कबीर दास की जीवनी हिंदी में : दोहे एवं रचनाये

Kabir Das Biography in Hindi

Kabir Das Biography in Hindi :कबीर दास की जीवनी हिंदी में : दोहे एवं रचनाये

स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे  Kabir Das Biography in Hindi साथ ही इससे जुड़े दोहे एवं रचनाये के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें  

कबीर दास की जीवनी –

कबीर दास का जन्म 1398 ई० में हुआ था। कबीर दास मगहर, काशी में हुआ था। वह जगत गुरु रामानंद स्वामी जी के आशीर्वाद से काशी की एक विधवा ब्राह्मणी के गर्भ से उत्पन्न हुए थे और ब्राह्मणी उस नवजात शिशु को लहरतारा ताल के पास फेंक आई उस तालाब के पास नीरू और नीमा नाम के दो जुलाहा (कपड़ा बुननेवाला) दंपत्ति रहते थे जो निसंतान थे नीरू ने तालाब के किनारे एक नवजात शिशु के रोने की आवाज सुनी वह दौड़कर तालाब के किनारे गया और उस नवजात शिशु को वहां से उठाकर अपने घर ले आया और उसी ने उस बालक का पालन पोषण किया।

कबीरदास के गुरु  –

कबीर ने काशी के प्रसिद्ध महात्मा रामानंद को अपना गुरु माना है। कहा जाता है, कि रामानंद जी ने नीच जाति का समझकर कबीर को अपना शिष्य बनाने से इनकार कर दिया था, तब एक दिन कबीर गंगा तट पर जाकर सीढ़ियों पर लेट गये जहां रामानंद जी प्रतिदिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने जाया करते थे।

कबीर दास के दोहे

कबीर की रचनाये –

कैसे पहुंचा जाये –

सिद्धपीठ कबीरचौरा मठ मुलगड़ी भारत के प्रसिद्ध सांस्कृतिक शहर वाराणसी में स्थित है। एयरलाइन, रेलवे लाइन या सड़क मार्ग से यहां पहुंचा जा सकता है। यह वाराणसी हवाई अड्डे से लगभग 18 किमी  और वाराणसी जंक्शन रेलवे स्टेशन से लगभग 3 किमी दूर स्थित है ।

Also Read-

मृत्यु  –

कबीरदास जी की मृत्यु सन 1494 ई० मगहर में हुई थी ऐसा माना जाता हैं कि उन्हें अपनी मृत्यु का अंदेशा पहले ही हो गया था

FAQs

Ques-कबीर दास जी का जन्म कब हुआ था?

Ans-कबीर दास जी का जन्म 1398 ईस्वी को काशी में एक विधवा ब्राह्मणी की कोख से हुआ था।

Ques-कबीर दास जी क्यों प्रसिद्ध हैं?

Ans-कबीर दास जी इसलिए प्रसिद्ध है क्योंकि वे एक महान समाज सुधारक थे। उन्होंने समाज में व्याप्त बुराइयों, ऊँच-नीच, सामाजिक भेदभावों को दूर करने का प्रयास किया। इसके अलावा वे एक महान कवि व संत भी थे।

Ques-कबीर दास जी की रचनाएं क्या हैं?

Ans-कबीर दास की सभी रचनाओं का संकलन बीजक में किया गया है जिनमें तीन भाग हैं – साखी, सबद, रमैनी। कबीर दास की सभी रचनाएं उनके शिष्य धर्मदास के द्वारा लिखी गई हैं।

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