Guru Mantra – गुरु मंत्र : विधि एवं गुरू का अर्थ
स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे Guru Mantra साथ ही इससे जुड़े विधि एवं अर्थ के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें
गुरू का अर्थ क्या होता है ? –
गुरु का अर्थ होता है जो गुरु ज्ञान देता है उससे ही गुरु कहा जाता है गुरु शब्द का अर्थ शिक्षक को कहा जाता है उसी के आधार पर व्यक्ति का पहला गुरु उसके माता-पिता होते हैं दूसरा गुरु उसके शिक्षक होते हैं और जो अक्षर ज्ञान करवाता है उसे भी गुरु कहा जाता है।
गुरु मंत्र –
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः ।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
अर्थ – गुरु ही आपके जीवन का ब्रह्मा, विष्णु, महेश के समान कल्याण करता है बुद्धि विचार का विकास करता है और अनुशासन मार्गदर्शन से जीवन को सफल बनाने में आपकी सहायता करता है यह गुरु ही ब्रह्मा है गुरु ही विष्णु है गुरु ही महेश है अर्थात भगवान शिव है साक्षात परब्रह्म परमात्मा कि हमारे उद्धार के लिए गुरु रूप में प्रकट होते हैं और ज्ञान का मार्गदर्शन करवाते हैं अर्थात मैं ऐसे महान सदा गुरु को प्रणाम करती हूं।
गुरु मंत्र जाप विधि –
गुरु मंत्र का जाप आपको सुबह उठने के बाद स्नानादि से संपन्न होकर पूजा पाठ करते समय लास्ट में 108 बार इस गुरु मंत्र का जाप करना चाहिए दोस्तों कई लोग ऐसे सवाल करते हैं कि 108 बरही किसी मंत्र का जाप क्यों किया जाता है 108 संख्या पवित्र मानी जाती है हिंदू धर्म में ऐसा कहा जाता है कि अगर आप 108 बार माला का जाप कर लेते हैं तो वह मंत्र सिद्ध हो जाता है।
गुरु वंदना मंत्र –
ॐ शिवरूपाय महत् गुरुदेवाय नमः
ॐ परमतत्वाय नारायणाय गुरुभ्यो नम:।
ॐ गुं गुरुभ्यो नम:
ॐ जेत्रे नम:
ॐ गुरुभ्यों नम:।
ॐ धीवराय नम:
ॐ गुणिने नम:
गुरु गायत्री मंत्र –
ॐ वेदाहि गुरु देवाय विद्महे परम गुरुवे धीमहि तन्नौ: गुरु: प्रचोदयात्।
नमामि महादेवं देवदेवं, भजामि भक्तोदय भास्करम तं | ध्यायामि भूतेश्वर पाद्पंकजम, जपामि शिष्योद्धर नाम रूपं
ॐ त्वमा वह वहै वद वै गुरौर्चन घरै सह प्रियन्हर्शेतु
अर्थ – हे गुरुदेव ! आप सर्वज्ञ हैं, हम इश्वर को नहीं पहचानते, उन्हें नहीं देखा है, पर आपको देखा है और आपके द्वारा ही उस प्रभु के दर्शन सहेज, संभव हैं | हम अपने ह्रदय को समर्पित कर आपका अर्चन पूजन करके पूर्णता प्राप्त करने आकांक्षी हैं।
गुरु मंत्र के फायदे –
गुरु द्वारा दिए गए ज्ञान से ही हमारे अज्ञान का नाश होता है और हमारे जीवन को दिशा मिलती है। गुरु 2 प्रकार के होते हैं। एक जो हमें पढ़ाई-शिक्षा के माध्यम से ज्ञान का बोध कराते हैं और दूसरे वे गुरु जो हमें इस माया रूपी संसार के अज्ञान से मुक्त कराते हैं। इस अतिरिक्त भी हर वो व्यक्ति, जीव, जड़-चेतन वस्तु हमारा गुरु ही है जो हमें किसी न किसी रूप में कोई कल्याणकारी शिक्षा देता है।
FAQ-
Ques-गुरु मंत्र की महिमा ?
Ans-गुरुमंत्र एक अभिमंत्रित मंत्र है, जो गुरु अपने शिष्य को जप करने हेतु देते हैं। गुरुमंत्र के फलस्वरूप शिष्य अपनी आध्यात्मिक उन्नति करता है और अंतत: मोक्ष प्राप्ति करता है । गुरुमंत्र में जिस देवता का नाम होता है, वही देवता उस शिष्य की आध्यात्मिक प्रगति के लिए आवश्यक होते हैं।
Ques-गुरु मंत्र कब लेना चाहिए ?
Ans-गुरु से दीक्षा लिए बिना जप, पूजा वगैरह सब निष्फल जाता है। इसलिए गुरु दीक्षा के तहत गुरु अपने शिष्य को एक मंत्र देते है ।जिससे शिष्य के जीवन का उद्धार हो जाता है। अतः गुरु मंत्र लेने के लिए पहले गुरु की सेवा करे और समय आने पर उनसे गुरु मंत्र दीक्षा की विनती करे |
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