‘अर्धसत्य’ से आपका पाला पड़ा है कभी? यदि नहीं, तो फिर उसका मूल उद्देश्य बताते हैं। आज के अंधे युग में जो सत्य के साथ खड़ा होता है, आवश्यक नहीं कि उसकी जीत हो, कभी कभी उसके लिए उसकी प्रतिष्ठा से लेकर उस व्यक्ति का जीवन तक दांव पर लग जाता है। जिस समय भारतीय सिनेमा, विशेषकर बॉलीवुड पर अंडरवर्ल्ड का वर्चस्व अपने शिखर पर था तो अधिकतम कलाकार उनकी जी हुज़ूरी करते थे और विरोध करने पर उनका हाल गुलशन कुमार जैसा होता था। परंतु एक कलाकार ऐसी भी थीं, जो सब कुछ जानते हुए भी अपने पक्ष से टस से मस नहीं हुई। अब यह और बात थी कि इस ‘हठ’ का मूल्य उन्हें लगभग अपना सम्पूर्ण करियर देकर चुकाना पड़ा। इस लेख में हम आपको अभिनेत्री प्रीति जिंटा के उस कर्तव्यपरायणता से अवगत कराएंगे, जहां वो अंडरवर्ल्ड के विरुद्ध मुखर हुईं और उसके कारण उनके अपने ही उद्योग ने धीरे धीरे उनसे दूरी बनानी प्रारंभ कर दी।
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यहां समझिए पूरी कहानी
अगर आपने 90s के युग का अनुभव किया हो तो आपने पर्क चॉकलेट और लिरिल के विज्ञापन भी देखे होंगे, जिससे प्रीति जिंटा सर्वप्रथम चर्चा का केंद्र बनी थीं। इसके अतिरिक्त आपने किसी भी स्थिति में गाना “जिया जले” तो मिस नहीं ही किया होगा। फिल्म “दिल से” में प्रमुख कलाकार थे शाहरुख खान और मनीषा कोइराला परंतु अपनी सीमित उपस्थिति में प्रीति जिंटा अलग ही आकर्षण का केंद्र बनी थी। इसके पश्चात उसी वर्ष में आई “सोल्जर” सुपरहिट सिद्ध हुई और प्रीति जिंटा उसमें भी सबको आकृष्ट करने में सफल रही।
2000 आते आते प्रीति जिंटा अपनी चुलबुली प्रवृत्ति के कारण सबकी प्रिय बन चुकी थीं। परंतु वह अपने आप को केवल “ग्लैमर डॉल” की छवि में नहीं बंधने देना चाहती थीं। इसीलिए उन्होंने फिल्म “क्या कहना” में उस समय की परिस्थितियों के ठीक विपरीत बिन ब्याही मां का रोल निभाया, जिसे निभाने में अच्छे अच्छे अभिनेत्रियों के हाथ पांव फूल जाते थे। फिल्म का परिप्रेक्ष्य जैसा भी हो पर प्रीति जिंटा ने अपनी भूमिका से सबको पुनः आकृष्ट किया और यहीं से उनके जीवन ने एक महत्वपूर्ण मोड़ लिया।
2000 में ही एक और फिल्म प्रदर्शित होनी थी – “चोरी चोरी चुपके चुपके”। इसमें सलमान खान, रानी मुखर्जी एवं प्रीति जिंटा प्रमुख भूमिकाओं में थे। यह फिल्म भी अपने समय से आगे की थी परंतु दिसंबर में अपने मूल रिलीज़ डेट से आगे जाकर उन्हें यह फिल्म मार्च में प्रदर्शित करनी पड़ी। ऐसा क्यों? असल में इस फिल्म के वितरक भरत शाह, जो एक प्रख्यात डायमंड व्यापारी भी थे और प्रोड्यूसर नाज़िम रिजवी सहित कई अन्य अंडरवर्ल्ड के साथ सांठ गांठ के आरोपों से घिर गए। इसके अतिरिक्त अनेकों फिल्मों में डी कंपनी के सरगना दाऊद इब्राहिम और उसके विश्वासपात्र छोटा शकील के निवेश के भी चर्चे बहुत थे।
इसी बीच शाहरुख खान, रानी मुखर्जी और प्रीति जिंटा जैसे कई प्रमुख हस्तियों ने आरोप लगाया कि उन्हें अंडरवर्ल्ड के गुर्गों द्वारा वसूली के लिए धमकी भरे कॉल और पत्र आते हैं। यह कोई नई बात नहीं है क्योंकि जब मोनिका बेदी और ममता कुलकर्णी के गैंगस्टर्स के साथ खुलेआम संबंध के साक्ष्य सामने आए, तो फिर धमकी भरे कॉल या पत्र कोई नई बात नहीं।
अंडरवर्ल्ड के विरुद्ध मुखरता
किंतु प्रीति जिंटा उन लोगों में से नहीं थी। जब धमकियों के आधार पर पुलिस ने कार्रवाई की और मामला न्यायालय पहुंचा तो जितने भी याचिकाकर्ता थे, लगभग सब पीछे हट गए। परंतु प्रीति जिंटा पीछे नहीं हटी और उन्होंने मुखर होकर भरत शाह एवं अंडरवर्ल्ड के अन्य लोगों के विरुद्ध बयान दिया। प्रीति के इस बयान के पीछे भरत शाह दोषी सिद्ध हुए और अंडरवर्ल्ड भी धीरे धीरे फिल्म उद्योग से मुंह मोड़ने लगा। इसके पीछे कई लोगों ने उन्हें प्रशंसित किया और कुछ “नारीवादियों” ने उन्हें “फिल्म उद्योग में एकमात्र पुरुष” भी कहा।
परंतु मौखिक प्रशंसा एक तरफ होती है और वास्तविक समर्थन दूसरी ओर। प्रीति जिंटा को उनके साहसी निर्णय के लिए मुख पर तो कई लोगों ने प्रशंसित किया परंतु वर्ष 2006 के बाद बॉलीवुड ने उनका अघोषित बहिष्कार कर दिया। वर्ष 2007 एवं 2008 तक उनकी कुछ फिल्मों के बाद उन्हें फिल्म मिलने के लाले पड़ गए। वह तो भला हो कि उन्होंने आईपीएल में पंजाब की टीम में निवेश करके अपने लिए एक अलग राह बना ली, अन्यथा प्रीति जिंटा सत्य के साथ अडिग रहने के पीछे कब गुमनामी के अंधेरे में खो जाती, किसी को नहीं पता चलता।
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