जब नाना पाटेकर ने एक फिल्म के लिए ली 3 वर्षों की कमांडो ट्रेनिंग

इस फिल्म के लिए नाना पाटेकर का दृढ़ निश्चय, संघर्ष और मेहनत देखकर, भारतीय सेना ने उन्हें मानद पद से सम्मानित किया था।

Nana Patekar

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फिल्म प्रहार: नाना पाटेकर अभिनय की दुनिया के ऐसे बादशाह हैं, जिन्हें मात देना या यूं कहें कि उनकी बराबरी कर पाना भी आज के अभिनेताओं के लिए असंभव कार्य है। हाल फिलहाल में कई अभिनेताओं के छोटे-मोटे रोल के लिए उनके त्याग की चर्चा हुई थी लेकिन अगर आप नाना पाटेकर के किरादरों पर गौर करेंगे और उनसे अभी के अभिनेताओं की तुलना करेंगे तो ज्ञात होगा कि ये तो उनके सामने कहीं ठहरते ही नहीं। इस लेख में हम आपको नाना के एक ऐसे ही किरदार से अवगत कराएंगे, जिसके लिए उन्होंने आर्मी की ट्रेनिंग ली थी और उसके बाद इंडियन आर्मी ने उन्हें सम्मानित भी किया था।

जब बॉलीवुड लगभग पूर्ण रूप से अंडरवर्ल्ड के गिरफ्त में था, ऐसे समय में नाना पाटेकर ने एक अनोखा प्रयोग करने का निर्णय किया। यह 1990 का दशक था और तब अपराध और बॉलीवुड स्पष्ट तौर पर एक ही सिक्के के दो पहलू थे। भले ही नाना पाटेकर का प्रत्यक्ष रूप से इसमें कोई हाथ हो या नहीं, यह अलग चर्चा का विषय है परंतु करियर के प्रारंभ में फिल्म माफीचा साक्षीदार, अंकुश, परिंदा जैसी फिल्मों में नकारात्मक किरदार निभाने के कारण वो अपराध जगत से अनभिज्ञ भी नहीं थे। परंतु अपनी छवि बदलने को आतुर नाना पाटेकर ने भारतीय सेना के आम दिनचर्या एवं प्रशिक्षण से परिपूर्ण फिल्म प्रहार बनाने का निर्णय किया।

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इंडियन आर्मी ने दी थी मेजर की मानद उपाधि

फिल्म प्रहार को स्वयं नाना पाटेकर ने निर्देशित किया और उन्होंने सुजीत सेन एवं हृदय लानी के साथ मिलकर इसकी पटकथा भी लिखी। इस फिल्म में नाना पाटेकर के अतिरिक्त माधुरी दीक्षित, गौतम जोगलेकर, डिम्पल कपाड़िया एवं अच्युत पोटदार, शिवकुमार सुब्रह्मण्यम, परितोष सांद जैसे कलाकार भी सम्मिलित थे। यूं तो यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास सफल नहीं हुई थी परंतु भारतीय सेना का सटीक चित्रण करने के लिए इस फिल्म को आज भी प्रशंसित किया जाता है और यह सम्मान भारतीय फिल्मों में बहुत ही कम फिल्मों को प्राप्त है।

फिल्म प्रहार की कथा पीटर डिसूज़ा के बारे में है, जो कमांडो ट्रेनिंग का वॉलंटियर होता है। उसका सामना मेजर चौहान से होता है, जो अनुशासन से कोई समझौता नहीं करते और वो अपने नेतृत्व में आने वाले हर कैडेट को एक कुशल कमांडो के रूप में देखने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। प्रारंभ में मेजर चौहान से चिढ़ने वाला पीटर धीरे-धीरे उनके विचारों से सहमत होकर अपने ट्रेनिंग कैंप में सर्वश्रेष्ठ कैडेट के रूप में अपनी पहचान बना लेता है। परंतु परिस्थितियां ऐसी बैठती हैं कि उसकी अकाल मृत्यु हो जाती है। क्या थी वो परिस्थितियां और कैसे उसे न्याय दिलाने के लिए मेजर चौहान विद्रोही बन जाते हैं, उसी पर है फिल्म प्रहार की पूरी कथा।

यूं तो नाना पाटेकर फिल्म प्रहार में मुख्य हीरो नहीं थे परंतु उन्होंने अपने किरदार को ऐसे निभाया कि इस फिल्म के असली हीरो के रूप में वही सामने आए। परंतु क्या आपको पता है कि इस फिल्म के लिए नाना पाटेकर ने किस प्रकार का तप किया था? ध्यान देने योग्य है कि इस फिल्म में अपने किरदार को आत्मसात करने हेतु नाना पाटेकर ने लगभग 3 वर्ष तक उसी मराठा लाइट इन्फैन्ट्री के साथ कड़ी कमांडो ट्रेनिंग की, जिसका चित्रण फिल्म प्रहार में किया गया है। इनका अनुशासन और इनकी कार्यशैली भारतीय थलसेना को इतनी पसंद आई कि उन्होंने नाना पाटेकर को टेरिटोरियल आर्मी में प्रविष्ट कराया और उन्हें मेजर की मानद उपाधि यानी Honorary Rank भी दी गई।

कारगिल युद्ध के समय सक्रिय थे पाटेकर

परंतु कथा यहीं पर समाप्त नहीं होती। यूं तो कई फिल्मस्टार भारतीय सेना को समर्थन देते हैं और उनके प्रति अपना ‘सम्मान भी प्रकट करते हैं’। परंतु नाना पाटेकर केवल मौखिक प्रशंसा में विश्वास नहीं करते अपितु उन्होंने वास्तव में भारतीय थलसेना को अपनी सेवाएं भी दी थी। बहुत कम लोगों को पता है कि 1999 में जब कारगिल युद्ध अपने चरमोत्कर्ष पर था, तब नाना पाटेकर ने सक्रिय रूप से मराठा लाइट इन्फैन्ट्री को अपनी सेवाएं प्रदान की, जो उस समय मोर्चे पर भी तैनात थी। स्वयं नाना पाटेकर ने कहा था कि “हमारी शक्ति न बोफोर्स में है, न ही एके 47 में। हमारी असल शक्ति उन जवानों में है, जो इन शस्त्रों को संभालते हुए देश की रक्षा करते हैं”।

इतना ही नहीं, जब वर्ष 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक के बाद कुछ वामपंथियों ने देश के सैनिकों का उपहास उड़ाते हुए इस ऑपरेशन पर प्रश्नचिन्ह लगाया था तो नाना पाटेकर ने मोर्चा संभालते हुए उनका उपहास उड़ाया और स्वयं अपने ही उद्योग के उन सितारों को भी आड़े हाथों लिया, जो इस विकट स्थिति में भी पाकिस्तान का समर्थन कर रहे थे। ऐसे में यह कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि नाना पाटेकर सिर्फ रील लाइफ में ही नहीं बल्कि रियल लाइफ में भी स्टार हैं। सेना के प्रति उनकी संवेदना, निष्ठा और राष्ट्रभक्ति उन्हें बॉलीवुड की दुनिया में सबसे अलग बनाती है।

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