पाई का मान : पाई का उद्देश्य क्या है एवं इतिहास

Pai ka man

Pai ka man : पाई का मान : पाई का उद्देश्य क्या है एवं इतिहास 

स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे  Pai ka man  साथ ही इससे जुड़े इतिहास एवं उद्देश्य के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें

पाई का मान –

पाई का मान 3.14 होता है पाई सबसे महत्वपूर्ण गणितीय एवं भौतिक नियतांकों में से एक है। गणित के कई सवालों को हल करने के लिए विभिन्न जगहों पर इसका प्रयोग किया जाता है।

पाई क्या है? –

गणित में किसी वृत्त की परिधि की लंबाई और उसके व्यास की लंबाई के अनुपात को पाई कहा जाता है। हर वृत्त में यह अनुपात 3.141 होता है, लेकिन दशमलव के बाद की पूरी संख्या का अब तक आंकलन नहीं किया जा सका है, इसलिए इसे अनंत माना जाता है। यदि किसी वृत्त का व्यास एक है तो उसकी परिधि पाई के बराबर होगी।

इतिहास –

पाई के मान की गणना सबसे पहले सिरैक्यूज़ के गणितज्ञ आर्किमिडीज़ ने की थी। इसे बाद में वैज्ञानिक समुदाय द्वारा स्वीकार किया गया जब लियोनहार्ड यूलर ने 1737 में पाई के प्रतीक का इस्तेमाल किया। पहला पाई दिवस 1988 में अमेरिकी भौतिक विज्ञानी लैरी शॉ द्वारा मनाया गया था।

पाई दिवस

14 मार्च को पूरे विश्व में पाई डे मनाया जाता है।

पाई का उद्देश्य क्या है?-

पाई—जिसे पी के लिए ग्रीक अक्षर के रूप में लिखा जाता है, या π— किसी वृत्त की परिधि और उस वृत्त के व्यास का अनुपात है। वृत्त के आकार के बावजूद, यह अनुपात हमेशा पाई के बराबर होगा। दशमलव रूप में पाई का मान लगभग 3.14 होता है।

पाई की खोज –

π की पहली गणना सिरैक्यूज़ के आर्किमिडीज़ (287-212 ईसा पूर्व) द्वारा की गई थी, जो प्राचीन दुनिया के महानतम गणितज्ञों में से एक थे।

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रोचक तथ्य –

पाई की खोज क्यों हुई? –

पाई (π) के सिद्धान्त की खोज महान गणितज्ञ आर्यभट्ट ने किया था . जब यूरोप के लोग गणित का ककहरा सीख रहे थे, तब महान भारतीय गणितज्ञ आर्यभट्ट पाई की जटिल पहेली को सुलझा दिया ।

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