“राकेश झुनझुनवाला और दीपक पारेख ने जिसे सुनाया था”, श्रीनिवासन जैन ने NDTV छोड़ दी

"इशरत जहां छोटा-मोटा धमाका करने आई थी", जैसी ख़बरें देने वाले ने इस्तीफा दे दिया है।

Sreenivasan Jain, NDTV

Source- TFI

Sreenivasan Jain quits NDTV: जब से अडानी ने एनडीटीवी खरीदा है, तब से ही चैनल के अंदर ‘पल बढ़ रहे या यूं कहें कि बूढ़े हो चुके’ एजेंडाधारियों की शामत आई हुई है! वे या तो पेट पकड़कर बैठे हुए हैं या धीरे-धीरे अपनी ‘केंचुली’ उतारते हुए चैनल से इस्तीफा दे रहे हैं। पहले ‘गोदी मीडिया’ के गुरु रवीश कुमार और अब झूठे और एजेंडावादी श्रीनिवासन जैन ने एनडीटीवी से अपना नाता तोड़ दिया है। जी हां, अभी हाल ही में न्यूज एंकर श्रीनिवासन जैन ने NDTV से अपने पद से इस्तीफा (Sreenivasan Jain quits NDTV) दे दिया है। वह बीते कई वर्षों से एनडीटीवी के लिए कार्य कर रहे थे।

श्रीनिवासन जैन ने ट्वीट करते हुए कहा कि “एनडीटीवी पर लगभग तीन दशक से चला आ रहा सिलसिला आज समाप्त हो गया। इस्तीफा देने का निर्णय मेरे लिए आसान नहीं था लेकिन जो है यही है। बाकी बातें बाद में।” आपको बता दें कि वह एनडीटीवी चैनल में ग्रुप एडिटर का कार्य संभाल रहे थे। वो अपने पत्रकारिता करियर के दौरान लगातार ही विवादों में रहे। अफ़वाह और फेक न्यूज़ फ़ैलाने वालों की सूची में श्रीनिवासन का नाम काफी ऊपर रहा। उन्होंने कई बार अपने बेबुनियाद एजेंडे को चलने का प्रयास भी किया लेकिन अधिकतर मामलों में वो कामयाब नहीं हुए और कई बार उनकी अफवाहें उनपर ही भारी पड़ी थी।

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झुनझुनवाला ने इनका ‘झुनझुना’ बजा दिया था

ध्यान देने योग्य है कि वर्ष 2021 में कोरोना काल के समय में भी श्रीनिवासन जैन ने एजेंडा चलाने की कोशिश की थी। देश में जब कोविड वैक्सीन ‘कोवैक्सिन’ विकसित हुई थी तो उस समय उन्होंने वैक्सीन को लेकर भी भ्रामक खबरें फैलाने की कोशिश की थी। उन्होंने दावा किया था कि नेशनल वैक्सीन एडवाइजरी ग्रुप के चेयरपर्सन ने कहा है कि भारत में बनी कोवैक्सिन के शुरुआती बैच की क्वालिटी सही नहीं थी। उन्होंने इसे लेकर ट्वीट तक कर दिया था लेकिन बाद में उन्हें अपना ट्वीट हटाना पड़ा था।

इतना ही नहीं, एक बार HDFC के अध्यक्ष दीपक पारेख से उन्होंने मोदी सरकार के खिलाफ नकारात्मक टिप्पणी करवाने की भी कोशिश की थी। लेकिन वहां पर भी उनका दांव उनपर ही उल्टा पड़ गया था। जब दीपक ने उनके सवाल के जवाब में कहा था कि असंतोष और असहिष्णुता को लेकर चर्चा अतिश्योक्तिपूर्ण है। ऐसा बिलकुल भी नहीं है कि सरकार सुनने को तैयार नहीं है। सरकार इन मामलों पर चर्चा करने को भी तैयार है।

श्रीनिवासन जैन अपने झूठ और एजेंडा चलाने का कोई भी मौका अपने हाथ से जाने नहीं देते थे और यह बात उनके कार्यक्रम में आने वाले मेहमानों को भी भलीभांति पता थी। इसी के कारण उनके कार्यक्रमों में शामिल होने वाले मेहमानों ने भी कई अवसरों पर उनको आईना दिखाने का काम किया। एक बार एक कार्यक्रम में कारोबारी राकेश झुनझुनवाला ने उन्हें हिदायत देते हुए कहा था कि “मुझे लगता है कि आप और एनडीटीवी सरकार के खिलाफ पूर्वाग्रह से ग्रसित हो चुके हैं। प्रेस कोई राजनीतिक इकाई तो है नहीं। इसीलिए प्रेस को पूर्वाग्रह से ग्रसित नहीं होना चाहिए बल्कि उसको निष्पक्ष होना चाहिए।”

आतंकियों से हमदर्दी

ज्ञात हो कि श्रीनिवासन जैन ने पीएम नरेंद्र मोदी (गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री) को भी अपना निशाना बनाया था। उन्होंने मोदी की हत्या की साजिश रचने वाली लश्कर-ए-तैयबा की आतंकवादी इशरत जहां के जुर्म को भी छोटा-मोटा जुर्म बताया था। इस पर भी उन्होंने यह दावा किया था कि इशरत जहां गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री को जान से मारने नहीं आई थी बल्कि वह तो छोटा-मोटा बम धमाके के लिए आई थी। उनके लिए बम का धमाका एक छोटा-मोटा जुर्म था। यह वहीं पर नहीं रुके थे, जब गुजरात पुलिस ने इशरत जहां को मुठभेड़ के समय मार गिराया था तब भी उन्होंने तर्क दिया था कि इशरत जहां छोटे-मोटे आतंकी वारदात के लिए आई थी, इसलिए गुजरात पुलिस को उसके साथ ठीक व्यवहार करना चाहिए था।

कुल मिलाकर कहें तो श्रीनिवासन जैन ने ‘पत्रकारिता’ में रहते हुए हर वो काम किया, जो एक पत्रकार को नहीं करना चाहिए। चाहे वह एजेंडा परोसना हो, फेक न्यूज चलाना हो, हर मुद्दे पर सरकार को लपेटना हो या फिर आतंकियों से हमदर्दी दिखानी हो, जैन इन सबमें आगे रहे। अब एनडीटीवी को अडानी ने खरीद लिया है और एक तरह से कहा जा सकता है कि इस एजेंडाधारी चैनल का पुनरुद्धार करने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसे में वैसे लोग जिनके लिए एजेंडा ही सर्वोपरी है, वो या तो चैनल छोड़ कर जा चुके हैं या धीरे धीरे जा रहे हैं। अब श्रीनिवासन जैन का नाम भी उसी जाने वाले लोगों की सूची (Sreenivasan Jain quits NDTV) में जुड़ गया है।

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