अमरीश पुरी – न भूतो न भविष्यति

बॉलीवुड में तमाम विलेन आए लेकिन आज तक अमरीश पुरी जैसा कोई नहीं आया. उनके किरदार इतने जीवंत होते थे कि आज भी वो लोगों के दिलों में जीवित हैं.

Amrish Puri

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अमरीश पुरी को कुछ लोग बॉलीवुड का इकलौता संघी कहते हैं, जोकि सत्य भी है। वो बॉलीवुड के ऐसे अभिनेता थे, जिनके अभिनय में क्लास था, जिनके अभिनय को देखने में आनंद आता था। अमरीश पुरी, जिनका व्यक्तित्व, जिनकी आवाज़, अपनी एक अलग छाप छोड़ते थे, उनके किरदारों को आज भी लोग याद करते हैं। वो अपने आप में अभिनय के विश्व विद्यालय थे। अधिकतर फिल्मों में उन्होंने नकारात्मक किरदार निभाए लेकिन वही किरदार देखने के लिए लोग सिनेमाघरों में जाया करते थे। फिल्मों में उनके किरदार जितने नकारात्मक रहे, वास्तविक जीवन में अमरीश पुरी की कहानी (Amrish Puri biography in Hindi) उन किरदारों से बिल्कुल उल्ट है।

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आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं अमरीश पुरी

अमरीश पुरी बॉलीवुड के सबसे सफल अभिनेताओं में से एक थे। आज जब सनातन संस्कृति को प्रत्येक मुद्दे पर बॉलीवुड द्वारा अपमानित किया जाता है तो निश्चित तौर पर उन्हें सबसे अधिक याद किया जाता है। उन्होंने अपने फिल्मी करियर में जो भी रोल किया, उसे आत्मसात कर लिया जिसका नतीजा यह हुआ कि उनका हर रोल आज भी चर्चा में रहता है और आज भी जब किसी पुरानी फिल्म में अमरीश पुरी का रोल दिखता है तो लोग ठहर जाते हैं। वो रियल लाइफ में तो अपनी संस्कृति के सेवक थे ही लेकिन यह भी कहा जाता है कि उन्होंने अपने पूरे जीवन में यह भी ध्यान दिया कि कैरेक्टर में रहते हुए भी किसी तरह से हिन्दू या सनातन संस्कृति का अपमान न हो। इसके साथ ही वो पॉजिटिव से लेकर नेगेटिव रोल तक काफी शिद्दत से निभाते थे।

Amrish Puri biography in Hindi

फिल्म ‘मिस्टर इंडिया’ के गायब होने वाले अरुण यानी अनिल कपूर को लोग एक मैजिक मैन के तौर पर याद करते हैं तो उससे ज्यादा लोग फिल्म के विलेन ‘मोगैंबो’ को भी पसंद करते हैं। अमरीश पुरी का वो ‘मोगैंबो खुश हुआ’ वाला डायलॉग आज भी बच्चे-बच्चे की जुबान पर रहता है। डॉन्ग कभी रॉन्ग नहीं होता, से लेकर शोम शोम शामो शाशा, वाला गाना आज भी लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है।

DDLJ में काजोल के पिता के किरदार से लेकर फिल्म ‘घातक‘ में एक बीमार पिता तक का रोल करते हुए जिस तरह से अमरीश पुरी ने पिता के कर्तव्यों के निर्वहन का संदेश दिया, उसे सभी ने पसंद किया। इसके अलावा भारत में सबसे ज्यादा पसंद की गई फिल्म यानी ‘गदर: एक प्रेम कथा’ में यदि तारा सिंह को पाकिस्तान में घुसकर तूफान मचाने के लिए जाना गया तो वहीं दूसरी ओर अमरीश पुरी का अशरफ अली का किरदार भी लोगों को हृदय में बस गया। अमरीश पुरी ने जिस भी किरदार को निभाया उसे अमर कर दिया, जो कि उनके दिग्गज होने का सटीक प्रमाण माना जाता है।

RSS के स्वयंसेवक रह चुके थे अमरीश पुरी

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि फिल्मों में सनातन संस्कृति को बचाए रखना हो या फिर अपने किरदार के प्रति दृढ़ निश्चयी होना हो, अमरीश पुरी में संस्कारों का यह सृजन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से आया था। जी हां, वो अकेले ऐसे अभिनेता थे जो कि संघ की पृष्ठभूमि से आते थे। आरएसएस से उनके बैकग्राउंड की बात उन्होंने स्वयं भी स्वीकार थी। उन्होंने बताया था कि मैं जब 15-16 वर्ष का था तब संघ शाखा में जाना शुरू किया था। एक घंटे की शाखा के उपरांत स्वयंसेवकों के परिवारों से सम्पर्क और शाखा के कार्य में इतना रम गया था कि मुझे शाखा के मुख्य शिक्षक की जिम्मेदारी दी गई। मैं मानता हूं कि उस समय शाखा में जो संस्कार मुझे मिले, उन्होंने मेरे व्यक्तित्व और चरित्र को गढ़ने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। आज फिल्म उद्योग में मैं हूं, जहां चारित्रिक पतन सबसे ज्यादा होता है।

बॉलीवुड में अमरीश पुरी के बाद भी अभी तक तमाम लोगों ने नकारात्मक किरदारों को निभाया है लेकिन सिनेमा को उनका विकल्प आज तक नहीं मिल पाया है। उन्हें लेकर तो यह भी कहा गया था कि यदि 80 के दशक में उन्होंने पहले ही ज्यादा फिल्में साइन न की होती तो शायद दूरदर्शन पर आने वाली रामानंदर सागर द्वारा निर्देशित रामायण में रावण के रोल में अरविंद त्रिवेदी के बजाए अमरीश पुरी ही दिखते, लेकिन ऐसा न हो सका। रामायण के सारे किरदार तो अमर हो ही गए लेकिन अमरीश पुरी के काम करने की शैली से लेकर उनके राष्ट्रप्रेम और सनातन के प्रति सम्मान के चलते उनका हर एक किरदार भी आज अमर ही है और उनका प्रत्येक प्रशंसक उन्हें उनके बेहतरीन किरदारों (Amrish Puri biography in Hindi) के जरिए ही याद करता है।

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