“विदेश में बनी दारू पर केजरीवाल की कृपा”, Make in India को केजरीवाल डूबो देंगे

विदेशी शराब को तवज्जो देकर भारतीय व्यापारियों संग भेदभाव कर रहे हैं केजरीवाल, यह उनका दोहरा चरित्र नहीं तो और क्या है।

Liquor policy Delhi

Source- Google

Liquor policy Delhi: ऐसा लगता है कि मानों कुछ सरकारों ने सौगंध ही खा रखी है कि वो करेंगे वो देश की भलाई के विपरीत ही होगा। एक तरह जहां मोदी सरकार निरंतर यह प्रयास कर रही है कि देश को हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाया जाए। छोटी से लेकर हर बड़ी चीज का निर्माण देश में ही हों। किसी भी चीज के लिए हमें दूसरे देशों का मुंह न देखना पड़ें। तो वहीं दूसरी तरफ इस अभियानों को ग्रहण लगाते हुए विदेशी कंपनियों को अधिक तवज्जो देती नजर आती हैं।

भारतीय व्यापारियों के साथ भेदभाव

उदाहरण के लिए आप यही मामला देख लीजिए कि शराब बनाने वाली भारतीय कंपनियों के एक संगठन कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडियन अल्कोहलिक बेवरेज कंपनीज़ (CIABC) के द्वारा दिल्ली सरकार को पत्र लिखा गया है। इस पत्र में संगठन ने सरकार से 2023-24 की आगामी उत्पाद शुल्क नीति में भारत में बनने वाले उत्पादों के साथ कथित रूप से भेदभाव करने और आयात को और अधिक बढ़ावा देने वाले नियमों को हटाने की बात कही है। क्योंकि इससे संबंधित नियमों में मेक इन इंडिया या आत्मनिर्भर भारत जैसे अभियानों को पूर्ण रूप से दरकिनार किया गया है।
भारतीय शराब निर्माताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले निकाय के द्वारा आने वाले वित्त वर्ष के लिए आगामी आबकारी नीति (Liquor policy Delhi) में कारोबार की सुगमता को बढ़ावा देने के साथ नए उत्पाद पेश करने की प्रक्रिया को आसान बनाने की बात कही गयी है। साथ ही उन्होंने सभी परिचालन प्रक्रियाओं के डिजिटलीकरण करने का भी आग्रह किया है।

और पढ़ें: जयशंकर को ज्ञान देने चले थे राहुल गांधी और केजरीवाल, लग गई

सीआईएबीसी (CIABC) के अनुसार, “ये पुरानी विनियामक विसंगतियां ही हैं, जब भारत को निम्न-गुणवत्ता वाले उत्पादक के रूप में देखा जाता था। उदाहरण के लिए, आयातित व्हिस्की के लिए लाइसेंस शुल्क 50,000 रुपये प्रति वर्ष है, लेकिन अगर वहीं उत्पाद भारत में बनाया जाता है, तो यह न्यूनतम 25 लाख रुपये का शुल्क देना होता है।”

लाइसेंस शुल्क में इतना अंतर क्यों? 

आखिर एक समान पदार्थ पर शुल्क समान क्यों नहीं है? भारत में निर्मित पदार्थों पर इतना अधिक शुल्क क्यों? आप स्वयं ही इस बात विचार कीजिये कि व्यापारियों द्वारा भारत में शराब पर लाइसेंस शुल्क 25 लाख देना होगा और अगर व्यापारियों द्वारा वही शराब बाहर से मंगवाकर बेचीं जाती है, तो व्यापारी इस पर भारी भरकम शुल्क देने से बच जाएंगें। साथ ही उनको मुनाफा भी होगा। तो भला वो क्यों भारत में इसका निर्माण करेंगे?

दूसरी ओर आयातित शराब पर यदि शुल्क कम होगा तो व्यापारी इसे सस्ते दामों पर आसानी से बेच पाएंगें। वहीं भारत निर्मित शराब पर अधिक शुल्क देने के चलते व्यापारियों को इसे अधिक दाम पर बेचने को ही विवश होना पड़ेगा। जाहिर-सी बात है कि लोग कम दाम वाली शराब ही खरीदेंगे, जिससे भारत व्यापारियों को नुकसान हो सकता है और इसका परिणाम यह भी निकल सकता है कि व्यापारी भारत में इसका निर्माण करने से पीछे हट जाएं।

और पढ़ें: प्रस्तुत करते हैं श्रीमान अरविंद केजरीवाल की सरकार का नया घोटाला…

यह तो छोड़िए आपको केजरीवाल की नई आबकारी नीति (Liquor policy Delhi) को याद ही होगी। वहीं आबकारी नीति जो अब केजरीवाल सरकार और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के गले की फांस बन चुकी हैं। जिसमें सिसोदिया बुरी तरह से घिरे हुए हैं और सीबीआई जांच के घेरे में है। अपनी इस नीति में तो तो केजरीवाल ने पहले जिस लाइसेंस की फीस 25 लाख रुपये थी, उसे बढ़ाकर पांच करोड़ तक कर दिया गया। आरोप लगे कि दिल्ली सरकार ने जानबूझकर बड़े शराब कारोबारियों को लाभ पहुंचाने के लिए लाइसेंस शुल्क बढ़ाया था, जिससे छोटे ठेकेदारों की दुकानें बंद हो गईं और बाजार में केवल बड़े शराब माफियाओं को ही लाइसेंस मिला। हालांकि वो बात अलग है कि केजरीवाल सरकार जबरदस्त विवादों में घिरने के बाद अपनी नई आबकारी नीति (Liquor policy Delhi) को वापस ले चुकी है।

विदेशी शराब कंपनियों पर तो केजरीवाल अपनी कृपा बरसा रहे हैं और भारतीय व्यापारियों के साथ भेदभाव कर रहे हैं और फिर वही केजरीवाल मेक इन इंडिया नंबर 1 जैसे कैंपेन चलाते हैं। कुछ महीनों पूर्व ही केजरीवाल ने इस कैंपेन को लॉन्च किया था, जिसमें तहत उन्होंने भारत को दुनिया का नंबर एक देश बनाने की बात कही थीं। परंतु वहीं केजरीवाल विदेशी कंपनियों को तवज्जो दे रहे हैं और मेड इन इंडिया जैसे अभियान को पीछे धकेल रहे हैं। इसे केजरीवाल का दोहरा चरित्र नहीं तो भला और क्या कहेंगे।

और पढ़ें: केजरीवाल ‘फ्री पॉलिटिक्स’ के लिए प्रसिद्ध हैं लेकिन योगी ने तो आतंक के मुद्दे पर धागा खोल दिया

TFI का समर्थन करें:

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की ‘राइट’ विचारधारा को मजबूती देने के लिए TFI-STORE.COM से बेहतरीन गुणवत्ता के वस्त्र क्रय कर हमारा समर्थन करें।

Exit mobile version