गति किसे कहते हैं : परिभाषा एवं प्रकार

Gati Kise Kahate

Gati Kise Kahate : गति किसे कहते हैं 

स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे Gati Kise Kahate Hain बारे में साथ ही इससे जुड़े परिभाषा एवं प्रकार के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें

गति किसे कहते हैं –

जब कोई वस्तु अन्य वस्तुओं की तुलना में समय के सापेक्ष में स्थान परिवर्तन करती है, तो वस्तु के इसी अवस्था को गति कहा जाता है। समय के सापेक्ष यदि वस्तु की स्थिति में कोई परिवर्तन ना हो तो वस्तु विराम अवस्था में होती है और यदि समय के साथ वस्तु की स्थिति में परिवर्तन हो तो वस्तु गतिशील अवस्था में होती है।

गति की परिभाषा-

वस्तु अथवा पिण्ड अपनी स्थिति अपने चारों तरफ कि वस्तुओं की अपेक्षा बदलती रहती है, तो वह वस्तु या पिण्ड की इस स्थिति को गति कहते हैं . जैसे- पानी में चलती नाव आदि .

गति का सूत्र –

गति का फार्मूला (सूत्र) -विस्थापन / समय

गति के प्रकार –

घूर्णन गति – एक विशेष प्रकार की गति जिसमें वस्तु एक निश्चित अक्ष के चारों ओर घूमती है, जैसे कि एक बर्फ की रिंक पर घूमता हुआ एक स्कैटर।

सरल रेखीय गति  –

जब कोई वस्तु सरल रेखा में गति करती है तो उसकी गति सर रेखीय गति कहलाती है। जैसे सड़क पर दौड़ते वाहनों की गति, दौड़ते खिलाड़ी की गति आदि सरल रेखीय गति के उदाहरण है।

वृतीय गति –

किसी कण किसी तल में इस प्रकार गति की है की उसकी किसी बिंदु से दुरी नियत बनी रहे तो इस प्रकार की गति को उस निश्चित बिंदु या गतिशील बिंदु सापेक्ष वृतीय गति कहते है।

आवर्ती गति   –

जब कोई गति करती हुई वस्तु एक निश्चित समय के बाद अपनी गति को दोहराती है तो उसकी गति आवर्ती गति कहलाती है। जैसे-सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की गति, घड़ी की सुइयों की गति आदि आवर्ती गति के उदाहरण हैं।

दोलन गति –

एक दोहराव गति जिसमें एक वस्तु लगातार एक ही गति में दोहराती है और फिर से झूले की तरह दिखाई देती है।

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न्यूटन के गति के नियम –

प्रथम नियम –

यदि कोई वस्तु स्थिर है तो वह स्थिर ही रहेगी तथा गतिशील है तो नियत वेग से गतिशील है तो नियत वेग से गतिशील ही रहेगी जब तक उस पर कोई बाहा असंतुलित बल कार्य नहीं करता है। इसे जड़त्व का नियम भी कहते हैं।

द्वितीय नियम-

संवेग परिवर्तन की दर, प्रभावित बल या कारक बल की अनुपाती होती है और संवेग कारक बल की दिशा में कार्य करता है।न्यूटन की गति का

तृतीय नियम –

प्रत्येक क्रिया की परिमाण में बराबर तथा दिशा में विपरीत सदैव एक प्रतिक्रिया होती है। इसे क्रिया प्रतिक्रिया का नियम भी कहते है।

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