मलयालम फिल्म इंडस्ट्री डूब गई, वर्ष 2022 के आंकड़े देखकर आप कहेंगे यह हुआ तो हुआ कैसे

इस वर्ष मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में 176 फिल्में रिलीज़ हुईं। लेकिन बुरी तरह फ्लॉप फिल्मों का आंकड़ा डरावना है। मलयालम इंडस्ट्री अगले वर्ष स्वयं को बचा लेगी, इस पर भी संशय है।

malyalam film industry

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क्या वर्ष 2022 केवल बॉलीवुड के लिए अच्छा नहीं रहा? क्या अन्य फिल्म उद्योगों ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया? क्या कन्नड़, तेलुगु और मलयालम सिनेमा ने चारो ओर झंडे गाड़ दिए? अगर आप भी ऐसा सोचते हैं तो आप गलत हैं। इन सभी फिल्म इंडस्ट्री की हालत बॉलीवुड के काफी समान है। आज हम आपके सामने वर्ष 2022 में मलयालम फिल्म इंडस्ट्री द्वारा किए गए प्रदर्शन का रिपोर्ट कार्ड पेश करेंगे, जिसकी हालत डांवाडोल हो चुकी है।

जो दिखता है, आवश्यक नहीं कि वही सत्य हो। एक समय होता था कि मलयालम फिल्म इंडस्ट्री के चर्चे पूरे देश भर में होते थे। इस उद्योग के अभिनेता, निर्देशक और यहां तक कि फिल्मों की कहानियां भी बेजोड़ होती थी। अन्य इंडस्ट्री इनकी रचनाओं को आत्मसात करने या यूं कहें कि इनकी फिल्मों को रीमेक बनाने के लिए प्रतिस्पर्धा करते थे। परंतु आज की स्थिति इससे ठीक उलट है। अवार्ड्स में छाना तो दूर, अब मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में एक सामान्य हिट दर्ज कराना भी पहाड़ चढ़ने जितना कठिन हो गया है।विश्वास नहीं होता तो द हिन्दू की इस रिपोर्ट के अंश पर ध्यान दीजिए।

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176 में से 159 फिल्में फ्लॉप रहीं

द हिंदू के रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2022 में मलयालम फिल्म इंडस्ट्री की ओर से 176 फिल्में सिनेमाघरों में आईं, जिनमें से मात्र 17 फिल्में ही बॉक्स ऑफिस पर चली। उनमें से भी जिन फिल्मों का थियेटर कलेक्शन का औसत 10 करोड़ से ऊपर रहा, उनकी संख्या इस वर्ष 10 से भी कम थी। “भीष्मपर्वम”, “हृदयम”, “कड़ुवा”, “जन गण मन”, “तालूमाला”, “Rorschach”, “मेपड्डीयन” इत्यादि जैसी कुछ ही फिल्में थीं, जो या तो सुपरहिट हुईं या फिर बॉक्स ऑफिस पर कम से कम 10 करोड़ का कलेक्शन करने में सफल रहीं। शेष फिल्मों ने रिलीज होते ही दम तोड़ दिया यानी 176 में से 17 फिल्मों को निकाल लिया जाए, तो 159 मलयालम फिल्में वर्ष 2022 में फ्लॉप रही हैं।

असल में मलयालम फिल्म इंडस्ट्री की स्थिति कितनी खराब है, इसका आंकलन हम इसी बात से लगा सकते हैं कि वर्ष 2022 में मलयाली बॉक्स ऑफिस पर सर्वाधिक कलेक्शन करने वाली फिल्म न वहां की मूल भाषा में निर्मित थी और न ही मलयालम उद्योग से उसका कोई विशेष नाता था। जी हां, हम बात कर रहे हैं केजीएफ-चैप्टर 2 की, जिसने मलयाली बॉक्स ऑफिस पर लगभग 65 करोड़ का घरेलू कलेक्शन किया। यह वर्ष 2022 में सुपरहिट हुई मलयाली फिल्मों के संपूर्ण कलेक्शन से कहीं अधिक है।

ध्यान देने योग्य है कि मलयालम फिल्म इंडस्ट्री अपने स्टार पावर के लिए नहीं बल्कि मूलत: अपने कंटेंट के लिए चर्चा में रहता है। अगर स्टार होते भी हैं तो केवल अपनी कला और उत्कृष्ट स्क्रिप्ट के आधार पर। परंतु इस वर्ष जैसे बॉलीवुड की पोल खुली, ठीक वैसे ही मलयालम सिनेमा के बड़े स्टार्स भी एक अदद हिट के लिए तरसते नजर आए। स्वयं मोहनलाल स्टारर फिल्में भी इस वर्ष कोई खास कमाल नहीं दिखा पाई। उनकी फिल्में या तो OTT पर प्रदर्शित हुईं या फिर बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिरी, जिनमें ‘Aarattu’ और ‘Monster’ शामिल है।

डूब रहा है मलयालम फिल्म इंडस्ट्री

लेकिन मलयालम फिल्म इंडस्ट्री के पतन की कहानी यहीं पर खत्म नहीं होती। बॉलीवुड की भांति वर्ष 2022 में मलयालम फिल्म उद्योग अपने कंटेंट के लिए कम और विवादों के लिए अधिक चर्चा में रहा। उदाहरण के लिए मलयाली स्टार पृथ्वीराज सुकुमारन इस वर्ष विवादों के घेरे में रहे क्योंकि लक्षद्वीप के विवाद पर इस्लामिस्टों का समर्थन करने हेतु उन्हें आलोचना का सामना करना पड़ा था और तो और अपनी फिल्म ‘कड़ुवा’ में दिव्यांग समुदाय का उपहास उड़ाने के लिए उन्हें आलोचना झेलनी पड़ी थी। स्थिति तो ऐसी हो गई थी कि उन्हें सार्वजनिक रूप से क्षमा मांगते हुए फिल्म के कई सीन तक डिलीट कराने पड़े थे।

इसके अतिरिक्त मलयालम फिल्म इंडस्ट्री को कम्युनिस्ट पार्टी का ‘दाहिना हाथ’ माना जाता है, इसलिए विपरीत विचारधारा के कलाकारों के अतिरिक्त इनका अन्य फिल्म उद्योगों के साथ विवाद भी चर्चा में रहा। उदाहरण के लिए उन्नी मुकुंदन द्वारा निर्मित एवं अभिनीत ‘Meppadiyan’ को केवल इसलिए आलोचना झेलनी पड़ी क्योंकि उसका नायक न तो कम्युनिस्ट था और न ही भारतीय संस्कृति का उपहास उड़ाने में विश्वास रखता था।

इन सभी कारणों के अलावा एक अन्य बड़ा कारण यह भी है कि लोगों के पास अब ओटीटी का विकल्प है और सभी को पता है कि सिनेमाघरों में रिलीज हुई कोई भी फिल्म, 3-4 महीने में ओटीटी पर मिल ही जाएगी। ऐसे में लोगों का सिनेमाघरों से मोह भी भंग होता दिख रहा है। इसके अलावा अब दर्शक एजेंडा से इतर कंटेंट पर ध्यान दे रहे हैं। ऐसे में मलयाली फ़िल्मकारों एवं कलाकारों को व्यापक परिवर्तन करना होगा क्योंकि आने वाले वर्षों में भी इस ‘फ्लॉप शो’ का पूरा असर देखने को मिलेगा। ऐसे में अगर समय रहते मलयालम सिनेमा नहीं संभला तो वह दिन दूर नहीं जब उनकी स्थिति बॉलीवुड के समान हो जाएगी।

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https://www.youtube.com/watch?v=08zvOE_mjKw

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