Pariksha Guru ke lekhak kaun hai : परीक्षा गुरु के लेखक कौन है : रचनाएं एवं भाषा शैली
स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे Pariksha Guru ke lekhak kaun hai में साथ ही इससे रचनाएं एवं भाषा शैली के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें
परीक्षा गुरु के लेखक कौन है –
परीक्षा गुरु हिन्दी का प्रथम उपन्यास था लाला श्रीनिवास दास 1850-1907 हिंदी के प्रथम उपन्यास के लेखक है. उनके द्वारा लिखे गए उपन्यास का नाम परीक्षा गुरू (हिन्दी का प्रथम उपन्यास) है जो 25 नवम्बर 1882 को प्रकाशित हुआ. लाला श्रीनिवास दास भारतेंदु युग के प्रसिद्ध नाटककार भी थे वे उत्तरप्रदेश राज्य के मथुरा जिले के निवासी थे और हिंदी, उर्दू, संस्कृत, फारसी एवं अंग्रेजी भाषा के अच्छे ज्ञाता थे. उनके द्वारा रचित नाटकों में प्रह्लाद चरित्र, तप्ता संवरण, रणधीर और प्रेम मोहिनी और संयोगिता स्वयंवर प्रमुख नाटक हैं.
लाला श्रीनिवास कुशल महाजन और व्यापारी थे। अपने उपन्यास में उन्होंने मदनमोहन नामक एक रईस के पतन और फिर सुधार की कहानी सुनाई है।
भारतेंदु काल (1837-1904 ई.) –
इस युग के प्रमुख नाटककार भारतेंदु हरिश्चंद्र थे। वे समाज सुधार और देशप्रेम की भावना से प्रेरित थे। इसलिए उन्होंने देशभक्ति से संबंधित अनेक नाटकों की रचनाएँ कीं। भारतेंदु काल के नाटकों का मूल उद्देश्य केवल दर्शकों का मनोरंजन करना ही नहीं बल्कि जनमानस में जागृति लाना और आत्मविश्वास भरना भी था।
- लाला श्रीनिवास दास
- बालकृष्ण भट्ट
- राधाचरण गोस्वामी
- राधा कृष्ण दास
- किशोरीलाल गोस्वामी।
रचनाएं –
- उपन्यास
- परीक्षा गुरू, 25 नवम्बर 1882 को प्रकाशित
- नाटक
- तप्ता संवरण
- रणधीर और प्रेम मोहिनी
- संयोगिता स्वयंवर
भाषा शैली –
लाला श्रीनिवासदास खड़ी बोली की बोलचाल के शब्द और मुहावरे अच्छे लाते थे। चारों लेखकों में प्रतिभाशालियों को मनमौजीपन था, पर लाला श्रीनिवासदास व्यवहार में दक्ष और संसार का ऊँचा-नीचा समझने वाले पुरुष थे।
मृत्यु –
लाला श्रीनिवास दास जी का मृत्यु 1887 में हुआ
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