Ravan Dahan : रावण दहन :रावण का विवाह एवं पूजा विधि
स्वागत है आपका आज के इस लेख में हम जानेंगे Ravan Dahan साथ ही इससे जुड़े पूजा विधि एवं विवाह के बारें में भी चर्चा की जाएगी अतः आपसे निवेदन है कि यह लेख अंत तक जरूर पढ़ें
नवरात्रि के नौ दिनों के बाद दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है। इस दिन रावण दहन किया जाता है।
दशहरा पूजा एवं महोत्सव
- घर से पूर्वोत्तर की दिशा में कोई पवित्र और शुभ स्थान को चिन्हित करें।
- अब यह संकल्प लें कि देवी अपराजिता की यह पूजा आप अपने या फिर परिवार के ख़ुशहाल जीवन के लिए कर रहे हैं।
- उसके बाद अष्टदल चक्र के मध्य में अपराजिताय नमः मंत्र के साथ माँ देवी अपराजिता का आह्वान करें।
- अब माँ जया को दायीं ओर क्रियाशक्त्यै नमः मंत्र के साथ आह्वान करे।
- बायीं ओर माँ विजया का उमायै नमः मंत्र के साथ आह्वान करें।
- इसके उपरांत अपराजिताय नमः, जयायै नमः, और विजयायै नमः मन्त्रों के साथ शोडषोपचार पूजा करें।
- अब प्रार्थना करें, हे देवी माँ! मैनें यह पूजा अपनी क्षमता के अनुसार संपूर्ण की है। कृपया जाने से पूर्व मेरी यह पूजा स्वीकार करें।
- हारेण तु विचित्रेण भास्वत्कनकमेखला। अपराजिता भद्ररता करोतु विजयं मम। मंत्र के साथ पूजा का विसर्जन करें।
पूजा विधि –
- सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहन लें।
- अब आप जिस स्थान पर बैठ कर पूजा करने जा रहे हैं, वहां रंगोली और स्वास्तिक का चिन्ह बना लें।
- घर पर यदि कोई विद्यार्थी है तो वह अपनी कॉपी किताबें पूजा स्थल पर रख सकता है, वहीं व्यापारी अपने बही खाते और नौकरीपेशा जातक अपने ऑफिस से जुड़ी कोई सामग्री पूजा स्थल पर रख सकते हैं।
- अब एक साफ कागज पर रोली से ‘श्री रामचंद्राय नमः या श्री राम भद्राय नम:’ लिखें। ऐसा कहा गया है कि श्री राम के नाम से बड़ा नाम और कोई नहीं है।
- अब दो परात लें। एक परात में गोबर से रावण बनाएं। आप रावण के दस सिर बनाने के लिए सफेद बताशे का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। दूसरी परात में गोबर से 4 पिंडियां बनाएं, यह पिंडियां राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का प्रतीक होती हैं। अब आपको रावण और राम सहित चारों भाइयों की पूजा करनी है।
रावण का जीवन परिचय –
रावण लंका का राजा था और रामायण के सबसे शक्तिशाली योद्धाओं में से एक था. रावण के दस सिर थे, जिसके कारण उसका नाम दशानन भी था।रावण को व्यापक रूप से बुराई का प्रतीक माना जाता है
पूरा नाम | रावण |
उपनाम | लंकापति, दशानन |
जन्म | त्रेता युग |
पिता का नाम | विश्रवा |
माता का नाम | कैकाशी |
पत्नी | मंदोदरी और धन्यमालिनी |
भाई-बहन | कुंभकर्ण, विभीषण, खर,
भगवान कुबेर, अहिरावण |
रावण का विवाह –
सबसे पहला विवाह दिति के पुत्र मय जिनकी कन्या का नाम मंदोदरी था। मंदोदरी का प्राकट्य हेमा नामक एक अप्सरा के गर्भ से हुआ था। पौराणिक इतिहास में यह भी बताया जाता है कि मंदोदरी राजस्थान के जोधपुर के पास के ही एक क्षेत्र जिसका नाम मंडोर है वहां की रहने वाली थी। उनका विवाह रावण के साथ हुआ जिसके बाद उन्होंने कई सारे पुत्रों को जन्म दिया जिनमें से मुख्य इंद्रजीत, मदोहर, प्रहस्त, थे |
रावण का परिवार –
- कुबेर
- अहिरावण/ महिरावण
- कुंभकरण
- मेघनाथ
- खर
- दूषण
- सहस्त्र रावण
- शूर्पनखा
- कुम्भिनी
आशा करते है कि Ravan Dahan के बारे में सम्बंधित यह लेख आपको पसंद आएगा एवं ऐसे लेख पढ़ने के लिए हमसे फेसबुक के माध्यम से जुड़े।