया गया है। सिक्किम की स्थिति के लेकर कैंसर फाउंडेशन ऑफ इंडिया की सह-संस्थापक सुतापा बिस्वास बताया कि राज्य सरकार अपने लक्षय को लेकर बेहद एक्टिव थी।
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टीकाकरण साबित हुआ सफलता का मंत्र
जानकारी के मुताबिक सरकार को पता था कि सर्वाइकल पैप स्मीयर स्क्रीनिंग के अनुपालन में लापरवाही बरती जा रही है। इसके अलावा उपचार सुविधाओं के लिए आने वाले मरीज भी जागरूक नहीं है और कैंसर मरीजों की देखभाल व्यवस्था भी अच्छी नहीं है। सरकार जानती थी कि कमियां कहां है। जिसके बाद सरकार ने इस बीमारी से बचाने वाली वैक्सीन का डेटा चेक किया और आश्वस्त किया कि यह सुरक्षित है और इसके लाभ शानदार हैं। 2009 से 2011 तक भारत में 500 लड़कियों का टीकाकरण किया गया था और वे इस बीमारी की संभावनाओं को खत्म कर चुकी थीं।
वहीं सिक्किम ने वर्ष 2017 में टीकाकरण करने का निर्णय किया था। इसके लिए उन्होंने यूनिसेफ के माध्यम से रियायती मूल्य पर आवश्यक गार्डासिल नामक एक अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन द्वारा स्वीकृत एचपीवी वैक्सीन ख़रीदी थी। यह महत्वपूर्ण था क्योंकि उस समय भारत के पास स्वदेशी टीका नहीं था। टीकाकरण की रणनीति सरकारी और निजी दोनों स्कूलों में चल रही थी। इसके साथ ही साथ स्कूल से बाहर लड़कियों के लिए स्वास्थ्य केंद्रों में सुविधाए दी गईं। दूसरी खुराक अप्रैल-मई 2019 में दी गई और टीकाकरण की पूरी प्रक्रिया समाप्त हो गई थीं।
माता पिता को इस वैक्सीन के बारे में समझाना भी एक बड़ी चुनौती था। इसको लेकर गंगटोक में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. शोमा राय ने बताया कि वैज्ञानिक समर्थन के बाद भी एचपीवी वैक्सीन या Cervical Cancer के बारे में बिल्कुल कोई बातचीत नहीं हुई थी। कोई जागरूकता नहीं थी। इसलिए स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को जागरूकता अभियानों में शामिल करना महत्वपूर्ण था। उन्होंने बताया कि माता-पिता की प्रमुख चिंता यह थी कि क्या टीका इन लड़कियों के प्रजनन स्वास्थ्य को प्रभावित करेगा और ये आश्वासन केवल सामान्य चिकित्सक और स्त्री रोग विशेषज्ञ ही दे सकते हैं। सरकार ने यही किया। विशिष्ट जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए और माता पिता को इस संबंध में विश्वास दिलाया गया।
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अहम बात यह है कि राज्य की जनसंख्या कम थी, तो यह काम कम समय में हो गया। लेकिन सिक्कम ने एक उदाहरण बना है कि यदि प्रयास किए जाए तो कैंसर को भी मात दी जा सकती है। पंजाब में सर्वाइकल कैंसर का टीका तो मुफ्त किया गया परंतु यहां राजनीतिक इच्छाशक्ति और जागरूकता की कमी ने इसमें समस्या आई। उन्होंने नागरिकों को पहले से जानकारी नहीं दी। नतीजतन, लोग टीका लेने में झिझकते थे क्योंकि उन्हें बांझपन का डर था।
वास्तव में यदि सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer) को हराना है तो इसके लिए आवश्यक है कि एक सही कार्ययोजना बनाई जाए। इसके लिए केंद्र और राज्यों को मिलकर काम करना चाहिए। स्वास्थ्य सुविधाओं को दुरुस्त करते हुए लोगों के बीच जागरूकता फैलाई जाये और फिर युद्ध स्तर पर HPV टीके का टीकाकरण किया जाए। इससे इस खतरनाक बीमारी का अंत किया जा रहा है। सिक्किम ने यह साबित किया है यदि वह कर सकता है तो फिर कोई राज्य कर सकता है।
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