Maa Chintpurni Temple : मां चिंतपूर्णी मंदिर : इतिहास एवं कथा
स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे Maa Chintpurni Temple साथ ही इससे जुड़े इतिहास एवं कथा के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें
चिंतपूर्णी देवी मंदिर का इतिहास –
देवी सती के रूप चिन्तपूर्णी देवी को समर्पित चिन्तपूर्णी देवी मंदिर के इतिहास और किवदंतीयों के अनुसार चिंतपूर्णी देवी मंदिर की स्थापना लगभग 12 पीढ़ियों पहले छपरोह गांव में पटियाला रियासत के एक ब्राह्मण पंडित माई दास जी द्वारा करवाई गई थी। समय के साथ साथ इस मंदिर को चिन्तपूर्णी देवी मंदिर के नाम से जाना जाने लगा। कहा जाता है उनके वंशज आज भी इस मंदिर में रहते है और देवी चिन्तपूर्णी की पूजा अर्चना भी करते है।
देवी की उत्पति की कथा –
पुराणिक कथा के अनुसार सभी माताओ की उत्पति की एक ही कथा है | चिंतपूर्णी देवी माता सती का ही रूप है | कहानी कुछ इस तरह है की भगवान शिव की शादी माता सती से हुई थी माता सती के पिता का नाम राजा दक्ष था वो भगवान शिव को अपने बराबर नहीं मानता था | एक बार महाराज दक्ष ने एक बहुत बड़ा यज्ञ का आयोजन किया उन्होंने सभी देवी देवताओं की निमंत्रण भेजा किन्तु भगवान शिव और माता सती को निमंत्रण नहीं भेजा गया | यह देखकर माता सती को बहुत क्रोध आया और उन्होंने वह जाकर अपने पिता से इस अपमान का कारण पूछने के लिए उन्होंने शिव भगवान से वह जाने की आज्ञा मांगी किन्तु भगवान शिव ने उन्हें वह जाने से मना की किन्तु माता सती के बार बार आग्रह करने पर शिव भगवान ने उन्हें जाने दिया | जब बिना बुलाए यज्ञ में पहुंची तो उनके पिता दक्ष ने उन्हें काफी बुरा भला कहा और साथ ही साथ भगवान शिव के लिए काफी बुरी भली बातें कही जिसे माता सती सहन नहीं कर पाई और उन्होंने उसी यज्ञ की आग में कूद कर अपनी जान दे दी | यह देख कर भगवान शिव को बहुत क्रोध आया और उन्होंने माता सती का जला हुआ शरीर अग्नी कुंड से उठा कर चारों और तांडव करने लग गये जिस कारण सारे ब्रह्मांड में हाहाकार मच गया यह देख कर लोग भगवान विष्णु के पास भागे तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के 51 टुकड़े किये ये टुकड़े जहाँ जहाँ गिरे वह पर शक्ति पीठ बन गए | मान्यता है की यह माता के चरण गिरे थे जिसे सब चिंतपूर्णी माता नाम से जाना गया |
चिंतपूर्णी देवी मंदिर के खुलने का समय –
चिंतपूर्णी देवी मंदिर सुबह प्रात : 5.00 बजे से लेकर शाम 10 बजे तक तक खुला रहता है।
आसपास घूमने की जगहें –
- थानीक पुरा
- महाराणा प्रताप सागर बाँध
- वज्रेश्वरी देवी मंदिर
- ज्वालामुखी देवी मंदिर
चिंतपूर्णी देवी मंदिर कैसे पहुचें –
सड़क मार्ग –
सड़क मार्ग द्वारा हिमाचल प्रदेश के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है इसीलिए सड़क मार्ग या बस से चिंतपूर्णी माता मंदिर की यात्रा करना काफी आसान है। दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और हिमाचल राज्य परिवहन विभाग दिल्ली-चंडीगढ़-चिंतपूर्णी रूट पर बसें चलाते हैं। हिमाचल सड़क परिवहन निगम दिल्ली और चिंतपूर्णी के बीच एक दैनिक वोल्वो कोच सेवा चलाता है।
हवाई जहाज –
चिंतपूर्णी देवी के दर्शन के लिए हवाई मार्ग से जाने की सोच रहे हैं तो आपको बता दे की इस मंदिर का कोई घरेलू हवाई अड्डा नहीं है। यहां से नजदीकी हवाई अड्डा गग्गल में स्थित है जो कि मंदिर से 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
ट्रेन –
इस मंदिर तक ट्रेन से जाना भी कुछ हद तक कठिन है क्योंकि यहां से सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन उना में स्थित है मंदिर से लगभग 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
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