Parda kahani ke lekhak – पर्दा कहानी के लेखक :उपन्यास एवं उद्देश्य
स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे Parda kahani ke lekhak साथ ही इससे जुड़े उपन्यास एवं उद्देश्य के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें
परदा कहानी के लेखक यशपाल जी है इस कहानी में चौधरी पीरबक्श और उनके दो लड़के और आगे उनके परिवार की कहानी है। पीरबख्श के दादा चुंगी के महकमे में दारोगा थे आमदनी अच्छी थी । इन्होंने कहानी में भाषा का प्रयोग प्रसंग और पात्र के अनुकूल किया है। अपने कथा-साहित्य में साहित्यिक भाषा की अपेक्षा बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया
प्रारम्भिक जीवन –
यशपाल का जन्म 3 दिसम्बर 1903 को पंजाब में, फ़ीरोज़पुर छावनी में एक खत्री परिवार में हुआ था. यशपाल के पिता का नाम हीरालाल था, जो एक साधारण कारोबारी व्यक्ति थे. उनकी माता श्रीमती प्रेमदेवी अनाथालय के एक पाठशाला में अध्यापिका थी. उनके पिताजी की गांव में छोटीसी दूकान थी, और लोग उनके पिताजी को ‘लाला’ करके पुकारते थे यशपाल अपनी माता का खुब आदर-सम्मान करते थे. अपने बचपन में यशपाल ने अंग्रेज़ों के आतंक और विचित्र व्यवहार की अनेक कहानियाँ सुनी थीं. इस उम्र से ही उनके मन में अंग्रेज़ो के प्रति द्वेष निर्माण हो रहा था, परिणामतः भविष्य में उनकी भावनाएँ क्रांतिकारी के रूप में उभरकर आयी. उन्होंने लिखा है, “मैंने अंग्रेज़ों को सड़क पर सर्व साधारण जनता से सलामी लेते देखा है
उपन्यास –
- दिव्या
- देशद्रोही
- झूठा सच
- दादा कामरेड
- अमिता
- मनुष्य के रूप
- तेरी मेरी उसकी बात
कहानी संग्रह –
- पिंजरे की उड़ान
- फूलो का कुर्ता
- धर्मयुद्ध
- सच बोलने की भूल
- भस्मावृत चिंगारी
- उत्तनी की मां
- चित्र का शीर्षक
सन्मान एवं पुरस्कार –
- देव पुरस्कार
- सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार
- मंगला प्रसाद पारितोषिक
- पद्म पद्मभूषण
उद्देश्य –
उद्देश्य की दृष्टि यह कहानी यथार्थवादी है। आर्थिक विषमता के कारण व्यक्ति कठिन परिश्रम करके भी दो जून की रोटी भी नहीं जुटा पाता। पीरबक्श आर्थिक समस्या के कारण पारिवारिक बोझ उठाने में समर्थ रहता है, जिसके कारण अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। आर्थिक विषमता व्यक्ति को किस स्तर तक संवेदनशून्य और जड़ बना सकती है। ‘परदा’ में लेखक यशपाल ने निम्नवर्गीय परिवार उनकी बढ़ती हुई आर्थिक कठिनाइयाँ तथा पुरुष के साथ-साथ उन्हें झेलती हुई नारी का दृश्य यथार्थ की जमीन पर प्रस्तुत किया गया है ।
मृत्यु –
यशपाल जी उत्कृष्ट श्रेणी के उपन्यासकार थे इन्होने शहीद भगतसिंह के साथ मिलकर आजादी की लड़ाई भी लड़ी. पद्मभूषण यशपाल जी की मृत्यु 24 जुलाई 2017 को नोएडा, उत्तर प्रदेश के एक निजी अस्पताल में हुई ।
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