Kedarnath Kahan Hai :केदारनाथ कहाँ है : ऊंचाई एवं इतिहास
स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे Kedarnath Kahan Hai में साथ ही इससे जुड़े ऊंचाई एवं इतिहास के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें
केदारनाथ मंदिर कहां स्थित है ? –
केदारनाथ मंदिर भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। केदारनाथ मंदिर तीन तरफ से ऊंचे पहाड़ों से घिरा हुआ है, जिसमें केदारनाथ , खर्चकुंड,और भरतकुंड शामिल है।केदारनाथ न केवल पहाड़ बल्कि पांच नदियों का संगम भी है, जिसमें सरस्वती, स्वर्णगौरी, क्षीरगंगा, मंदाकिनी और मधुगंगा शामिल है।
केदारनाथ मंदिर की लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई कितनी है ?
केदारनाथ मंदिर समुद्रतल से करीब 3584 मीटर (11,758 फूट) की ऊंचाई पर स्थित है, जिसे 6 फूट ऊंचे चबूतरे पर बनाया गया है। केदारनाथ मंदिर की लंबाई 187 फूट, चौड़ाई 80 फूट और ऊंचाई 85 फूट है, जिसकी दीवारें 12 फूट मोटी है और इसे कत्यूरी पत्थरों से बेहद मजबूती के साथ बनाया गया है।
केदारनाथ मंदिर का इतिहास और महत्व –
उत्तराखण्ड में हिमालय पर्वत की गोद में केदारनाथ मन्दिर बारह ज्योतिर्लिंग में सम्मिलित होने के साथ चार धाम और पंच केदार में से भी एक है |यह उत्तराखंड का सबसे विशाल शिव मंदिर है, जो कटवां पत्थरों के विशाल शिलाखंडों को जोड़कर बनाया गया है। ये शिलाखंड भूरे रंग की हैं। मंदिर लगभग 6 फुट ऊंचे चबूतरे पर बना है। इसका गर्भगृह प्राचीन है जिसे 80वीं शताब्दी के लगभग का माना जाता है ।केदारनाथ धाम और मंदिर तीन तरफ पहाड़ों से घिरा है। एक तरफ है करीब 22 हजार फुट ऊंचा केदारनाथ, दूसरी तरफ है 21 हजार 600 फुट ऊंचा खर्चकुंड और तीसरी तरफ है 22 हजार 700 फुट ऊंचा भरतकुंड।केदारनाथ मंदिर न सिर्फ तीन पहाड़ बल्कि पांच नदियों का संगम भी है यहां- मंदाकिनी, मधुगंगा, क्षीरगंगा, सरस्वती और स्वर्णगौरी ।इन नदियों में से कुछ का अब अस्तित्व नहीं रहा लेकिन अलकनंदा की सहायक मंदाकिनी आज भी मौजूद है।
केदारनाथ मंदिर में दर्शन का समय –
- केदारनाथ मंदिर के द्वार आम भक्तों के दर्शन के लिए सुबह 6:00 बजे खुल जाते हैं।
- भगवान शंकर की पूजा में मुख्य रूप से प्रातः कालिक पूजा, महाभिषेक पूजा, अभिषेक, रुद्राभिषेक षोडशोपचार पूजन, आदि शामिल हैं।
- केदारनाथ मंदिर में दोपहर 3:00 से 5:00 के मध्य एक विशेष पूजा होती है तथा इसके पश्चात भगवान के विश्राम के लिए फलस्वरुप मंदिर के कपाट को बंद कर दिया जाता है।
- मंदिर के कपाट पुनः शाम 5:00 बजे खुल जाते हैं तथा आम जनता एवं भक्तजन दर्शन कर सकते हैं।
- इसके पश्चात पांच मुख वाले भगवान शिव की प्रतिमा का श्रृंगार होता है और संध्या काल की आरती का समय 7:30 से 8:30 के बीच तय किया गया है जिसमें भगवान शिव की आरती की जाती है। इसके पश्चात मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं।
केदारनाथ मंदिर के रोचक तथ्य –
- स्थानीय लोगों का मानना है कि केदारनाथ मंदिर धाम के पीछे शंकराचार्य की समाधि है मान्यताओं के अनुसार गुरु शंकराचार्य ने केदारनाथ धाम में ही महा समाधि ली थी।
- 2013 में आई बाढ़ के बाद केदारनाथ धाम क्षेत्र सर्वाधिक प्रभावित हुआ था लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि इस आपदा में केदारनाथ धाम को किसी भी प्रकार की क्षति नहीं हुई शरणार्थी श्रद्धालुओं के लिए केदारनाथ धाम को पूरे 1 वर्ष के लिए बंद कर दिया गया था।
- मंदिर के सामने एक छोटा सा स्तंभ स्थित है जिस पर माता पार्वती और पांचो पांडव के चित्र अंकित है।
केदारनाथ मंदिर कैसे पहुंचे ? –
केदारनाथ मंदिर जाने के लिए आप फ्लाइट, ट्रेन या बस की सुविधा ले सकते हैं
हवाई जहाज –
केदारनाथ मंदिर का नजदीकी हवाई अड्डा जौली ग्रांट है, जो उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में स्थित है। देहरादून आने के बाद आपको सोनप्रयाग आना पड़ेगा। जौली ग्रांट से सीधा सोनप्रयाग जाने के लिए आपको बस की सुविधा उपलब्ध होती है।
ट्रेन –
केदारनाथ मंदिर का नजदीकी रेलवे स्टेशन देहरादून, ऋषिकेश और हरिद्वार में है और उत्तराखंड के इन तीनों शहरों से सोनप्रयाग जाने के लिए आपको बस की सुविधा आसानी से मिल जाती है।
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